
गुजरात विधानसभा चुनावों की सरगर्मी के बीच आज हम आपको बताने जा रहे हैं साबरकांठा जिले की खेडब्रह्मा विधानसभा सीट के बारे में. अच्छी पकड़ के चलते इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. यहां पिछले तीन चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. उधर, दिलचस्प बात ये है कि पिछले तीन बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतते रहे विधायक अश्विन कोतवाल ने अब बीजेपी का दामन थाम लिया है. आइए जानते हैं इस सीट का सियासी समीकरण...
मतदाता और सियासी समीकरण
साबरकांठा में खेड़ब्रह्मा विधानसभा को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. यहां वर्तमान में कांग्रेस का दबदबा है. दो कार्यकाल को छोड़कर यहां सिर्फ कांग्रेस सत्ता में आई है. इस सीट पर आदिवासियों के अलावा ठाकोर, पाटीदार और क्षत्रिय वोट भी अहम हैं. इसलिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों दल इन सभी जाति समीकरणों को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक अपनी रणनीति बना रहे हैं.
दलबदल का कारण बताते हुए अश्विन कोतवाल ने कहा कि वह जिस पार्टी में काम कर रहे थे, उसके काम करने के तौर-तरीकों से नाराज थे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मैं भले ही तीन बार कांग्रेस से चुनकर आया हूं, लेकिन नरेंद्र मोदी मेरे दिल में थे.
माना जा रहा है कि अश्विक कोतवाल के बीजेपी में शामिल होने से बीजेपी का आदिवासी नेताओं का कैडर मजबूत होगा. एक तरफ गुजरात में बीजेपी को आदिवासी समुदाय का विरोध झेलना पड़ रहा है तो वहीं अश्विन कोतवाल के पार्टी में होने से पूर्वी गुजरात की कुछ सीटों पर बीजेपी को फायदा हो सकता है. वहीं, आम आदमी पार्टी का बीटीपी के साथ गठबंधन टूटने की वजह से भी आदिवासी मतों का बंटवारा नहीं होगा, ऐसा माना जा रहा है. उधर, कांग्रेस अपनी इस सीट को बचने के लिए काफी मेहनत कर रही है.
पिछले चुनाव के परिणाम
कांग्रेस: अश्विन कोतवाल को 85 हजार 916 वोट मिले
बीजेपी: रमिला बेरा को 74 हजार 785 वोट मिले