
गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पार्टी के चुनावी अभियान को धार देने में जुटे हैं. गुजरात में इस बार ऐसे पांच फैक्टर हैं, जिनसे अरविंद केजरीवाल की उम्मीदें बढ़ी हुई हैं. यही वजह है कि एक महीने में केजरीवाल का यह तीसरा दौरा है जबकि दस दिन में वो दूसरी बार यहां पहुंच रहे हैं. ऐसे में हम बताते हैं कि आम आदमी पार्टी आखिर क्यों सात महीने पहले से ही गुजरात में अपनी ताकत पूरी तरह से झोंक रही है?
निकाय चुनाव में AAP की जीत
गुजरात में आम आदमी पार्टी की उम्मीदें तब जागी जब स्थानीय चुनाव में जीत का स्वाद चखा. दक्षिण गुजरात के सूरत नगर निगम के चुनाव में आम आदमी पार्टी 27 सीटें जीतने में कामयाब रही थी जबकि कांग्रेस खाता नहीं खोल सकी थी. सूरत में बीजेपी 93 सीटें जीतकर अपना मेयर बनाने में सफल रही, लेकिन पाटीदार बहुल इलाके में आम आदमी पार्टी की जीत ने उसका हौसला बढ़ा दिया है. इसके अलावा गांधी नगर सहित कई शहरों में आम आदमी पार्टी खाता खोलने में कामयाब रही. इसी चुनाव नतीजे के बाद सौराष्ट्र में उसकी उम्मीदें बढ़ गई हैं. सौराष्ट्र का पाटीदार समुदाय बीजेपी से नाराज माना जा रहा है, उसने पिछली बार कांग्रेस को वोट दिया था, उसी वोट में पैठ बनाने की कोशिश अरविंद केजरीवाल कर रहे हैं.
BTP के साथ AAP का गठबंधन
गुजरात में आदिवासी समुदाय के वोटर काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं. 15 फीसदी वाले आदिवासी समुदाय के लिए 27 सीटें रिजर्व हैं, जबकि उनका असर इससे कहीं ज्यादा सीटों पर है. आदिवासी समुदाय के वोटों को साधने के लिए अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के साथ गठबंधन किया है. AAP और बीटीपी गठबंधन से केजरीवाल की पार्टी को अपनी उम्मीद नजर आ रही है, जिससे ग्रामीण इलाके में अपने पैर पसारने का मौका मिल गया है.
कांग्रेस में गुटबाजी हावी
गुजरात कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के बीच की अंदरूनी कलह इन दिनों अपने चरम पर है. कांग्रेस के सभी नेता पार्टी के बजाय अपनी-अपनी हैसियत मजबूत करने में लगे हैं. गुजरात कांग्रेस कई गुटों में बंटी हुई है, जिसमें शक्ति सिंह गुट, भरत सोलंकी ग्रुप, जगदीश ठाकोर गुट और हार्दिक गुट बन गए हैं. गुजरात प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने लगातार प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. गुजरात में कांग्रेस की गुटबाजी से आम आदमी पार्टी को उम्मीदें दिखी हैं, जिसके चलते पिछले दिनों कांग्रेस के कई पूर्व विधायकों ने आम आदमी पार्टी का दामन थामा है. इससे केजरीवाल के हौसले बुलंद हो गए हैं.
एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर
गुजरात में बीजेपी 27 सालों से सत्ता में है. गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी लगातार छठी बार सरकार में आने के लिए दम लगा रही होगी, लेकिन उसके सामने एंटी इंकम्बेंसी की भी चुनौती है. बीजेपी के लिए यहां सत्ता विरोधी लहर की चिंता इसलिए ज़्यादा हो सकती है, क्योंकि पिछले चुनाव में उसकी सीटें सौ के नीचे चली आई थीं. हालांकि, बीजेपी ने गुजरात में मुख्यमंत्री के साथ-साथ पूरी कैबिनेट को ही बदलकर सत्ता विरोधी लहर को भी खत्म करने का दांव जरूर चला है, लेकिन उसकी 27 साल की एंटी इंकम्बेंसी का फायदा उठाने की तैयारी केजरीवाल कर रहे हैं. यही वजह है कि वो लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं.
पंजाब की जीत से बढ़ा उत्साह
आम आदमी पार्टी को हाल ही में पंजाब में जबरदस्त जीत मिली है तो गोवा में पार्टी का खाता खुला है. दिल्ली के बाद पंजाब में अब आम आदमी पार्टी की सरकार है, जिसके उसके हौसले बुलंद हो गए हैं. ऐसे में पंजाब में मिली जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने भगवंत मान के साथ गुजरात का दौरा किया था ताकि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार किया जा सके. केजरीवाल को गुजरात में सियासी उम्मीद दिखने लगी है, जिसके चलते एक के बाद एक दौरा कर रहे हैं और घोषणाओं का ऐलान भी शुरू कर दिया है.