
गुजरात में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान को लेकर सस्पेंस बरकरार है. मोरबी हादसे के बाद से चुनाव आयोग के गलियारों में ये चर्चा जोरों पर है कि पांच नवंबर को घोषणा होगी या फिर कुछ और महीने के लिए चुनाव की तारीखें टाल दी जाएंगी? फिलहाल, आयोग के फैसले पर हर किसी की निगाहें टिकी हैं. इससे पहले चुनाव आयोग ने गुजरात सरकार से सालों से एक ही जगह पर जमे अफसरों के तबादले की सूची तलब की थी. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही थी कि आयोग 2 नवंबर तक चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है.
बता दें कि मोरबी हादसे के बाद 2 नवंबर को गुजरात में राजकीय शोक है. चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक शोक दिवस के बाद कभी भी चुनावी कार्यक्रम का ऐलान हो जाएगा. इस सिलसिले में तीन या पांच नवंबर को चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस होने की प्रबल संभावना है.
हिमाचल के साथ चुनाव नतीजे घोषित करने का प्लान?
चुनाव आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले होने के बाद अब ये आखिरी अड़चन भी दूर हो गई है. बाकी चुनावी तैयारियां समय से ही आगे बढ़ रही हैं, लेकिन बीच में अचानक मोरबी में हुए पुल हादसे के बाद फिर रोड़ा अटक गया. वहीं, हिमाचल प्रदेश के चुनावी कार्यक्रम के मुताबिक, 8 दिसंबर को नतीजे आने हैं. कहा जा रहा है कि गुजरात के भी नतीजे साथ ही घोषित करने का प्लान है. लिहाजा, दो चरणों में मतदान दिसंबर के पहले हफ्ते में ही होगा.
दो चरणों में चुनाव कराए जाने की चर्चा
संभव है कि पहला चरण एक या दो दिसंबर और दूसरे चरण में चार या पांच दिसंबर को मतदान कराया जाए, इससे मतगणना 8 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के साथ ही हो जाएगी. आयोग की योजना है कि दक्षिणी गुजरात में शायद पहले चरण में ही मतदान करा लिया जाए.
तारीखों के ऐलान में बढ़ता जा रहा अंतर
इससे पहले 2017 में विधानसभा चुनाव के लिए हिमाचल प्रदेश में 12 अक्टूबर और गुजरात में 13 दिन बाद 25 अक्तूबर को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की गई थी. इस बार ये 13 दिनों का अंतराल बढ़कर 21 दिन तक जा सकता है. हिमाचल चुनाव की तारीखों का ऐलान 14 अक्टूबर को किया गया था. वैसे भी गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 18 फरवरी 2023 तक है.
कम समय में ही चुनाव करवाने चर्चा
चुनाव प्रचार के लिए उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को संभवत: 25 से 30 दिनों का समय मिलेगा. वैसे भी आयोग के सूत्र इस बात की तस्दीक करते हैं कि ज्यादा समय देने पर टेंशन भी बढ़ जाती है. लिहाजा, जितना समय जरूरी होगा, उतना समय जरूर दिया जाएगा.
जनवरी तक भी कराए जा सकते हैं चुनाव
एक आशंका और चर्चा ये भी है कि अगले साल 18 फरवरी तक कार्यकाल होने से शायद चुनाव भी आराम से जनवरी 2023 में कराया जाए. हालांकि इस पर आयोग की मीटिंग में ही काफी सवाल उठे कि आखिर आयोग इस आगे बढ़ाने के विचार को जस्टिफाई यानी तर्क संगत कैसे बताएगा?