देश की सियासत अक्सर मुहावरों के ईदगिर्द चलती है. एक मुहावरा है 'चाय की प्याली में तूफान'. 2014 में इसी चाय वाले तूफान ने कांग्रेस का बड़ा नुकसान किया था, लेकिन लगता है कि कांग्रेस ने कुछ सीखा नहीं. एक बार फिर से चाय वाले पर बहस आकर टिक गई है. इसे प्रधानमंत्री के अपमान से जोड़कर देखा जा रहा है. दूसरी तरफ, बीजेपी ने बार वाला टिप्पणी के साथ ही मुकाबला बराबरी पर कर दिया है. मोदी पर चाय वाला विवाद से चुनावी 'प्याली' गरम. बीजेपी के गढ़ अहमदाबाद से देखिए राजतिलक...