
हिमाचल प्रदेश की सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस के सामने अब सीएम पद को लेकर खींचतान बढ़ गई है. शुक्रवार को पूरे दिन केंद्रीय पर्यवेक्षकों से लेकर प्रदेश प्रभारी तक माथापच्ची करते रहे, लेकिन किसी एक नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन पाई है. इस बीच, पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी और मंडी से सांसद प्रतिभा सिंह को लेकर खुलकर लॉम्बिंग देखने को मिली. प्रतिभा के समर्थकों ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों के सामने जमकर नारेबाजी की और सत्ता में वापसी की वजह भी पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह को लेकर उपजी सहानुभूति से जोड़ी. हालांकि, केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने अन्य दावेदारों से भी बात की. विधायक दल की बैठक के बाद विधायकों से भी वन-टू-वन चर्चा की और उनके मन की बात जानी.
कांग्रेस में अब तक सीएम पद की रेस को लेकर प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, इलेक्शन कैंपेनिंग कमेटी के चेयरमैन सुखविंदर सिंह सुक्खू, विधायक और अभी तक नेता प्रतिपक्ष रहे मुकेश अग्निहोत्री, राजिंदर राणा, वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह का नाम प्रमुख है. 2018 के बाद सीधे अपनी अगुवाई में चुनावी राज्य जीतने वाली कांग्रेस के भीतर दिन भर शिमला में हलचल मची रही. विधायक दल की बैठक खत्म हुई. एक लाइन का प्रस्ताव पास हुआ और हाईकमान पर अब फैसला छोड़ दिया गया है. अब हाईकमान के भरोसे पर हिमाचल है.
विधायकों में से ही चुना जा सकता है नाम
सूत्रों के मुताबिक, हिमाचल में सीएम निर्वाचित विधायकों में से ही होगा. ऐसे में प्रतिभा सिंह के समर्थकों को निराशा हाथ लग सकती है. वहीं, कांग्रेस सुखविंदर सिंह सुक्खू, विधायक मुकेश अग्निहोत्री और राजेंद्र राणा को नए सीएम पद के लिए एक फ्रंट-रनर मान रही है. पार्टी प्रतिभा सिंह के बेटे और विधायक विक्रमादित्य सिंह को कैबिनेट में महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो देने पर भी विचार कर रही है. हालांकि, सुक्खू ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मैं सीएम पद का उम्मीदवार नहीं हूं. मैं कांग्रेस पार्टी का अनुशासित सिपाही, कार्यकर्ता और विधायक हूं. पार्टी आलाकमान का फैसला अंतिम होगा.
रानी साहिबा की वजह से 40 सीटें जीते
वहीं, प्रतिभा सिंह के समर्थक खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं. एक समर्थक ने यहां तक कहा कि रानी साहिबा, राजा साहब के बदौलत सरकार आई है. केवल एक बंदी थी जिसने साठ सीट पर प्रचार किया, रानी साहिबा ही बनेंगी, वर्ना लोकसभा भूल जाएं. एक अन्य समर्थक ने कहा कि आज चालीस सीट प्रतिभा सिंह की वजह से आईं. नहीं बनाया तो हाईकमान की गलती होगी. आइंदा उन्हें हिमाचल में जगह चाहिए कि नहीं चाहिए.
प्रतिभा और सुक्खू के बीच खींचतान
समर्थकों के ये बयान बताते हैं कि कांग्रेस के सामने सत्ता हासिल करने के बाद भी पहाड़ भरी कितनी बड़ी चुनौती सीएम का चेहरा चुनना है, जहां मुख्य लड़ाई में प्रतिभा सिंह और सुखविंदर सुक्खू ही हैं. प्रतिभा सिंह कैंप का दावा है कि राज्य में पार्टी अध्यक्ष रहते ही सत्ता में वापसी हुई है. सुखविंदर सुक्खू कैंप का दावा है कि उनके प्रचार कमेटी का प्रमुख रहते पार्टी हिमाचल जीती है. प्रतिभा सिंह अपनी दावेदारी में वीरभद्र सिंह की विरासत को याद कराती हैं. जबकि सुखविंदर सुक्खू लंबे समय तक पहले पार्टी की कमान संभाल चुके अनुभव को आगे कर रहे हैं.
हाईकमान जानता है- जनता की भावना क्या है...
प्रतिभा कहती हैं कि मुझे जिम्मेदारी देंगे तो मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देने को तैयार हूं. वीरभद्र सिंह बड़ी शख्सियत थे. सेंट्रल हाईकमान जानती है. जनता की भावना क्या है. जब हम इलेक्शन लड़ रहे थे- वीरभद्र सिंह का नाम लेकर लड़ा. लोगों ने उनके नाम पर वोट दिया है. वहीं, सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि इसका श्रेय प्रियंका गांधी को देता हूं. समय रहते उन्होंने प्रचार अभियान को संभाला. प्रियंका को देखने के लिए हुजुम उमड़ा. लोगों ने बहुत ध्यान से सुना.
