
हरियाणा की सियासत के ताऊ चौधरी देवीलाल की विरासत संभाल रहे 'चौटाला परिवार' के चार सदस्य इस बार किस्मत आजमाने के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं. इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से अभय चौटाला चुनाव लड़ रहे हैं तो दुष्यंत चौटाला और उनकी मां नैना चौटला जननायक जनता पार्टी से मैदान में हैं. जबकि, परिवार के चौथे सदस्य देवीलाल के पोते आदित्य चौटाला बीजेपी से ताल ठोक रहे हैं. इन चारों चौटाला सदस्य के खिलाफ विपक्षी दलों ने मजबूत प्रत्याशी उतारकर जबरदस्त चक्रव्यूह रचा है.
ऐलानाबाद: अभय चौटला के सामने विरासत बचाने की चुनौती
हरियाणा की सियासत में सिरसा जिले की ऐलनाबाद विधानसभा सीट चौटाला परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है. ओम प्रकाश चौटाला की राजनीतिक विरासत संभाल रहे उनके छोटे बेटे अभय चौटाला एक बार फिर ऐलनाबाद सीट से अपना दुर्ग बचाने उतरे हैं. जबकि, बीजेपी ने पवन बेनीवाल को उतारा तो जेजेपी ने ओपी सिहाग पर दांव लगाकर चौटाला के सामने चुनौती पेश कर दी है.
बता दें कि 2014 विधानसभा चुनाव में ऐलनाबाद सीट से इनेलो के अभय सिंह चौटाला ने 69162 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. जबकि नंबर 2 पर रहे बीजेपी के पवन बेनीवाल को 57,623 वोट मिले. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के रमेश थे. इस बार के चुनाव में इनेलो दो धड़ों में बट चुकी है. ऐसे में देखना होगा कि बदले हुए राजनीतिक समीकरण में अभय चौटाला अपनी परंपरागत सीट बचा पाएंगे या नहीं.
उचाना कलां: दुष्यंत चौटाला के सामने चौधरी बीरेंद्र सिंह पत्नी
हरियाणा के जींद जिले की उचाना कलां विधानसभा सीट सियासी तौर पर काफी हाई प्रोफाइल मानी जाती है. इनेलो से बगावत कर अलग पार्टी बनाने वाले अजय चौटाला के पुत्र दुष्यंत चौटाला जेजेपी से चुनावी ताल ठोक रहे हैं. जबकि, बीजेपी ने मौजूदा विधायक प्रेमलता पर एक बार फिर भरोसा जताया है, जो राज्यसभा सदस्य चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी है. वहीं, कांग्रेस ने बलराम कटवाल को मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.
बता दें कि 2014 विधानसभा चुनाव में उचाना कलां सीट से बीजेपी की प्रेमलता 79674 वोट हासिल कर विधायक चुनी गई थीं. जबकि दूसरे नंबर पर रहे इनेलो के दुष्यंत चौटाला को 72194 वोट मिले और तीसरे नंबर पर बसपा के रणधीर थे. इस तरह से एक बार फिर दुष्यंत और प्रेमलता के बीच सियासी मुकाबला होता नजर आ रहा है.
डबवाली सीट: बीजेपी के चौटाला कमल खिलाने में जुटे
सिरसा जिले की डबवाली विधानसभा सीट चौटाला परिवार की परंपरागत सीटों में गिनी जाती है. देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल कुनबे की बहू और दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला विधायक हैं, लेकिन इस बार बदले हुए राजनीतिक समीकरण के चलते उन्होंने यह सीट छोड़ दी है. डबवाली विधानसभा सीट से पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के पोते आदित्य चौटाला ने बीजेपी के टिकट से उतरकर इनेलो और जेजेपी दोनों पार्टियों की चिंता बढ़ा दी है.
आदित्य चौटाला के खिलाफ कांग्रेस ने अमित सिहाग पर दांव लगाया है तो जेजेपी ने वरिष्ठ नेता सरबजीत सिंह मसिता को उतारा है. जबकि इनेलो ने डॉ. सीताराम पर भरोसा जताया है. 2014 के विधानसभा चुनाव मे डबवाली सीट पर बीजेपी तीसरे नंबर पर थी. इस बार चौटाला परिवार के सदस्य के जरिए कमल खिलाने की कवायद में है. लेकिन जिस तरह से विपक्ष ने घेराबंदी की है. ऐसे में आदित्य चौटाला के लिए राह आसान नहीं है.
बाढ़डा: नैना चौटला के सामने बंसीलाल का बेटा बना चुनौती
नैना चौटाला ने इस बार मौजूदा सियासी समीकरणों के चलते अपना विधानसभा क्षेत्र बदला है. इस बार के विधानसभा चुनाव जेजेपी नेता नैना चौटाला डबवाली सीट के बजाय बाढ़डा क्षेत्र से किस्मत आजमाने के लिए उतरी हैं. जबकि कांग्रेस ने नैना चौटाला को घेरने के लिए विधानसभा चुनाव में देश के पूर्व रक्षा मंत्री और हरियाणा के सीएम रहे बंसीलाल के बेटे रणबीर सिंह महेंद्रा ताल ठोक रहे हैं. जबकि बीजेपी ने सुखविंद्र माढी पर दांव लगाया है तो इनेलो ने विजय पंचगामा को उतारा है. इस तरह से नैना चौटाला के खिलाफ विपक्षी दलों ने जबरदस्त घेराबंदी की है.
कांग्रेस प्रत्याशी रणबीर महेंद्र पहले भी मुंडल विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं. रणबीर सिंह महेंद्रा साल 2004 से 2005 तक बीसीसीआई के अध्यक्ष भी रहे चुक हैं. वह कांग्रेस के मजबूत नेता माने जाते हैं और काफी सुलझे हुए है. ऐसे में नैना चौटला के लिए बाढ़डा सीट पर जीतने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं.