
गुजरात चुनाव में पूरी ताकत के साथ प्रचार कर रही आम आदमी पार्टी की मुसीबत बढ़ने वाली है. चुनाव आयोग को 57 नौकरशाहों की तरफ से एक चिट्ठी लिखी गई है. उस चिट्ठी में अपील की गई है कि आम आदमी पार्टी की सदस्यता को रद्द कर दिया जाए. आरोप लगाया गया है कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने चुनावी प्रचार के लिए सरकारी कर्मचारियों का इस्तेमाल किया है. उनके जरिए चुनाव में जीत की कोशिश की जा रही है.
चिट्ठी लिखने का क्या कारण?
अब 57 नौकरशाहों ने जो चिट्ठी लिखी है उसमें कहा गया है कि तीन सितंबर को राजकोट में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अरविंद केजरीवाल ने लगातार जोर देकर कहा था कि गुजरात के सरकारी कर्मचारी आप की जीत के लिए काम करें. उनकी तरफ से ऑटो वाले, आंगनवाड़ी कर्मचारी से लेकर पोलिंग बूथ ऑफिसर से भी मदद मांगी गई थी. अब तर्क ये दिया जा रहा है कि किसी भी राज्य में सिविल सर्वेंट राजनीति से दूर रहते हैं. उनका काम सिर्फ सरकारी योजनाओं को जमीन तक पहुंचाना होता है. वे किसी भी समय पक्षपात नहीं कर सकते हैं. लेकिन अरविंद केजरीवाल ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई बार उनसे पार्टी के लिए प्रचार करने की बात कही है.
केजरीवाल पर क्या आरोप लगा?
इस बात का भी जिक्र किया गया है कि गुजरात चुनाव में आप संयोजक ऑटोवालों को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. उनसे कहलवा रहे हैं कि झाड़ू को वोट दिया जाए. चिट्ठी में साफ कर दिया गया है कि पब्लिक सर्वेंट सिर्फ और सिर्फ लोगों की सेवा करने के लिए होते हैं. वे किसी भी वक्त राजनीति नहीं कर सकते हैं, किसी दल के लिए काम नहीं कर सकते हैं. दावा ये हुआ है कि अरविंद केजरीवाल के बयानों ने जनता के मन में इन सरकारी कर्मचारियों को लेकर विश्वास कम कर दिया है. ऐसा दिखाया गया है कि जैसे सभी सरकारी कर्मचारी किसी ना किसी राजनीतिक पार्टी के लिए काम करते हैं.
चुनाव आयोग के फैसले का इंतजार
नाराजगी तो इस बात पर भी जाहिर की गई है कि आम आदमी पार्टी द्वारा समय-समय पर सरकारी कर्मचारियों और नौकरशाहों को फ्री चीजों का लालच दिया जा रहा है. चिट्ठी में लिखा है कि आप ने कई बार कहा है कि समर्थन मिलने पर मुफ्त बिजली, शिक्षा दी जाएगी. महिलाओं के खाते में 1000 रुपये डाले जाएंगे. अब ऐसे वादों को, केजरीवाल के उस समर्थन को नौकरशाह गलत मान रहे हैं और चुनाव आयोग से एक्शन लेने की मांग की गई है.