
गुजरात में एक हीरा व्यापारी का BJP ज्वॉइन करना नया सियासी अखाड़ा बन गया है. विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा होने की बड़ी वजह भी है. ये हीरा व्यापारी अपने कर्मचारियों पर आम आदमी पार्टी (AAP) का प्रचार करने को लेकर पाबंदी लगा चुका है. ऐसे में आम आदमी पार्टी को बीजेपी पर हमलावर होने का मौका भी मिल गया है.
सूरत के हीरा कारोबारी दिलीप धापा ने हाल ही में बीजेपी के राज्य मुख्यालय 'श्री कमलम' में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. उनके अपने कर्मचारियों को AAP का प्रचार करने से रोकने की आम आदमी पार्टी ने आलोचना की है. AAP का कहना है कि बीजेपी लोगों और नागरिकों की आजादी पर प्रतिबंध लगाने को बढ़ावा दे रही है.
दिलीप धापा को BJP में शामिल कराने की एक फोटो पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सी. आर. पाटिल ने अपने ट्विटर पर भी शेयर की थी. साथ ही लिखा था-मैं सूरत के हीरा व्यापारी दिलीप धापा का बीजेपी में आने का स्वागत करता हूं. उन्होंने अपनी फैक्टरी के एम्प्लॉइज को रेवड़ियां बेचने वाली पार्टी का प्रचार करने से रोक दिया था, साथ ही चेतावनी भी दी थी कि ऐसा करने वाले को नौकरी से निकाल दिया जाएगा. ऐसा उन्होंने स्वेच्छा से किया था.
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के नेशनल कन्वेनर अरविंद केजरीवाल ने गुजरात चुनावों के लिए कई 'गारंटी' का एलान किया है. बीजेपी उनके इन चुनावी वादों को 'मुफ्त रेवड़ी बांटना' करार देती है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कई मौकों पर आम आदमी पार्टी का नाम लिए बिना 'रेवड़ी कल्चर' की बात कर चुके हैं.
वहीं सी. आर. पाटिल के ट्वीट को लेकर आम आदमी पार्टी के जनरल सेक्रेटरी इशुदान गढ़वी ने हमला बोला है. उन्होंने कहा कि वो ऐसे इंसान की तारीफ कर रहे हैं जो लोगों की आजादी को दबाना चाहता है.
गढ़वी ने अपने ट्वीट में कहा, ''लोकतंत्र में लोगों को अपनी पसंद की पार्टी चुनने का अधिकार है. आप लोगों का अधिकार छीनने वाले व्यक्ति को बढ़ावा देकर, क्या गुजरात को गुंडा-राज बनाना चाहते हैं. ऐसे आदमी को बढ़ावा देना चाहते हैं जो लोगों को उनकी नौकरी से निकालने की धमकी देता हो?''
गढ़वी ने कहा कि ये लोग (BJP) कहां से ऐसी सोच लाते हैं. एक तरफ ये लोग लोगों को रोजगार नहीं दे सकते, और अब गुजराती लोगों को अपनी मौजूदा नौकरी से भी हाथ धोना होगा? ये गुजराती समाज के लोगों के लिए जागने का समय है.