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Gujarat Vidhansabha Chunav: उमरगाम विधानसभा सीट, बीजेपी के इस नेता ने तोड़ा था कांग्रेसी तिलिस्म, जानिए समीकरण

Gujarat Vidhansabha Chunav: उमरगाम विधानसभा सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है. इस पर 1962 से अब तक 13 चुनाव हो चुके हैं. इस सीट पर अब तक बीजेपी 5 बार और कांग्रेस 7 बार जीत चुकी है. इस सीट पर साल 2007 में बीजेपी के रमनलाल पाटकर विधायक चुने गए थे.

गुजरात विधानसभा चुनाव, सांकेतिक तस्वीर गुजरात विधानसभा चुनाव, सांकेतिक तस्वीर
दिग्विजय पाठक
  • वडोदरा,
  • 13 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST

गुजरात के वलसाड जिले की उमरगाम विधानसभा सीट पर आगामी चुनाव को देखते हुए सरगर्मी तेज हो गई है. राजनीतिक दल जनता के बीच जाकर दावे और वादे कर रहे हैं. इसी बीच आइए जानते हैं इस सीट का सियासी समीकरण...

उमरगाम विधानसभा सीट में पारडी तालुका के कुछ हिस्से, चानोद और डूंगरा भी इसमें आते हैं. इस क्षेत्र में गुजराती के साथ-साथ हिंदी, भोजपुरी और मराठी भाषी भी हैं. उमरगाम विधानसभा सीट के कई निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति की आबादी का अनुपात अधिक है. कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का अनुपात क्रमशः 3.94 और 39.98 है. यहां कुल 2 लाख 85 हजार 398 मतदाता हैं. इसमें 1 लाख 51 हजार 902 पुरुष और 1 लाख 33 हजार 493 महिला मतदाता हैं. 

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यह सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है. इस सीट पर 1962 से अब तक 13 चुनाव हो चुके हैं. इस सीट पर अब तक बीजेपी 5 बार और कांग्रेस 7 बार जीत चुकी है. इस सीट पर साल 2007 में बीजेपी के रमनलाल पाटकर विधायक चुने गए. वहीं साल 2017 की बात करें तो कांग्रेस ने रमनलाल पाटकर के खिलाफ अशोकभाई पटेल को मैदान में उतारा था. इस चुनाव में रमनलाल को 96 हजार 4 वोट मिले थे जबकि अशोकभाई को 54 हजार 314 वोट मिले थे. 

उमरगाम विधानसभा सीट पर रमनलाल की अच्छी पकड़ है. पिछले पांच में से चार बार इस सीट से रमनलाल ही चुने गए हैं. हालांकि 2002 के चुनाव में कांग्रेस के शंकरभाई मंगलाभाई ने रमनलाल को महज 73 वोटों से हरा दिया था लेकिन अगले ही चुनाव में रमनलाल ने फिर से इस सीट पर कब्जा कर लिया था.

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रमनलाल ने तोड़ा कांग्रेसी तिलिस्म
खास बात ये है कि 1962 से इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा लेकिन कांग्रेसी तिलिस्म को तोड़ने का काम 1995 में रमनलाल ने किया जब उन्होंने चार बार से कांग्रेसी विधायक छोटूभाई पटेल को करीब 19 हजार वोटों से हराया. रमनलाल उसके बाद 1998, 2007 और 2012 में भी विधायक चुने गए और 2017 में भी बीजेपी ने उन्हीं पर भरोसा जताया था.

 

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