
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के उम्मीदवारों की घोषणा होते ही कई नेताओं के बगावती तेवर सामने आने लगे हैं. नेताओं के बागी सुर भाजपा के मिशन रिपीट के सपने को धूमिल कर सकते हैं. भाजपा की 62 उम्मीदवारों की सूची आने के बाद कई विधानसभा क्षेत्रों में नेता बागी हो गए हैं सबसे ज्यादा मुसीबत उन विधानसभा क्षेत्रों में हो रही है जहां पर पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस पार्टी को छोड़कर बड़े नेताओं ने भाजपा का दामन थामा था.
कांगड़ा सीट पर कांग्रेस से भाजपा में आए पवन काजल के खिलाफ भाजपा के मंडल कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल दिया है और फिर से टिकट पर पुनर्विचार के लिए हाई कमान से गुहार लगाई है. नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें बाहरी उम्मीदवार नहीं चाहिए और वह किसी भी हालत में इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे.
वहीं नालागढ सीट में टिकट बंटवारा बीजेपी के लिए नई मुसीबत बन सकता है क्योंकि नालागढ में बीजेपी के पूर्व विधायक केएल ठाकुर ने बगावत की तैयारी कर दी है. नालागढ़ भाजपा के 125 पदाधिकारियों ने पार्टी से सामूहिक इस्तीफा दे दिया है. ये लोग भी पैराशूट से उतारे गए उम्मीदवार से नाराज़ हैं.
महेंद्र सिंह की बेटी बंदना गुलेरिया ने महिला मोर्चा महामन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया है. भाई को टिकट मिलने को लेकर नाराज़ बंदना ने फेसबुक पर लिखा 'परिवारवाद में हर बार बेटियों की ही बलि क्यों ली जाती है?' इस्तीफे के साथ बंदना ने 55 लोगों के समर्थन वाले हस्ताक्षर भी भेजें हैं.
वहीं अगर हम शिमला शहरी सीट की बात करें तो कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज की सीट को बदला गया है. इस बार सुरेश भारद्वाज को समिति विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने मैदान पर उतारा है जबकि शिमला शहरी सीट इस बार भाजपा ने संजय दूध की झोली में दी है, जिससे उनके चाहने वाले और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी देखी जा रही है. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने हाईकमान को देर रात तक का समय दिया है और साथ में चेताया है कि अगर उनकी सीट को नहीं बदला गया तो शिमला शहर से तमाम बीजेपी के कार्यकर्ता है सामूहिक इस्तीफा देंगे.