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गुजरात चुनाव: जिस बोटाद में जहरीली शराब से त्रासदी, वहां कई परिवारों के सामने खाने तक का संकट

गुजरात के बोटाद जिले में जुलाई महीने में जहरीली शराब पीने से त्रासदी हुई थी. घटना में 37 लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस ने इस मामले में 24 लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया था. इस घटना के बाद कई परिवारों के सामने दो वक्त की रोटी जुटाने का संकट खड़ा हो गया है. परिवार में महिलाओं से लेकर बुजुर्ग और बच्चे तंगहाली में जीवन-यापन कर रहे हैं.

जहरीली शराब पीने से वशरामभाई की मौत हो गई थी. उनके परिवार के बच्चे के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. (फोटो- साजिद आलम) जहरीली शराब पीने से वशरामभाई की मौत हो गई थी. उनके परिवार के बच्चे के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. (फोटो- साजिद आलम)
सौरभ वक्तानिया
  • बोटाद,
  • 22 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:52 AM IST

गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं. आजतक की टीम पहुंची बोटाद और यहां लोगों से बातकर उनकी समस्याएं जानीं. बोटाद, भावनगर और अहमदाबाद से बना एक छोटा-सा जिला है, जिसमें दो विधानसभा सीटें हैं, एक बोटाद और दूसरी गढड़ा (Gadhada). बोटाद पहले भावनगर रियासत के अधीन था. इसलिए यहां कुछ ऐतिहासिक संरचनाएं देखने को मिलती हैं. बोटाद कपास की खेती के लिए प्रसिद्ध है. हालांकि बोटाद जहरीली शराब त्रासदी के लिए बदनाम है. जुलाई के महीने में यहां जहरीली शराब त्रासदी हुई और 45 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. चुनाव में जहरीली शराब त्रासदी प्रमुख मुद्दा है. ऐसे में क्या बोटाद में जहरीली शराब का असर होगा?

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हम उन परिवार के सदस्यों से मिले, जिन्होंने जहरीली शराब त्रासदी में अपना एकमात्र कमाने वाले खो दिए थे. इनकी माली हालत बहुत खराब है. वे बमुश्किल 10-15 रुपये प्रतिदिन कमाते हैं. एक वक्त का खाना भी मुश्किल से मिल पाता है. बुजुर्ग कम खाते हैं, ताकि बच्चे खा सकें.

हम वशरामभाई परमार के परिवार से मिले. जहरीली शराब त्रासदी में महज 25 साल के वशरामभाई की मौत हो गई थी. वशरामभाई के परिवार में उनकी पत्नी, तीन बच्चे, भाभी, बिस्तर पर पड़े भाई और उनके बच्चे हैं. परिवार में कुल 8 सदस्य हैं. वशरामभाई की पत्नी आरतीबेन ने बताया कि स्थिति बहुत खराब है. हमारे पास कोई काम नहीं है. मेरे पति काम करते थे. वे अब चले गए हैं. मेरे बच्चों के लिए पैसे नहीं हैं. हम मजदूरी करते हैं और कमाते हैं. मेरे जेठ बिस्तर पर पड़े हैं. .मैं और मेरी जेठानी मजदूरी करते हैं और कमाते हैं. परिवार में मेरे पति इकलौते कमाने वाले व्यक्ति थे. वह कमाते थे और हम खाते थे. हमारे पास गैस सिलेंडर है लेकिन गैस सिलेंडर भराने के लिए पैसे नहीं हैं. अगर कोई काम दे देता है तो हमें खाने के लिए पैसे मिल जाते हैं. हमें एक किट मिली है लेकिन एक महीने की किट है. 

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आरतीबेन की जेठानी सोनाबेन ने बताया कि घर में कोई कमाने वाला नहीं है. मेरे पति बिस्तर पर पड़े हैं. हम दोनों लगभग 10-15 रुपये कमाते हैं और उसके बाद खाना बनाते हैं. 5 से 10 रुपये के लिए हम रोज के खाने के लिए तेल मिर्ची लाते हैं. लकड़ी के डंडे जलाकर खाना बनाना होता है. स्थिति बहुत खराब है. हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि हमें कुछ काम दें, ताकि हम कमा सकें.

इसके बाद हम भूपतभाई वाघेला के घर पहुंचे. भूपतभाई 27 साल के थे और अपने पीछे पत्नी, दो बेटियां और बुजुर्ग माता-पिता को छोड़ गए हैं. वे परिवार में इकलौता कमाने वाले सदस्य थे. हमने भूपतभाई के चाचा मंगनभाई से बात की. उन्होंने बताया कि भूपतभाई परिवार में एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे. दो छोटी-छोटी बेटियां हैं. वे कमाते थे और परिवार के लिए भोजन नसीब हो पाता था. अब वे जीवित नहीं हैं. हमें सरकार से कोई मदद नहीं मिली. हम सब भूख से मरने वाले हैं. यहां कुछ भी नहीं है. हम भीख मांगते हैं. हम गांव वालों से खाना मांगते हैं और वे हमें कब तक खाना देंगे.

