
गुजरात के सियासी रण में महिसागर जिले की विधानसभा सीट संतरामपुर की खूब चर्चा है. संतरामपुर विधानसभा सीट पर कभी कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन बीजेपी ने पिछले चुनाव में यह सीट छीन ली. साल 2007 और 2012 कांग्रेस ने बीजेपी को दो बार हराकर इस सीट पर अपनी बादशाहत दिखाई. हालांकि 2017 में भाजपा के आदिवासी नेता डॉ. कुबेर डिंडोर ने कांग्रेस प्रत्याशी डामोर गेंदालभाई मोतीभाई को पटखनी देते हुए 6,424 वोटों से जीत हासिल की.
संतरामपुर में 2,31,788 वोटर हैं, जिनमें 78 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं. इनमें पुरूष मतदाता 1,18,625 और महिला वोटर्स 1,13,159 हैं. इस विधानसभा सीट पर आदिवासियों के जाति प्रमाणपत्र, जंगल की जमीन में हक, रोजगार जैसे बड़े चुनावी मुद्दे हैं. इस सीट का सियासी इतिहास देखें तो आदिवासी वोटर कांग्रेस का साथ देते रहे, लेकिन 2017 में भाजपा ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली. इस बार क्या कांग्रेस कोई कमाल दिखा पाएगी या बीजेपी का जलवा बरकरार रहेगा, नतीजे पर सबकी नजरें रहेंगी.
संतरामपुर में आदिवासी की आस्था का प्रतीक मानगढ़ हिल है. मानगढ़ हिल से दर्दनाक यादें जुड़ी हैं. यहां कभी बड़ा नरसंहार हुआ था और 1,507 आदिवासियों की अपनी जान गंवानी पड़ी थी. भीलों के मौखिक इतिहास पर भरोसा करें तो मानगढ़ टेकरी पर अंग्रेजी फौज ने आदिवासी नेता और सुधारक गोविंद गुरु के 1,507 समर्थकों को गोलियों से भून दिया था.
इनपुट- (वीरेन जोशी)