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राहुल के बाद गुजरात में अब पीएम मोदी ने भी मंदिर से किया प्रचार का 'श्रीगणेश'

गुजरात की धरती पर मंदिरों और धामों का खासा महत्व है. पीएम मोदी ने जिस आशापुरा मंदिर में दर्शन करने के बाद चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया उसके भी बड़ी संख्या में अनुयायी हैं. आशापुरा को कच्छ की कुलदेवी माना जाता है और बड़ा तादाद में इलाके के लोगों की उनमें आस्था है.

मंदिर में पूजा अर्चना के दौरान राहुल गांधी और पीएम मोदी (फाइल फोटो) मंदिर में पूजा अर्चना के दौरान राहुल गांधी और पीएम मोदी (फाइल फोटो)
जावेद अख़्तर
  • गांधीनगर ,
  • 27 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:08 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए कच्छ पहुंचे. पीएम ने भुज के आशापुरा मंदिर में दर्शन कर अपने इस चुनावी दौरे का श्रीगणेश किया. इससे पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात नवसृजन यात्रा का आरंभ भी मंदिर दर्शन से ही किया था. राहुल ने द्वारकाधीश मंदिर में मत्था टेकने के बाद गुजरात में चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया था.

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दरअसल, दोनों प्रमुख दलों के मुख्य नेताओं के मंदिर जाने के पीछे बड़े सियासी समीकरण भी हैं. गुजरात की धरती पर मंदिरों और धामों का खासा महत्व है. पीएम मोदी ने जिस आशापुरा मंदिर में दर्शन करने के बाद चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया उसके भी बड़ी संख्या में अनुयायी हैं. आशापुरा को कच्छ की कुलदेवी माना जाता है और बड़ा तादाद में इलाके के लोगों की उनमें आस्था है.

राहुल गांधी ने भी मौजूदा चुनाव में कुलदेवियों पर आस्था के अनुरूप रणनीति अपनाई है. राहुल गांधी ने सौराष्ट्र के दौरे पर खोडलधाम माता मंदिर जाकर मत्था टेका था.  खोडलधाम का पटेलों में बड़ा असर है. ये संस्था सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में काफी ताकवर मानी जाती है. इन दो इलाकों के पटेल लोग खोडियार माता को कुलदेवी मानते हैं. मतदाता की दृष्टि से देखा जाए तो पाटीदारों के कुल वोटर में कड़वा पटेल करीब 40 फीसदी हैं. जो सौराष्ट्र और साउथ गुजरात की सीटों पर बड़ा असर डालते हैं.

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गुजरात की राजनीति में इन धामों का कितना महत्व है, इसे इस उदाहरण से भी समझा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी जब तक मुख्यमंत्री रहे, वो हर चुनाव में खोडलधाम माता के सामने मत्था टेकने जाते थे. हालांकि, इस बार पटेलों की नाराजगी के बावजूद मोदी वहां नहीं गए हैं.

दूसरी तरफ राहुल गांधी द्वारकाधीश मंदिर से लेकर गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर तक जा चुके हैं. बिना पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के राहुल राजकोट में जलाराम बापा के मंदिर भी जा चुके हैं. हालांकि, अभी तक उनका कच्छ दौरा नहीं हुआ है.

उत्तर और मध्य गुजरात में लेउवा पटेल उमिया माता को कुलदेवी मानते हैं. जिनका संगठन उमिया धाम ऊंझा है. गुजरात के पाटीदार वोटरों में लेउवा समुदाय करीब 60 फीसदी हैं. ऐसे में उमिया माता को मानने वाले लेउवा पटेल चुनावों में बेहद निर्णायक भूमिका अदा करते हैं. राहुल गांधी हाल में चुनाव प्रचार के दौरान तो वहां नहीं गए, लेकिन दिसंबर 2016 में जब राहुल गुजरात गए थे, तब उन्होंने उमिया धाम जाकर मत्था टेका था.

वहीं नवंबर के पहले हफ्ते में पीएम मोदी भी गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर के रजत जयंती समारोह के अवसर पर भव्य कार्यक्रम में शिरकत कर चुके हैं. वहीं अक्टूबर में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के गुजरात दौरे पर गए तब उन्होंने द्वारकाधीश मंदिर से अपने दौरे की शुरुआत की थी.

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हालांकि, कच्छ के मौजूदा चुनावी नतीजों को देखा जाए तो फिलहाल यहां बीजेपी का ही डंका बजता है. 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 6 में से 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने मांडवी, भुझ, अंजर, गांधीधाम और रापड़ सीट पर जीत फतह हासिल की थी. जबकि अबदासा सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. पार्टी की मजबूत स्थिति के बावजूद पीएम मोदी ने भुज जाकर मंदिर की शरण ली.

पीएम मोदी अक्सर मंदिरों की शरण में नजर आते हैं, लेकिन गुजरात दौरे पर राहुल का मंदिर चुनावी रणनीति के तौर देखा जा रहा है. बीजेपी ऐसे आरोप भी लगा चुकी है और राहुल के मंदिर जाने के पॉलिटिकल स्टंट करार दे चुकी है. मगर, बड़ी तस्वीर ये है कि चुनाव प्रचार के साथ दोनों पार्टियों से दोनों बड़े नेता मंदिरों की शरण ले रहे हैं.

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