
गुजरात के आणंद जिले में उमरेठ विधानसभा सीट है जो केवल 3 परिवारों के साथ बसा था. यह गांव आज तालुका का मुख्य गांव है. गांव के चारों ओर एक किला, चारों दिशाओं में द्वार, हर दिशा में खूबसूरत झीलें हैं. हरे-भरे जंगलों से भरे इस शहर को समृद्धि का द्वार कहा जा सकता है. गांव के चारों ओर चार खूबसूरत झीलें मालवसरोवर, पिपलियासरोवर, रामसरोवर ओर वडुसरोवर जो गांव की सुंदरता को बढ़ाती है.
गांव में श्री मूलेश्वर महादेव, श्री जगन्नाथ महादेव, श्री बद्रीनाथ महादेव आदि जैसे प्राचीन शिव मंदिर हैं और विष्णु, गणपति, जैसे वेदमन्य पंचदेव के मंदिर भी हैं. यहां पर श्री सहजानंदस्वामी ने कई बार उमरेठ में आकर उपदेश दिया. उन्होंने, ज्ञान, ऐश्वर्य और चमत्कार दिखाकर उमरेठ के कई लोगों को अपना शिष्य बनाया.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
उमरेठ विधानसभा में अब तक 13 बार और सारसा विधानसभा में 9 बार चुनाव हुए हैं. साल 2012 में नए सीमांकन के बाद सारसा विधानसभा का उमरेठ में विलय कर दिया गया. मध्य गुजरात के आणंद जिले की उमरेठ सीट पर क्षत्रिय-ओबीसी मतदाताओं का दबदबा है, जिसके चलते क्रमश: 1962, 1967 और 1972 में उम्मीदवार और आनंद जिले के वर्तमान राज्यसभा सांसद लाल सिंह विजेता बने थे.
बीजेपी ने ओबीसी- क्षत्रिय मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए सारसा विधानसभा सीट से एक बार के विजेता रहे गोविंदभाई परमार को एनसीपी के जयंत पटेल के खिलाफ मैदान में उतारा था. बात 2017 के विधानसभा चुनाव की करें तो यहां पर एनसीपी और कांग्रेस का गढबंधन टूट गया जिसके बाद यहां पर त्रिकोणीय जंग शुरू हुई जिसका फायदा भाजपा को हो गया.
उमरेठ में वोटरों की संख्या
पुरुष : 1,39,389
महिला : 1,32,994
अन्य : 5
कुल : 2,72,388
2017 का जनादेश
2017 में बीजेपी ने इस सीट पर 1,883 मतों से जीत हासिल की थी. बीजेपी उम्मीदवार गोविंद परमार को 68,326 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस उम्मीदवार कपिल चावडा को 66,443 वोट मिले थे.
विधायक रिपोर्ट कार्ड
नाम : गोविंदभाई परमार
उंमर : 68
अभ्यास : 5वीं पास
व्यवसाय : खेती, पशुपालन
परिवार : पत्नि
संपत्ति : 1,05,00,000
समस्याएं
उमरेठ का आर्थिक विकास पिछले 10 सालों से मानो अटक सा गया है. उमरेठ में शिक्षण संस्थानों की कमी है. लोगों को अपने बच्चों को 10वीं के बाद अच्छी पढ़ाई के लिए आणंद भेजना पड़ता है. यहां सिल्क साड़ियों का कारोबार भी पहले की तरह नहीं चल रहा. रोजगार, शिक्षण , सहित की सुविधा की उमेरठ में कमी है. (उमरेठ से हेताली शाह के इनपुट के साथ)
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