
गुजरात में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है. सभी नेता अपने गुणा-भाग में लगे हुए हैं. वहीं, भारतीय ट्राइबल पार्टी के नेता छोटू वसावा की लड़ाई इस बार बीजेपी से नहीं, बल्कि अपनों से ही होगी. क्योंकि एक समय उन्हीं के शागिर्द रहे 2 लोगों को आम आदमी पार्टी ने टिकट दे दिया है. अब ये दोनों कैंडिडेट बीटीपी के सामने चुनाव लड़ेंगे.
गुजरात में विधानसभा इलेक्शन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं. वैसे-वैसे कई बदलाव और कई नए गठजोड़ भी देखने को मिल रहे हैं. गुजरात में आदिवासी मुद्दों को लेकर लड़ने वाले BTP के नेता छोटू वसावा अपनी झगड़िया सीट से चुनाव लड़ेंगे. उनकी लड़ाई का केंद्र आदिवासियों के मुद्दे हैं. क्योंकि वह लंबे समय तक इस मुद्दे पर आवाज उठाते रहे हैं. साथ ही वह आदिवासियों के बड़े नेताओं में से एक हैं.
भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) को इस बार गुजरात के विधानसभा चुनाव में अपनों को ही टक्कर देनी होगी. क्योंकि BTP के एक समय के कद्दावर युवा नेता कहे जाने वाले डॉ. प्रफुल्ल वसावा और चैतर वसवा आज आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.
प्रफुल्ल वसावा कई साल तक बीटीपी से जुड़े रहे हैं. उन्होंने लंबे समय तक छोटू वसावा और महेश बसावा के साथ राजनीति की है. साथ ही उन्होंने भीलीस्थान टाइगर सेना भी बनाई थी और स्थानीय आदिवासियों को मिलाकर केवडिया बचाओ आंदोलन समिति बनाई थी. जिसके जरिए उन्होंने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के इलाके के आदिवासी समाज के मुद्दों को लेकर आवाज उठाई.
प्रफुल्ल वसावा पहले भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ रहे, लेकिन उन्होंने अब आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है. वह नांदोद विधानसभा से AAP की टिकट पर चुनावी मैदान में उतर रहे हैं.
वहीं, बीटीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश भाई वसावा डेडियापाड़ा से विधायक हैं. उनकी जीत में पिछली बार चैतर वसावा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. चैतर ने आदिवासियों के मुद्दों को लेकर कई आंदोलन किए हैं. साथ ही वह काफी समय से बीटीपी से जुड़े हुए थे. इतना ही नहीं, उन्हें छोटू वसावा के पुत्र महेश वसावा का राइट हैंड भी कहा जाता था. लेकिन टिकट के बंटवारे को लेकर चैतर वसावा बीटीपी छोड़कर AAP में शामिल हो गए थे. केजरीवाल ने चैतर को डेडियापाडा से कैंडिडेट बनाया है.
चैतर वसावा कहते हैं कि जल, जंगल, जमीन और गरीबों के हक के मुद्दे पर हम चुनाव लड़ रहे हैं. लोग बीजेपी से लोग थक गए है और कांग्रेस में अब दम नहीं है. वहीं प्रफुल्ल वसावा ने कहा कि जब तक दूसरे लोग कैंडिडेट घोषणा करेंग, तब तक हम लोग डोर टू डोर प्रचार का एक शेड्यूल पूरा कर लेंगे.
भारतीय ट्राइबल पार्टी का अहमद पटेल की वजह से 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के साथ गठबंधन हुआ था. इसके बाद बीटीपी ने 2019 में स्थानीय पंचायत चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से गठबंधन कर लिया था. इससे बीटीपी को काफी नुकसान हुआ था. क्योंकि आदिवासी समाज में हिंदुत्व की बड़ी लहर है.
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