
गुजरात में विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं. राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति के हिसाब से मतदाताओं को संगठित करने में जुटे हैं. ताकत का प्रदर्शन भी हो रहा है. पार्टियां मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए दिन-रात अपने प्लान पर काम कर रही हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं गुजरात की राजकोट दक्षिण विधानसभा सीट के बारे में.
राजकोट का दिल माने जाने वाले इस क्षेत्र में भूपेंद्र रोड, आशापुरा मंदिर, लक्ष्मीवाड़ी हवेली जैसे क्षेत्र शामिल हैं. इस क्षेत्र के आसपास कई आभूषण निर्माण इकाइयां हैं. इस क्षेत्र को एशिया का सबसे बड़ा आभूषण केंद्र माना जाता है.
राजकोट दक्षिण विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ है. साल 2012 में बीजेपी ने गोविंद पटेल को मैदान में उतारने के लिए रिपीट थ्योरी का इस्तेमाल किया था. 2012 में बीजेपी के गोविंद पटेल ने 50 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. जबकि 2017 में उन्होंने 47 हजार से अधिक मतों की बढ़त के साथ जीत हासिल की थी. लेकिन इस बार बंटा हुआ इलाका बीजेपी प्रत्याशी के लिए चुनौती भरा हो सकता है. इसलिए कांग्रेस ने पिछले चुनाव में जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए दिनेश चोवटिया को मैदान में उतारा लेकिन उन्हें कोई खास फायदा नहीं हुआ.
राजकोट दक्षिण सीट पर जातिगत समीकरण को देखते हुए यहां लेउवा पटेल और कोली पटेल मतदाताओं का दबदबा है. इसके बाद ब्राह्मण, भरवाड़, कादिया और राजपूत मतदाताओं की संख्या आती है. लेउआ पटेल के करीब 30 फीसदी वोटरों का इस इलाके में दबदबा है.
कुंवरजी बावलिया और फतेपारा का सिलसिला पिछले काफी समय से चल रहा है. बावलिया के पाटिल से मिलने आने के बाद देवजीभाई बहुत परेशान थे. तभी से इन दोनों दिग्गज नेताओं के बीच तनातनी चल रही है. पूर्व कैबिनेट मंत्री कुंवरजी बावलिया और सुरेंद्रनगर में विंचिया में देवजी फतेपारा का दबदबा है. अब इन दोनों दिग्गज नेताओं के समर्थक भी एक दूसरे के खिलाफ नजर आ रहे हैं.
राजकोट शहर के अन्य हिस्सों की तरह पानी की समस्या से लोग वर्षों से परेशान हैं. इसके अलावा भूमिगत नालियों, नगर नियोजन, यातायात की समस्या और व्यापारियों से जुड़े मुद्दे सामने आते रहे हैं.