
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर के आर्कबिशप की ओर से जारी पत्र को फतवा करार देते हुए कहा कि यह राष्ट्रभक्ति ही है जिसने हमें दुनिया के किसी भी हिस्से में हर भारतीय की मदद करने के लिए प्रेरित किया. पीएम मोदी ने यह बात रविवार को अहमदाबाद में गुरुकुल विश्वविद्याल प्रतिष्ठान में अस्पताल का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहीं.
पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रभक्ति ने उन्हें और उनकी सरकार को इसाइयों सहित विभिन्न धर्मों के लोगों की मदद करने के लिए प्रेरित किया. प्रधानमंत्री दरअसल उस पत्र का संदर्भ दे रहे थे जो पिछले माह गांधीनगर के आर्क डायोसिस के आर्कबिशप थॉमस मैकवान ने जारी किया था. पत्र में उन्होंने इसाइयों से अपील की थी कि वे देश को राष्ट्रवादी ताकतों से बचाने के लिए प्रार्थना करें.
मोदी ने कहा कि मैं यह देख कर हतप्रभ हूं कि एक धार्मिक व्यक्ति ने यह कहते हुए फतवा जारी किया था कि राष्ट्रवादी ताकतों को खत्म करें. यह राष्ट्रभक्ति ही है जिसने हमें दुनिया के किसी भी हिस्से में हर भारतीय की मदद करने के लिए प्रेरित किया. प्रधानमंत्री ने यहां श्री स्वामीनारायण गुरूकुल विश्वविद्या प्रतिष्ठानम के परिसर में एक अस्पताल का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित किया. उन्होंने बताया कि कुछ लोग अगर ऐसे मूल्यों का विरोध करते हैं तो यह चिंताजनक है.
आर्कबिशप ने यह भी कहा था कि अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की बढ़ती भावना की वजह से देश का लोकतांत्रिक ताना-बाना दांव पर है.
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने विभिन्न धर्मों के लोगों की जान बचाई और उन्हें रिहा भी कराया है. उन्होंने दुनिया के अलग अलग हिस्सों में जारी संघर्ष में फंसे इसाई मिशनरीज और नर्सों को केंद्र सरकार द्वारा वापस लाए जाने के कुछ उदाहरण भी दिए.
मोदी ने कहा कि भारतीयों के साथ-साथ हमने यमन से करीब 40 देशों के लोगों को बचाया क्योंकि ये लोग वहां चल रही लड़ाई की वजह से फंस गए थे. हमने न उनकी भाषा देखी न उनका धर्म देखा. यह हमारा राष्ट्रवाद और मानवीय मूल्य थे जिन्होंने हमें दिशा दिखाई. उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रवाद का मुद्दा इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि कुछ लोगों ने इसे चुनौती दी है.
प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि केरल की हमारी नर्सें इराक में फंसी थीं. इनमें से ज्यादातर ईसाई थीं. ये लोग आतंकवादियों के चंगुल में थे. क्या ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री या भारत का कोई नागरिक सो सकता था जब हमारी बेटियां आतंकवादियों के कब्जे में थीं. वर्ष 2014 में करीब एक माह तक आईएस उग्रवादियों के कब्जे में रहीं 46 नर्सों को केंद्र सरकार के सफल हस्तक्षेप के बाद वहां से लाया गया था.
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि किस तरह उनकी सरकार ने यमन में 18 माह तक संदिग्ध आईएसआईएस के कब्जे से केरल के पादरी टॉम उझन्नालिल को मुक्त कराने के लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया.
उन्होंने कहा कि फादर टॉम भी केरल के हैं. उनका पिछले साल यमन में आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था. वह तो ईसा मसीह का संदेश फैलाने वहां गए थे. एक बार फिर हमने अपने समस्त संसाधनों को उन्हें वापस लाने के काम में लगाया क्योंकि वह देश के पुत्र हैं. हम कुछ माह पहले उन्हें सफलतापूर्वक वापस ले आए. प्रधानमंत्री ने फादर एलेक्सिस प्रेम कुमार का उदाहरण भी दिया जिन्हें अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से मुक्त कराया गया था.
उन्होंने कहा कि एक अन्य इसाई जूडिथ डिसूजा पश्चिम बंगाल के हैं जिनका अफगानिस्तान में अपहरण किया गया. हमने उन्हें वापस लाने की हरसंभव कोशिश की और उन्हें सकुशल वापस ले आए, वह भी आतंकवादियों के कब्जे से. हम हमारी राष्ट्रभक्ति की वजह से ही ये सभी मानवीय कार्य कर पाए.