
भारतीय निर्वाचन आयोग ने गुजरात में दूसरे चरण से पहले वोटर्स से अपील की है कि वो घरों से आएं और अपने वोट के अधिकार का प्रयोग करें. पहले चरण में गुजरात के कई जिलों में औसत से भी कम वोटिंग दर्ज की गई है. प्रदेश में पहले चरण में कुल 63.3 फीसदी मतदान हुआ है.
गुजरात के सूरत, राजकोट और जामनगर में राज्य के औसत से भी कम वोटिंग दर्ज की गई. पहले चरण में वोटिंग की भरपाई के लिए निर्वाचन आयोग ने वोटर्स से अपील की है कि वो बड़ी संख्या में घर से बाहर निकलकर संवैधानिक दायित्वों को निभाएं. इससे पहले हिमाचल प्रदेश में शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम वोटिंग हुई थी, यहां 62.53 फीसदी मतदान दर्ज किया गाय था, जबकि राज्य का औसत 75.6 फीसदी था. शिमला की ही तरह गुजरात के शहरी इलाकों में भी वोटिंग के दौरान उदासीनता दिखाई दी.
वोटिंग के आंकड़ों पर चिंता जताते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने गुजरात के मतदाताओं से अपील करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकलें और वोटिंग करें ताकि पहले चरण की भरपाई की जा सके. प्रदेश के 2017 चुनावों में वोटिंग परसेंटेंज से ज्यादा इस बार वोटिंग तभी हो पाएगी, जब ज्यादा से ज्यादा लोग घरों से बाहर निकलें. पहले चरण में एक कच्छ जिले में सबसे कम 47.86 फीसदी मतदान हुआ, जोकि 2017 में पिछले चुनाव की तुलना में 6.34 फीसदी कम हुआ. इसके बाद सूरत की करंज सीट पर 55.91 फीसदी मतदान हुआ. निर्वाचन आयोग की पूरी कोशिश है कि अधिकतम मतदाता निर्वाचन केंद्र यानी पोलिंग बूथ तक पहुंचें और अपने मताधिकार का प्रयोग कर संवैधानिक कर्तव्य निभाएं.
हिमाचल में हुई थी 75 फीसदी वोटिंग
इससे पहले हिमाचल प्रदेश की 68 सीटों पर बीते 12 नवंबर को मतदान हुआ था. यहां वोटर्स ने करीब 75 फीसदी वोटिंग की. प्रदेश में चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे. इस बार 412 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद है. बता दें कि राज्य में साल 2017 के चुनावों में 74.6 फीसदी वोटिंग हुई थी. हिमाचल में नई सरकार चुनने के लिए राज्य में मतदाताओं के साथ-साथ मतदान अधिकारियों ने भी सर्दी के मौसम में गजब का उत्साह दिखाया. इस दौरान दुर्गम स्थानों वाली पोलिंग पर भी मतदान हुआ. इसके लिए टीमों ने बर्फ से ढंकी सड़कों और पहाड़ों को पार किया.