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Gujarat Election 2022: अमराईवाड़ी विधानसभा सीट, क्या BJP का विजय रथ रोक पाएगी Congress!

Gujarat Election 2022: अमराईवाड़ी विधानसभा सीट साल 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. साल 2017 के चुनाव में इस विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार हसमुखभाई पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार अरविंद सिंह चौहान को हराकर जीत दर्ज की थी. इससे पहले साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी प्रत्याशी हसमुखभाई पटेल ने कांग्रेस प्रत्याशी बिपिनभाई गढ़वी को हराया था.

गुजरात विधानसभा चुनाव, सांकेतिक तस्वीर गुजरात विधानसभा चुनाव, सांकेतिक तस्वीर
दिग्विजय पाठक
  • वडोदरा,
  • 10 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 5:28 PM IST

आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर गुजरात में सियासी पारा हाई है. राजनीतिक दल विधानसभावार अपनी रणनीति बना रहे हैं और जनता को अपने पक्ष में करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं राज्य की अमराईवाड़ी विधानसभा सीट के बारे में. यह सीट साल 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. साल 2017 के चुनाव में इस विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार हसमुखभाई पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार अरविंद सिंह चौहान को हराकर जीत दर्ज की थी.

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इससे पहले साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी प्रत्याशी हसमुखभाई पटेल ने कांग्रेस प्रत्याशी बिपिनभाई गढ़वी को हराया था. इस विधानसभा सीट के जातिगत आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल 2 लाख 79 हजार 82 मतदाता हैं. इसमें करीब 50 हजार दलित, 33 हजार पाटीदार, 1 लाख 10 हजार ओबीसी और 35 हजार सवर्ण व अन्य मतदाता हैं. 

साल 2019 में परेश रावल ने लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. इसी वजह से हसमुखभाई पटेल को लोकसभा चुनाव में अहमदाबाद पूर्व सीट से मैदान में उतारा गया था. हसमुखभाई पटेल के सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने अमराईवाड़ी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था. सीट खाली होने के कारण साल 2019 में अमराईवाड़ी सीट पर उपचुनाव हुआ था. इस उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार जगदीश पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार धर्मेंद्र पटेल को हराकर जीत हासिल की थी. 

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बात अगर यहां की समस्याओं की करें तो अमराईवाड़ी निर्वाचन क्षेत्र में मध्यम और मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं. जोकि मूलभूत सुविधाओं को लेकर अक्सर मांग करते रहते हैं. इस क्षेत्र में यातायात की समस्या भी देखी जा रही है. अमराईवाड़ी में बिजली, सड़क और पानी की आपूर्ति जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण स्थानीय लोगों को अक्सर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.


 

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