
गुजरात में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव हैं. गुजरात में बीजेपी पिछले 27 साल से सत्ता में है. इस बार बीजेपी के सामने सत्ता बचाने की चुनौती है, तो कांग्रेस एक बार फिर राज्य में अपनी खोई जमीन तलाशने में जुटी है. उधर, दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी भी गुजरात चुनाव में उतरने का ऐलान कर चुकी है. इन सबके बीच हम आपको गुजरात के सूरत शहर की कतारगाम विधानसभा के बारे में बताने जा रहे हैं, वहां का इतिहास क्या रहा, अब तक किसका कब्जा रहा और इस बार कौन कौन से मुद्दे चुनाव में हावी होने जा रहे हैं.
सूरत शहर की कतारगाम विधानसभा क्षेत्र से 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के विनोद भाई मोरडीया विधायक के रूप में चुने गए थे. इससे पहले इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के नानू भाई वानानी विधायक हुआ करते थे. 2012 से लेकर 2017 तक नानू भाई वानानी विधायक रहे थे जो गुजरात सरकार में मंत्री भी रहे. नानू भाई बनानी ने 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नंदलाल पांडव को 43000 वोटों से हराया था जबकि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के विनोद मोरडिया ने कांग्रेस के जिग्नेश मेवासा को 79240 वोटों से हराया था.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
सूरत की कतारगाम विधानसभा का अस्तित्व भी 2008 में गुजरात में हुए विधानसभा क्षेत्रों के नए सीमांकन के बाद आया था. यह क्षेत्र भी सूरत की 84 विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था. भाजपा ने नई विधानसभा बनने के बाद नानू भाई वानानी को चुनावी मैदान में उतारा था जो यहां से जीतकर गुजरात विधानसभा पहुंचे थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नानू वानानी की टिकट काटकर विनोद मोरडिया को विधायक बनने का मौका दिया था और पहली बार विधायक बने विनोद मोरडिया को गुजरात सरकार के मंत्रालय में जगह मिली. फिलहाल वह शहरी विकास राज्य मंत्री हैं. कुल मिलाकर कतारगाम विधानसभा क्षेत्र की राजनीति पृष्ठभूमि भाजपा के समर्थन में रही है. अब देखना यह है 2022 के विधानसभा चुनाव में क्षेत्र से भाजपा अपने किस प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारती है.
कतारगाम विधानसभा की भौगोलिक स्थिति
2008 में हुए गुजरात विधानसभा के नए सीमांकन के बाद बनी कतारगाम विधानसभा क्षेत्र सूरत लोकसभा क्षेत्र में आता है. सूरत लोकसभा क्षेत्र से वर्तमान में दर्शना बेन जरदोष भाजपा की सांसद हैं और जो केंद्र सरकार में टेक्सटाइल और रेलवे राज्य मंत्री भी हैं. इस क्षेत्र का प्रमुख व्यवसाय डायमंड और टेक्सटाइल है. लेकिन ज्यादातर लोग डायमंड के कारोबार से जुड़े हैं. सूरत के कतारगाम विधानसभा क्षेत्र में अधिकतर मध्यमवर्गीय लोग रहते हैं जो अभी तक भाजपा के सपोर्टर साबित हुए हैं. इस क्षेत्र में टेक्सटाइल लूम्स के साथ साथ टैकटाइल मिल और डायमंड की छोटी बड़ी फैक्ट्रियां भी मौजूद है. जिनमें गुजरात समेत देश भर से रोजी रोटी कमाने आए श्रमिक काम करते हैं.
सामाजिक ताना-बाना और चुनावी मुद्दा
सूरत की कतारगाम विधानसभा क्षेत्र में अधिकतर पाटीदार समाज के लोग रहते हैं जो पाटीदार मुख्य रूप से गुजरात के सौराष्ट्र से आते हैं और उनका प्रमुख व्यवसाय डायमंड और टेक्सटाइल है. इसके अलावा प्रजापति समाज का भी प्रभुत्व इस विधानसभा क्षेत्र में है. साथ ही साथ एक दलित वर्ग भी बड़ी संख्या में रहता है. ऐसे में भाजपा ने 2012 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार समाज के नानू भाई वानानी और 2017 के विधानसभा चुनाव में सौराष्ट्र क्षेत्र से आने वाले पाटीदार समाज के विनोद मोरडिया को ही मैदान में उतारा था. जबकि कांग्रेस में इस क्षेत्र से 2012 में प्रजापति समाज से आने वाले नंदलाल पांडव को और 2017 के चुनाव में पाटीदार समाज से आने वाले जिग्नेश मेवासा को चुनावी मैदान में उतारा था लेकिन दोनों ही बार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था और भाजपा की जीत हुई थी.चुनावी मुद्दों की बात करें तो कतारगाम विधानसभा क्षेत्र में लोगों को मूलभूत सुविधाएं सूरत महानगर पालिका की तरफ से मिल रही हैं. फिर चाहे वो सड़क, पानी और बिजली ही क्यों ना हो. यहां कोई भी समस्या नहीं है.
मतदाताओं की सूची
कतारगाम विधानसभा क्षेत्र में 2022 के मतदाता सूची के अनुसार, 3,21,008 मतदाता हैं जिसमें से 1,76,555 महिलाएं हैं और 1,44,470 पुरुष मतदाता है.
2022 की चुनावी तस्वीर
2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आसानी से जीत दर्ज की थी. मौजूदा भाजपा विधायक विनोद मोरडिया 2005 से 2020 तक भाजपा के पार्षद भी रह चुके हैं. इस क्षेत्र में विकास रूपी लगभग सभी काम सूरत मनपा कर चुकी है. ऐसे में विधानसभा चुनाव के लिए कोई मुद्दे नहीं बचते हैं. तो 2022 में चुनावी स्थिति भाजपा के लिए और आसान रहेगी क्योंकि इस बार आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में आएगी और वो कांग्रेस के वोटर में ही सेंधमारी करती आई है.