
उत्तर गुजरात के अरवल्ली जिले की बायड विधानसभा सीट की बात करें तो यह राजनीतिक दृष्टि से काफी खास मानी जाती है. अरवल्ली की बायड सीट ने राजनीतिक रूप से कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में धवलसिंह झाला ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा था. लेकिन इसके बाद हुए उपचुनाव में जनता ने उनको आशीर्वाद नहीं दिया. परिणाम स्वरूप यहां फिर कांग्रेस की जीत हुई.
मतदाता समीकरण
इस सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पाटीदार और ठाकोर क्षत्रिय प्रभावी हैं. इस सीट पर क्षत्रिय ठाकोर करीब 1 लाख 26 हजार, पाटीदार 31 हजार, चौधरी 9 हजार, दलित 12 हजार, मुस्लिम 5 हजार और अन्य 43500 मतदाता हैं.
सियासी समीकरण
इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. साल 1998 से 2012 तक बायड का राजनीतिक इतिहास दिलचस्प कहा जा सकता है, क्योंकि जनता एक बार बीजेपी तो दूसरी बार कांग्रेस को आशीर्वाद देती रही. अभी तक भारतीय जनता पार्टी ने यह सीट केवल 3 बार जीती है. इसमें 1990, 1998 और 2007 के विधानसभा चुनाव शामिल हैं. साल 2012 में इस सीट से शंकर सिंह वाघेला के बेटे महेंद्र सिंह वाघेला कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत दर्ज की थी. वहीं साल 2017 के चुनाव में धवलसिंह झाला ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था. लेकिन बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद साल 2019 में बायड सीट पर उपचुनाव हुआ. जिसमें धवलसिंह झाला को बीजेपी और कांग्रेस ने जशुभाई पटेल को टिकट दिया. हालांकि, धवलसिंह झाला को लोगों ने समर्थन नहीं दिया और जशुभाई विजयी हुए.
इस सीट की समस्याएं
स्थानीय मुद्दों की बात करें तो रोजगार, शिक्षा का मुद्दा अहम है. जनता की सबसे बड़ी मांग है कि जिले में एक सिविल अस्पताल बनाया जाए. गांवों में समय से पानी नहीं आने के कारण स्थानीय लोगों ने सरकार से पेयजल की समुचित व्यवस्था करने की मांग की है. रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से इस क्षेत्र में एक कंपनी या जीआईडीसी स्थापित करने की भी मांग की गई.
पिछले उपचुनाव का परिणाम
कांग्रेस: जाशुभाई पटेल को 65 हजार 597 वोट मिले
बीजेपी: धवलसिंह झाला को 64 हजार 854 वोट मिले