
अहमदाबाद की जमालपुर-खाडिया विधानसभा सीट पर अभी तक भाजपा का दबदबा है. जब से भाजपा की स्थापना हुई तब से लेकर 2017 तक इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का भगवा लहराया था. पिछले चुनाव में 1972 के बाद पहली बार कांग्रेस को सफलता मिली और कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान खेड़ावाला ने भाजपा के सेटिंग एमएलए भूषण भट्ट को मात देकर लंबे समय बाद कांग्रेस का परचम लहराया.
जमालपुर खाडीया विधानसभा सीट पहले जमालपुर विधानसभा सीट के नाम से जानी जाती थी. 1975 में पहली बार भारतीय जनसंघ के सीनियर नेता अशोक भट्ट ने इस सीट पर जीत दर्ज की. उसके बाद 1980 में जब भाजपा की स्थापना हुई तब से अशोक भट्ट भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर लगातार इस सीट पर 2007 तक विधायक के तौर पर चुने गए. 2010 में उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के काम सेल और अशोक भट्ट के बेटे भूषण भट्ट को भाजपा ने उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा और भूषण भट्ट ने 2011 के उपचुनाव और 2012 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की और जमालपुर खाडिया विधानसभा सीट पर भाजपा और भट्ट फैमिली का दबदबा बरकरार रखा.
हालांकि नए सीमांकन के बाद जमालपुर-खाडिया विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए जीत हासिल करना थोड़ा मुश्किल हो चुका था. पर 2012 में भूषण भट्ट के सामने कांग्रेस के उम्मीदवार के साथ ही कांग्रेस से टिकट कटने से नाराज हुए उम्मीदवार साबिर काबलीवाला भी निर्दलीय चुनाव लड़े. जिसकी वजह से लघुमति समाज के वोट में बटवारा हो गया. जातिगत और धार्मिक समीकरण भाजपा के पक्ष न होने के बावजूद यह सीट भाजपा के खाते में गई. साल 2017 में आखिरकार भाजपा का यह गढ़ ढह गया और 1975 से चले आ रहे भट्ट फैमिली का दबदबा भी आखिरखार खत्म हुआ. लंबे अंतराल के बाद लघुमति समाज के वर्चस्व वाले इस सीट पर कांग्रेस पार्टी ने बाजी मारी. कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर इमरान खेड़ावाला ने जीत दर्ज की विधायक के तौर पर इमरान खेड़ावाला काफी सक्रिय भी देखे जा रहे हैं.
2022 के चुनाव में इस सीट को वापस जीत पाना कांग्रेस के लिए चुनौती है. जब भी इस सीट पर लघुमति समाज के एक से ज्यादा नामचीन नेता चुनाव के मैदान में उतरते हैं तो उसका सीधा फायदा भाजपा के उम्मीदवार को होता है. इस बार AIMIM ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वह गुजरात में विधानसभा का चुनाव लड़ेगी. हाल ही में हुए कॉरपोरेशन के चुनाव में भी AIMIM के मैदान में उत्तरने की वजह से कांग्रेस को इन इलाकों में भारी झटका भी लगा था. ऐसे में साफ तौर पर आने वाले समय में कांग्रेस और AIMIM के मुस्लिम उम्मीदवारों विधानसभा के चुनावी मैदान में उतरते है फिर एक बार भाजपा को इस सीट पर फायदा होने के आसार साफ तौर पर दिख रहे हैं.