
गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गृह राज्य में पिछले तीन दशकों से सत्ता का वनवास झेल रही कांग्रेस को इस बार कई सियासी चुनौतियों से भी जूझना पड़ रहा है. एक तरफ बीजेपी अंगद की तरह सूबे में पैर जमा चुकी है तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल फ्री वादों से लोगों को लुभा रहे हैं. वहीं, कांग्रेस में नेताओं के छोड़ने की मची भगदड़ के बीच राहुल गांधी सोमवार को गुजरात चुनाव का बिगुल फूंकने के लिए उतर रहे हैं.
राहुल गांधी का गुजरात दौरा
भारत जोड़ो यात्रा से पहले राहुल गांधी गुजरात विधानसभा चुनाव अभियान को धार देने के लिए एक दिवसीय दौर पर पहुंच रहे हैं. राहुल यहां साबरमती आश्रम की प्रार्थना सभा में शिरकत करेंगे और महात्मा गांधी का आशीर्वाद लेंगे. इसके बाद साबरमती रिवरफ्रंट पर राहुल गांधी कांग्रेस के 'बूथ योद्धाओं' के 'परिवर्तन संकल्प' सम्मेलन को संबोधित करेंगे. राहुल का गुजरात दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है, जब कांग्रेस कई मुश्किलों से घिरी हुई है. एक तरह बीजेपी सियासी चुनौती बनी हुई है तो केजरीवाल कांग्रेस का विकल्प बनने के लिए बेताब हैं.
कांग्रेस में मची नेताओं की भगदड़
सूबे में कांग्रेस की हालत दिन-ब दिन खराब होती जा रही है. पार्टी के पास न तो सियासी जनाधार बचा है और न ही मजबूत नेता. कांग्रेस 2017 में 77 सीटों पर जीतने में कामयाब रही थी, लेकिन उसे संभाल कर नहीं रख सकी. पिछले पांच सालों में कांग्रेस के करीब 16 विधायकों ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. कांग्रेस के साथ 2017 का चुनाव मिलकर लड़ने वाली बीटीपी ने भी इस बार अलग राह चुन ली है और आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन कर रखा है. कांग्रेस के लिए इस बार का चुनाव सबसे मुश्किल दिख रहा है.
गुजरात में सियासी चुनौतियों के बीच राहुल गांधी का दौरा हो रहा है, जहां बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के साथ-साथ पार्टी नेताओं के संग भी बैठक करेंगे. इस बार कांग्रेस का पूरा जोर आगामी चुनावों के लिए बूथ स्तर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लामबंद करने का है, जिसे लेकर राहुल गांधी के दौरे की रूप रेखा बनाई गई है. राहुल यहां पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे. हालांकि, इससे पहले राहुल ने 10 मई को गुजरात का दौरा किया था जब उन्होंने दाहोद शहर में आदिवासी समाज को संबोधित किया था.
कांग्रेस का गुजरात चुनाव का प्लान
गुजरात कांग्रेस के प्रभारी रघु शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए तीन महीने का लंबा अभियान तैयार किया है, जिसमें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. उन्होंने कहा कि पार्टी ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने के लिए 15 सितंबर का लक्ष्य रखा है. उन्होंने सूबे की 182 सदस्यीय विधानसभा में 125 सीट जीतने का विश्वास व्यक्त किया.
राहुल गांधी का दौरा इसी मद्देनजर भारत जोड़ो यात्रा से पहले रखा गया है. वो इस दौरान प्रदेश नेताओं के साथ बैठक करेंगे और विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन पर भी चर्चा करेंगे. इसके बाद ही कांग्रेस की चुनाव समिति की पहली बैठक होगी और स्क्रीनिंग कमेटी की भी बैठक होगी. इस तरह माना जा रहा है कि 30 सितंबर तक कांग्रेस अपनी सूची घोषित कर सकती है, जिसमें 30 से 40 उम्मीदवारों के नाम हो सकते हैं.