प्रतिभा के साथ 15, सुक्खू के साथ 21 विधायक होने का दावा
फिलहाल, इसी खींचतान का नतीजा ये है कि पार्टी की तरफ से प्रभारी और ऑब्जर्वर तो जाकर राज्यपाल से मुलाकात कर आए हैं, लेकिन सीएम के चेहरा साफ होने में समय लग रहा है. सूत्रों के मुताबिक प्रतिभा सिंह अपने साथ 15 विधायकों के खुले समर्थन की बात करती हैं. तब सुक्खू का दावा है कि उनके साथ 21 विधायक हैं. जबकि दावा ये भी है कि 4 विधायक न्यूट्रल राय के हैं. इसी खींचतान में दोपहर तीन बजे होने वाली विधायक दल की बैठक का समय बाद में शाम 6 बजे तय हुआ. दावा है कि शाम सात बजे तक सुक्खू अपने समर्थक विधायकों के साथ मीटिंग में नहीं पहुंचे.
कांग्रेस में आपसी संघर्ष का रिवाज भी जारी
प्रतिभा सिंह के समर्थक शाम सात बजे तक नारेबाजी करते रहे. वहीं, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि विधायकों से बात करने के बाद अब पर्यवेक्षकों को हाईकमान को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराना है. फिलहाल, जीत के बाद 24 घंटे का घटनाक्रम यही बताता है कि हिमाचल प्रदेश में सिर्फ पांच साल में सत्ता पलटने का रिवाज ही नहीं कायम रहा है, बल्कि कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री के नाम पर आपसी संघर्ष का रिवाज भी जारी है.
आलाकमान जो नाम तय करेगा, वो स्वीकार
विधायक दल की बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ता ने कहा कि सभी 40 विधायकों ने एकसाथ हाथ उठाकर सीएम पद के लिए हाईकमान को अधिकृत कर दिया है. अब हाईकमान विधायक दल का नेता चुन सकता है. हाईकमान जिसको भी चाहे, उसको विधायक दल का नेता चुन सकता है. प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने विधायकों का स्वागत किया है. हाईकमान को अधिकृत करने का प्रस्ताव विधायक मुकेश अग्निहोत्री ने पेश किया, जिसका समर्थन सुखविंदर सिंह सुक्खू ने किया. सारे विधायकों ने हाथ उठाकर सर्वसम्मति से पार्टी हाइकमान को अधिकृत किया है. ऑब्जर्वर भूपेश बघेल, भूपिंदर सिंह हुड्डा थे.
कांग्रेस पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं
राजीव शुक्ला ने कहा कि मीडिया में पार्टी के अंदर गुटबाजी की बात करना बिल्कुल गलत है. कांग्रेस पार्टी एकजुट है. किसी भी विधायक द्वारा किसी एक नाम का सुझाव नहीं दिया गया. सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री चुनने का निर्णय एआईसीसी अध्यक्ष पर छोड़ दिया. हम अपनी रिपोर्ट पार्टी आलाकमान को शनिवार को सौंपेंगे. शुक्ला ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल से मिलने पर कहा कि ये एक शिष्टाचार मुलाकात थी. बता दें कि हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 68 में से 40 सीटों पर स्पष्ट बहुमत हासिल किया है.
जानिए किस विधायक ने क्या कहा...
विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि जो भी फैसला कांग्रेस आलाकमान लेगा, वह हमें मंजूर होगा. हम अपनी बात रखेंगे, चुने हुए विधायकों की राय के अनुसार फैसला होगा.
ज्वालामुखी से कांग्रेस विधायक संजय रतन ने बताया कि कांग्रेस में कोई अलग ग्रुप नहीं है. विधायक दल की बैठक में सीएम तय किया जाएगा. अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान लेगा.
धर्मशाला से कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि चुने हुए विधायकों और पार्टी आलाकमान द्वारा चुना गया व्यक्ति हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री होगा.
कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि विधायक निर्णय लेंगे. जो भी निर्णय लिया जाएगा, उनके हित में लिया जाएगा.
छह बार सीएम रहे वीरभद्र सिंह
वीरभद्र सिंह छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह साल 1998 में सक्रिय राजनीति में आई थीं. उन्होंने मंडी संसदीय क्षेत्र से पहला चुनाव लड़ा था. इसमें बीजेपी के महेश्वर सिंह एवं उनके समधी ने उन्हें करीब सवा लाख मतों से हराया था. महेश्वर सिंह उनके समधी हैं.
जयराम को भी हरा चुकी हैं प्रतिभा
इसके बाद साल 2004 के लोकसभा चुनाव में दूसरी बार प्रतिभा ने किस्मत आजमाई थी. इसमें समधी महेश्वर से पुरानी हार का बदला लिया और संसद पहुंची थीं. वहीं, साल 2012 में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद वीरभद्र सिंह ने लोकसभा से त्यागपत्र दे दिया था. इसके बाद 2013 में उपचुनाव हुआ. इसमें प्रतिभा सियासी रण में उतरीं. इस चुनाव में उन्होंने जयराम ठाकुर को भारी मतों से हराया था.
6 महीने पहले ही मिली थी कमान
हालांकि, साल 2014 में मोदी लहर में प्रतिभा को हार का सामना करना पड़ा था. उन्हें बीजेपी के रामस्वरूप शर्मा ने 39 हजार से अधिक वोटों से हराया था. वहीं, 26 अप्रैल 2022 को कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी. छह महीने की इस जिम्मेदारी में प्रतिभा ने अपनी सियासी प्रतिभा का लोह मनवा दिया. इसके साथ ही उन्होंने जनता की चाहत और वीरभद्र परिवार के नेतृत्व की बात करके अपनी इच्छा भी जाहिर कर दी है.