भूपतभाई की पत्नी मनीषाबेन ने कहा- मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे हैं. हम कहां जाएं. माता-पिता की तबीयत ठीक नहीं है. सरकार कुछ करे, परिवार चलाना बहुत मुश्किल है.

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घटना में इसी गांव के एक अन्य परिवार मुकेश परमार (35 साल) की मौत हो गई थी. उनके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं. मुकेश भी परिवार में इकलौता कमाने वाला सदस्य था. मुकेश के 14 साल के बेटे राहुल ने बताया कि मम्मी काम करती हैं. वे अब हमारे लिए कमाती हैं. मम्मी ही सब कुछ करती हैं. मुकेश की पत्नी रंजनबेन ने बताया कि किसी से कोई मदद नहीं मिल रही है. मेरे पति परिवार में इकलौते कमाने वाले सदस्य थे. उन्हें सीने में दर्द था लेकिन फिर भी हम लोगों के लिए काम करते थे. अब अगर मुझे लेबर जॉब मिलती है तो मैं कमाती हूं. नहीं तो पैसा नहीं हैं. अगर कोई हमारी मदद करता है या सरकार हमारी मदद करती है तो बहुत अच्छा होगा. अब तक हमें कोई मदद नहीं मिली है.

वहीं, डूंगरानी कहती हैं कि घटना से पहले गांव के सरपंच जिगर डूंगरानी ने पुलिस से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. मेरे गांव में दस लोग मर गए. जिन लोगों की मौत हुई उनके परिवार में अब कोई कमाने वाला नहीं है. वे अकेले कमाने वाले सदस्य थे. महिलाएं कितना काम करेंगी. बच्चे कैसे पढ़ेंगे. सरकार ने कुछ नहीं किया. बाद में क्या हुआ- निलंबन? हमने मांग की कि परिवार के सदस्यों को कुछ समर्थन और मदद मिले. लोग बहुत गुस्से में हैं और यह चुनाव में भी देखा जाएगा. गुजरात में इस बार बदलाव होगा. परिवार के सदस्यों की मदद के लिए कुछ धर्मार्थ ट्रस्ट को आगे आना चाहिए.

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बताते चलें कि बोटाद में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला है. कांग्रेस के लिए मनहर पटेल चुनाव लड़ रहे हैं जबकि भाजपा के घनश्याम विरानी चुनाव लड़ रहे हैं. हमने दोनों से बात की.

कांग्रेस उम्मीदवार मनहर पटेल ने कहा- हमारा अभियान चल रहा है. गुजरात में बीजेपी की सरकार है लेकिन महंगाई, बेरोजगारी, पेपर लीक और ऐसे कई मुद्दे हैं. दुर्भाग्य से केवल बीजेपी मजबूत हुई है, गुजरात के लोग नहीं. जहरीली शराब त्रासदी में गांव के सरपंच और लोगों ने पहले ही बता दिया था. पहले जहरीली शराब बताया. बाद में केमिकल बताया. आईजी का ट्रांसफर नहीं हुआ. निचले स्तर पर कुछ कर्मचारियों का तबादला हुआ और कुछ नहीं हुआ. परिवार वालों को कुछ नहीं मिला. सभी आरोपी जेल से बाहर नहीं हैं. घटना के लिए बीजेपी जिम्मेदार है. इस बार बदलाव होगा.

वहीं, बीजेपी प्रत्याशी घनश्याम विरानी चुनाव जीतने को लेकर काफी आश्वस्त नजर आए. विरानी ने कहा- हम आश्वस्त हैं क्योंकि हमारा जमीनी स्तर का काम खुद बोलता है. हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. 50 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीतने जा रहे हैं. जहरीली शराब त्रासदी बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, जिन्हें कोई मदद नहीं मिली है, हम उनकी मदद जरूर करेंगे.

बोटाद की दोनों सीटों पर बीजेपी काफी आत्मविश्वास से भरी नजर आ रही है. हालांकि, कांग्रेस को कमतर नहीं आंका जा सकता है. कांग्रेस डोर टू डोर कैंपेनिंग बहुत अच्छा कर रही है. दोनों सीटों पर कौन बाजी मारेगा यह देखना काफी दिलचस्प होगा.

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