गुजरात विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. चुनाव आयोग के मुताबिक हर उम्मीदवार अधिकतम 28 लाख रुपये खर्च कर सकता है. सच तो यह है कि चुनाव की समूची प्रकिया ही पैसे पर टिकी है. ये सवाल कोई नहीं पूछेगा कि 28 लाख रुपये उम्मीदवार लाएगा कहां से? सवाल काले या सफेद का नहीं, सवाल तो ये है कि अगर हर सीट पर सिर्फ चार उम्मीदवार को ही मान लें, तो हर सीट पर कम से कम 1.12 करोड़ रुपये खर्च होंगे. और 1.12 करोड़ के हिसाब से राज्य की 182 सीट का खर्चा निकलेगा दो अरब 3 करोड़ 84 लाख रुपये. यानी अगले 50 दिनो में चुनाव प्रचार पर हर सीट पर सिर्फ चार उम्मीदवारों की व्हाइट मनी जो खर्च होने वाली है वह 2 अरब रुपये है. तो ये सवाल किसी को भी पूछना चाहिए कि इतना पैसा किसके पास है और जनता की नुमाइन्दगी करना अगर सेवा है तो फिर 2 अरब प्रचार पर खर्च कर 182 सेवा करने वाले नुमाइन्दे अभी तक बिना पैसे कौन-सा काम कर रहे थे?