बीजेपी की सियासी प्रयोगशाला
गुजरात को बीजेपी की सियासी प्रयोगशाला माना जाता है. बीजेपी सूबे की सत्ता पर 1995 से काबिज है. केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद अक्टूबर 2001 में मोदी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने और मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने तक वह 12 साल से ज्यादा समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन अब यह भी कहा जा रहा कि मोदी के दिल्ली जाने के बाद बीजेपी राज्य में कमजोर हुई है. इसके संकेत 2017 के चुनाव में देखने को मिले थे, लेकिन पांच साल पहले बीजेपी ने सत्ता को बचाकर अपने किले को मजबूत बनाए रखा.
मोदी-शाह का गृहराज्य गुजरात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का गृहराज्य गुजरात है. ऐसे में बीजेपी किसी तरह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ रही है. गुजरात में इस बार बीजेपी लगातार छठी बार सत्ता में आने के लिए अपना दम-खम लगा रही है, लेकिन उसके सामने एंटी इंकम्बेंसी की भी चुनौती है. बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर की चिंता इसलिए ज़्यादा हो सकती है, क्योंकि 2017 में उसकी सीटें घटकर सौ के नीचे रह गई थीं. ऐसे में बीजेपी ने सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए पूरी सरकार ही बदल दी है.
गुजरात में त्रिकोणीय मुकाबला
बता दें कि ढाई दशक से ज्यादा समय से गुजरात की सत्ता पर बीजेपी काबिज है. अभी तक गुजरात में बीजेपी बनाम कांग्रेस का मुकाबला होता रहा है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने उतरकर त्रिकोणीय लड़ाई बना दी है. केजरीवाल इस समय हिमाचल प्रदेश से ज्यादा गुजरात के चुनाव पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. केजरीवाल लगातार एक के बाद एक गुजरात दौरे कर रह हैं. अगस्त के महीने में उन्होंने चार बार गुजरात दौरा किया है जबकि पिछले चार महीनों में भी वे आधा दर्जन से ज्यादा बार राज्य में पार्टी के लिए प्रचार कर चुके हैं.
गुजरात में आप की रणनीति क्या है?
आम आदमी पार्टी इस समय गुजरात चुनाव में उसी रणनीति पर काम कर रही है, जिसके दम पर पहले दिल्ली और फिर पंजाब में सरकार बनाई गई. आप मॉडल के चार बड़े स्तंभ हैं- अच्छी शिक्षा, अच्छा स्वास्थ्य, मुफ्त बिजली और युवाओं को रोजगार. गुजरात चुनाव में आप ने इन्हीं पहलुओं को अपनी 'गारंटी' बताया है. गुजरात में फ्री बिजली देने का वादा कर रखा है तो युवाओं को साधने के लिए 10 लाख रोजगार देने का वादा किया है. इसके अलावा बेरोजगारों को तीन हजार रुपये का भत्ता देने देने का वादा किया गया है.
कांग्रेस के लिए किस तरह की चिंता
दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन भी सुधरा और उसने 77 सीटें जीतीं और बीजेपी 100 सीट का आंकड़ा पार नहीं कर सकी थी. बीजेपी को करीब 49 फीसदी मत मिले तो कांग्रेस को करीब 41 प्रतिशत वोट मिले. ऐसे में कांटे की लड़ाई रही थी. माना जाता है कि गुजरात के ग्रामीण इलाके में कांग्रेस मजबूत है लेकिन आम आदमी पार्टी की दस्तक के बाद अब मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है. इससे कांग्रेस को सियासी तौर पर नुकसान होने का खतरा दिख रहा. इसीलिए कांग्रेस ने रणनीति बनाई है कि गुजरात चुनाव को कांग्रेस बनाम बीजेपी रखा जाए ताकि आप को चुनावी लड़ाई से बाहर रखा जाए. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस की यह कोशिश कितनी सफल रहती है?