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'ट्रेन नहीं तो वोट नहीं'! गुजरात के 35000 से ज्यादा वोटर्स कर रहे चुनाव का बहिष्कार, जानें वजह

गुजरात में 1 दिसंबर को पहले चरण की वोटिंग होने वाली है. लेकिन इस बीच गुजरात के नवसारी जिले के करीब 19 गांव के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया है. यहां पढ़िए क्यों चुनावों का बहिष्कार कर रहे 35000 से ज्यादा वोटर्स.

Gujarat Voters plan to boycott voting Gujarat Voters plan to boycott voting
aajtak.in
  • नवसारी,
  • 18 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST

गुजरात में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. 1 और 5 दिसंबर को गुजारत में वोटिंग होनी है. इसी को देखते हुए सभी राजनीतिक पार्टियों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है. लेकिन इस बीच गुजरात के नवसारी जिले के गणदेवी तालुका के अंचेली और उसके आसपास के करीब 19 गांव के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है. गांव में जगह-जगह 'ट्रेन नहीं तो वोट नहीं' के पोस्टर-बैनर देखने को मिल रहे हैं. बता दें, अंचेली गांव से महज 15 किमी दूर केशली गांव में देश की पहली बुलेट ट्रेन के लिए स्टेशन बन रहा है. 

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क्यों हो रहा चुनाव का बहिष्कार? 
दरअसल, कोरोना के दौरान जब लॉकडाउन लगा उससे पहले अंचेली गांव के स्टेशन पर वेस्टर्न रेलवे ने करीब 16 ट्रेनों को स्टॉपेज दिया हुआ था. लेकिन लॉकडाउन के हटने के बाद से इस गांव में सिर्फ 11 ट्रेनें रुकती हैं, जिससे अंचेली और आसपास के करीब 19 गांव के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. गांव से सूरत वापी समेत अन्य शहर में जो लोग नौकरी के लिए जाते थे उन्हें महीने के 400 रुपये रेल पास का खर्चा आता था लेकिन अब प्राइवेट गाड़ी से जाने पर अधिक समय के साथ 3000 के करीब खर्चा आता है. 

इस समस्या को लेकर ही गांववालों ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है. पिछले एक साल से इस समास्या को लेकर सांसद सी आर पाटिल, रेल मंत्री दर्शना जरदोस से बात करने के बाद भी कोई समाधान नहीं हुआ. जिसके बाद गांववालों ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया है. 

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'ट्रेन नहीं तो वोट नहीं' के पोस्टर-बैनर

35000 वोटर्स का चुनाव बहिस्कार
आजतक से बातचीत में अंचेली गांव के हितेश नायक ने बताया कि अंचेली और आसपास के 19 गांवों में करीब 35000 से ज्यादा वोटर्स हैं, जो आने वाली 1 दिसंबर के दिन होने वाले चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे और मतदान से दूर रहेंगे. उन्होंने कहा कि हमने 'ट्रेन नहीं तो वोट नहीं' के साथ सभी राजकीय पार्टियों के गांव में प्रवेश पर पाबंदी लगाई है. उनका कहना है कि किसी भी पार्टी के लोगों को वोट मांगने के लिए गांव में आने की जरूरत नहीं है. उन्होंने बताया कि जब भाजपा प्रत्याशी गांव में पहुंचे तो लोगों ने उन्हें घेरकर खूब सवाल किए और हाथ जोड़ कर उन्हें वापस लौटा दिया. 

बुलेट ट्रेन जरूरी या लोकल ट्रेन?
गांव की महिलाओं का कहना है कि अंचेली के साथ 19 गांव के हजारों लोग अपनी रोजीरोटी और रोजमर्रा की जिंदगी के लिए इस ट्रेन का इस्तेमाल करते हैं. अब जबकि इस स्टेशन पर लोकल ट्रेन को स्टॉपेज नहीं मिल रहा तब अंचेली से नजदीक केवल 15 किमी दूर केशली गांव में 350 की स्पीड से गुजरनेवाली ट्रेन को स्टॉपेज दिया गया है, जहाँ ये फास्ट ट्रेन रुकेगी. क्या ये महंगी ट्रेन गरीब लोगों की लाइफ लाइन बन पाएगी?  

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(रिपोर्ट: रौनक जानी)

 

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