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Exit Poll: हरियाणा के इतिहास में चौथी बार किसी पार्टी को बहुमत नहीं

इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल हरियाणा को किसी भी पार्टी को को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. ऐसे में एग्जिट पोल के अनुमान अगर 24 अक्टूबर को नतीजे में तब्दील होते हैं तो फिर हरियाणा विधानसभा के इतिहास में यह चौथी बार होगा कि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल सकेगा.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 2:49 PM IST

  • हरियणा में कांग्रेस को फायदा तो बीजेपी को नुकसान
  • हरियाणा में 1982, 1996 और 2000 में त्रिशंकु रहे नतीजे

हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में हंग असेंबली की संभावना नजर आ रही है. एग्जिट पोल के अनुसार, इस बार हरियाणा को किसी भी पार्टी को को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. बीजेपी-कांग्रेस में सीट ही नहीं बल्कि वोट शेयर में भी कांटे की टक्कर दिख रही है. एग्जिट पोल के अनुमान अगर 24 अक्टूबर को नतीजे में तब्दील होते हैं तो फिर हरियाणा विधानसभा के इतिहास में यह चौथी बार होगा कि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल सकेगा.

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बता दें कि इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी को 32 और 44 के बीच सीट मिलती दिख रही हैं. जबकि, कांग्रेस को 30 से 42 सीट मिलने का अनुमान तो जेजेपी को 6 से 10 सीटें और अन्य के खाते में  6 से 10 सीटें जाती दिख रही हैं. 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बहुमत के लिए 46 सीटें जरूरी है. ऐसे में एग्जिट पोल के मुताबिक किसी भी एक पार्टी को बहुमत के बराबर सीटें मिलती नहीं दिख रही हैं.

हरियाणा विधानसभा की शुरुआत 1967 में हुई है. इससे पहले हरियाणा पंजाब विधानसभा का हिस्सा हुआ करता था. 1967 से लेकर 2019 तक कुल 14 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. हरियाणा की जनता ने जिसे भी जनादेश दिया वह ज्यादातर एकतरफा रहा है, लेकिन 1982, 1996 और 2009 के विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु नतीजे आए थे.

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कांग्रेस की निर्दलीयों के साथ सरकार

हरियाणा में पहली बार त्रिशंकु विधानसभा 1982 में आई थी. 1982 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा की 90 सीटों में से कांग्रेस को 36, लोकदल को 31, बीजेपी को 6 और अन्य को 17 सीटें मिली थी. इस तरह से किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. ऐसे में विधानसभा चुनाव के बाद लोकदल और बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया, लेकिन बहुमत नहीं साबित कर सके. इसके बाद कांग्रेस ने निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई और चौधरी भजनलाल मुख्यमंत्री बने.

हरियाणा विकास पार्टी और भाजपा का गठबंधन

हरियाणा में दूसरी बार 1996 में ऐसा हुआ कि किसी भी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिल सका है. 1996 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा विकास पार्टी को 33, समता पार्टी को 24, बीजेपी को 11, कांग्रेस को 10, तिवारी कांग्रेस को 3 और निर्दलीय 11 सीटों पर जीतने में सफल रहे थे. चुनाव नतीजे के बाद हरियाणा विकास पार्टी ने बीजेपी के सहयोग से सरकार बनाई और मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल बने.

फिर निर्दलीयों के साथ कांग्रेस की सरकार

हरियाणा की सियासत में तीसरी बार त्रिशंकु विधानसभा 2009 में रहा. 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 35, इनेलो को 31, हरियाणा जनहित पार्टी को 6, बीजेपी को 4, बसपा को 1, अकाली दल को 1 और निर्दलीय 7 सीटों पर जीतने में सफल रहे थे. कांग्रेस ने निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री बने.

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हरियाणा में 1982, 1996 और 2009 के विधानसभा चुनाव के बाद अब 2019 में भी त्रिशंकु नतीजे मिलते नजर आ रहे हैं. इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल  के मुताबिक किसी भी पार्टी को इस बार हरियाणा में बहुमत नहीं मिल रहा है. हालांकि 24 अक्टूबर को नतीजे आने के बाद ही हरियाणा की सियासी तस्वीर साफ हो पाएगी.

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