
गुजरात विधानसभा चुनाव में पहले चरण में 19 जिलों की 89 सीटों पर मतदान हुआ जिसमें 788 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम मशीन में कैद हो चुकी है. गुरुवार को पहले चरण में मतदाताओं का उत्साह पिछली बार के विधानसभा चुनाव की तरह नहीं दिखा. पहले चरण की 89 सीटों पर मतदान 60.20 फीसदी रहा जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर 68 फीसदी वोटिंग हुई थी.
पहले चरण की वोटिंग का ट्रेंड
गुजरात चुनाव के पहले चरण में सौराष्ट्र-कच्छ और दक्षिण गुजरात के जिलों की वोटिंग ट्रेंड को देखें तो पिछले चुनाव से इस बार करीब आठ फीसदी वोटिंग कम हुई है. गुजरात के 2012 के विधानसभा चुनाव में पहले चरण में 70.75 फीसदी मतदान हुआ था. इस तरह से पिछले दो चुनाव की तुलना में इस बार वोटिंग प्रतिशत घटा है, जिसके चलते राजनीतिक दलों की धड़कनें बढ़ गई हैं. इस बार कांग्रेस और बीजेपी के अलावा आम आदमी पार्टी के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय भी माना जा रहा है.
कहां कितना हुआ मतदान?
चुनाव आयोग के मुताबिक, गुजरात चुनाव के पहले चरण में नर्मदा जिले में सबसे अधिक 73.02 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई तो तापी जिले में 72.32 फीसदी मतदान रहा. इस तरह आठ जिलों में करीब 60 फीसदी से ज्यादा मतदान दर्ज किया गया. सूरत में 60.17 फीसदी, भरूच में 63.28, डांग में 64.84, सोमनाथ 60.46, मोरबी में 67.60, नर्मदा में 68.09, नवसारी में 65.91, सुरेंद्र नगर में 60.71 और वलसाड में 65.24 फीसदी वोट पड़े. देवभूमि द्वारका 59.11, राजकोट में 57.69, बोटाद में 57.15, अमरेली में 52.93, भावनगर में 57.81, जामनगर में 53.98, जूनागढ़ में 56.95, कच्छ में 54.91 पोरबंदर में 53.1 फीसदी मदतान रहा.
सौराष्ट्र-कच्छ में घटा मतदान
सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र के 12 जिलों की 54 सीटों पर इस बार 58 फीसदी मतदान हुआ है जबकि 2017 में 65 फीसदी मतदान हुआ था. वहीं, दक्षिण गुजरात की बात करें तो सात जिलों की 35 सीटों पर 66 फीसदी मतदान हुआ है जबकि 2017 में 70 फीसदी मतदान हुआ था. ऐसे में सौराष्ट्र-कच्छ के इलाके की सीटों पर पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में 7 फीसद कम वोटिंग रही है जबकि दक्षिण गुजरात की सीटों पर 4 फीसदी कम मतदान हुआ.
सौराष्ट्र-कच्छ के 12 जिलों में सिर्फ मोरबी में ही 54 फीसदी वोट पड़े हैं जबकि अन्य जिलों में 50 फीसदी से भी कम वोटिंग हुई है. इस तरह पाटीदार बहुल क्षेत्र में कम मतदान और आदिवासी-ओबीसी बहुल सीटों पर ज्यादा मतदान कैंडिडेट ही नहीं बल्कि राजनीतिक दलों को भी असमंजस में डाल दिया है.
कांग्रेस को लाभ, बीजेपी को नुकसान
पहले चरण की सीटों पर 2017 के चुनाव को देखें तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था. सौराष्ट्र-कच्छ इलाके में बीजेपी पर कांग्रेस भारी पड़ी थी जबकि दक्षिण गुजरात में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था. पहले चरण की जिन 89 सीटों पर चुनाव हुए हैं, उन पर 2017 के चुनाव में बीजेपी 48 सीटें जीती थीं तो कांग्रेस 39, बीटीपी 2 और एनसीपी को एक सीट मिली थी. 2012 के चुनावी नतीजे को देखें तो 89 सीटों में से बीजेपी 63, कांग्रेस 22 और अन्य को चार सीटें मिली थी. इस तरह से कांग्रेस को फायदा और बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था.
2017 में कांग्रेस ने 89 में से 38 सीटों पर लगभग 42 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी. बीजेपी ने 49 फीसदी वोट शेयर के साथ 48 सीटों पर कब्जा जमाया था. हालांकि, 2012 के चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच का अंतर बहुत बड़ा था. तब बीजेपी 48 प्रतिशत की तुलना में कांग्रेस से 10 प्रतिशत ज्यादा वोट मिले थे. वोट फीसदी का असर सीटों पर भी दिखा था, लेकिन 2017 में कांग्रेस को 10 फीसदी वोट का इजाफा हुआ था. हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव के लिहाज से बीजेपी ने 89 में से 85 सीटों पर करीब 62 प्रतिशत वोट शेयर के साथ बढ़त बनाई थी.
70 फीसदी वाली सीटों के नतीजे
2017 के चुनाव में जिन विधानसभा सीटों पर 70 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई थी, उनमें से ज्यादातर सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी. पहले चरण की 27 विधानसभा सीटें थी, जिन पर 70 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई थी. इन सीटों के नतीजे को देखें तो 14 कांग्रेस और 11 बीजेपी को मिली थी. कपराडा, नीजर, मांडवी, व्यारा, वांसदा, नंदोद, सोमनाथ, वंकानेर, टंकारा, जसदण, डांग्स, मोरबी, जंबुसर, तलाला में कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत मिली थी. वहीं, बीजेपी ने जेतपुर, अंकलेश्वर, मांडवी, नवसारी, जलालपोर, धरमपुर, मंगरोल, महुवा, वागरा, गनदेवी, बरदोली सीटों पर अपना परचम लहराया था. इसके अलावा बीटीपी ने दो सीटें डेडीआपाडा और झगडिया जीती थी.
बीजेपी का खराब प्रदर्शन
पिछले चुनाव में बीजेपी का सबसे खराब प्रदर्शन सौराष्ट्र के इलाके में रहा था. पहले चरण की 19 जिलों में से बीजेपी 7 जिलों में खाता नहीं खोल सकी थी. अमरेली, नर्मदा, डांग्स, तापी, अरावली, मोरबी और गिर सोमनाथ जिले में बीजेपी को एक सीट नहीं मिली थी. अमरेली में कुल पांच, गिर सोमनाथ में चार, अरावली और मोरबी में तीन-तीन, नर्मदा और तापी में दो-दो और डांग्स में एक सीट है. इन सभी जगह कांग्रेस को जीत मिली थी. सुरेंद्रनगर, जूनागढ़ और जामनगर में कांग्रेस ने बीजेपी से ज्यादा सीटें जीती थी. सुरेंद्रनगर जिले की पांच में से चार, जूनागढ़ जिले की पांच से चार और जामनगर जिले की पांच में से तीन सीटें कांग्रेस जीती थी.
कांग्रेस का कहां रहा खराब प्रदर्शन
पहले चरण में पोरबंदर इकलौता जिला था, जहां पर कांग्रेस का खाता नहीं खुला था. बीजेपी यहां की दोनों ही सीटें जीतने में कामयाब रही थी. कच्छ, राजकोट, भावनगर, भरूच, सूरत, नवसारी और बलसाड़ में बीजेपी ने कांग्रेस से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही थी. सूरत की 16 में से बीजेपी 15 सीटें जीती थी और कांग्रेस को महज एक सीट मिली थी. बीजेपी की सत्ता में वापसी में सूरत का सबसे अहम योगदान रहा था.