
गुजरात विधानसभा चुनाव-2022 से पहले बिलकिस बानो केस एक बार फिर चर्चा में है. इसकी वजह है 20 साल पहले बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और परिवार के 7 सदस्यों की हत्या. इस वारदात में गुनहगार को जेल से मुक्त करने वाली गुजरात सरकार की पॉलिसी को लेकर अब गुजरात में राजनीति गरमा गई है. कांग्रेस भूपेंद्र पटेल सरकार पर लगातार इस बात को लेकर हमला कर रही हैं. वहीं, 20 साल बाद आज बिलकिस के उस गांव रणधीकपुर, जो कि लिमखेडा विधानसभा सीट में आया है. वहां एक बार फिर दहशत देखने को मिल रही है. लोग घरों को छोड़ यहां से निकल गए हैं.
यहां तक की आज गांव पूरी तरह से सन्नाटे में है. कुछ लोग इस गांव को छोड़ देवगढ बारिया में चले गए हैं, तो कुछ गोधरा में अपने रिश्तेदारों के घर चले गए हैं. लेकिन आज भी लिमखेडा सीट की इस विधानसभा में क्यों 2002 के दंगे जैसी दहशत हैं? विधानसभा चुनाव से पहले बिलकिस के गुनहगारों को छोड़ देने के लेकर अब क्या है राजनीति और क्या है इस सीट के समीकरण को जानते हैं.
गुजरात विधानसभा की लिमखेडा सीट से 2017 में बीजेपी के भाभोर शौलेश सुमनभाई जीते थे. उन्हें चुनाव में 74078 वोट मिले थे. उन्होंने कांग्रेस के तडवी महेश भाई को 19314 वोटों से हराया था और 54764 वोट मिले थे. इस सीट पर इससे पहले बीजेपी के विधायक थे. 1990 में जनता दल, 1995 में बीजेपी, 1998 में कांग्रेस, 2002 में बीजेपी, 2007 में कांग्रेस के उम्मीदवार यहां से जीते. 2012 में भी यहां बीजेपी को जीत मिली थी.
इस सीट पर शौलेष भाभोर अभी विधायक हैं. वह 2014 और 2019 के दाहोद से लोकसभा के सांसद रहे जसवंत सिंह भाभोर के भाई है. इस विधानसभा सीट पर अगर धर्म और जाति के हिसाब से वोटर देखे तो यहां ज्यादातर वोटर हिन्दू हैं. दाहोद की लिमखेडा सीट ST के लिए आरक्षित है.