
Panchayat Aaj Tak Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश के शिमला में 'पंचायत आज तक' का मंच सजा है. इस खास आयोजन में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए. उन्होंने यहां अपने छात्र राजनीति से जुड़े कई किस्से सुनाए और हिमाचल यूनिवर्सिटी के चुनाव में पहली बार छात्र संघ अध्यक्ष बनने की पूरी कहानी भी बताई. इससे पहले कांग्रेस के इलेक्शन कमेटी के चेयरमैन सुखविंदर सिंह सिक्खू ने बताया कि यहां जेपी नड्डा अपना पहला छात्र संघ का चुनाव टॉस के आधार पर जीते थे. हालांकि, नड्डा ने टॉस के दावों को खारिज किया है.
जेपी नड्डा ने इंडिया टुडे ग्रुप के न्यूज डॉयरेक्टर राहुल कंवल से बातचीत में यूनिवर्सिटी से जुड़े किस्से सुनाए. नड्डा ने बताया कि पहले छात्र संघ अध्यक्ष के चुनाव को मैं 12-13 वोट से जीत रहा था. 5 बार रीकाउंटिंग हुई. इस दौरान मुझे वोटों की गिनती में बराबर पर लाकर खड़ा कर दिया गया. हर बार रीकाउंटिंग में मेरे 3 वोट कैंसिल कर दिए जाते थे. उस समय के डिप्टी कमिश्नर भी वहां आकर बैठ गए थे. आप समझ सकते हैं कि सरकार का कितना दबाव रहा होगा और वे लेफ्ट छात्र संगठन को मदद कर रहे थे.
टॉस के आधार पर अध्यक्ष चुनने का दिया था प्रस्ताव
इस पर मैंने कहा जो भी है, फैसला कर दीजिए. क्योंकि मुझे लग रहा था कि अगले राउंड में फिर मेरे दो वोट कम कर दिए जाएंगे. मुझे कहा गया कि चुनाव का परिणाम टाई हो गया है. अब टॉस के आधार पर जीत-हार का निर्णय होगा. इस पर मैंने कहा कि टॉस से निर्णय करना ठीक नहीं है. बाद में मैंने छह-छह महीने के लिए अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया. मुझे मालूम था कि शुरुआत में छह महीने मुझे अध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा तो फिर आगे मैं ही बना रहूंगा. आगे चलकर वो भी अध्यक्ष रहे और मैं भी रहा. बाद में अगले साल चुनाव नहीं हुए, इसलिए मुझे एक साल और काम करने का मौका मिल गया. अवधि को रोकने का प्रयास तो हुआ, लेकिन सबसे लंबे वक्त तक मैं ही प्रेसिडेंट रहा.
हिमाचल यूनिवर्सिटी में बड़े मसलों पर होती डिबेट
नड्डा ने एक और किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा कि हिमाचल में कई बड़े नेता छात्र राजनीति से ही चर्चा में आए. हिमाचल यूनिवर्सिटी के छात्र राजनीति को लेकर बहुत सक्रिय रहते हैं. राजनीतिक मसलों पर यहां डिबेट भी बड़े हाई लेवल की होती हैं. यूक्रेन में कोई घटना होती है और यहां आधे घंटे के अंदर पोस्टर लग जाते हैं. ये हिमाचल यूनिवर्सिटी के छात्रों का राजनीति को लेकर सोचने का नजरिया है. चीन में कोई घटना होती है और यहां काउंटर पोस्टर लग जाते हैं. मेरे समय यूनिवर्सिटी में एक बोर्ड होता था. वहां पोस्टर चस्पा किए जाते थे. हॉस्टल के स्टूडेंट पेंट करते हुए पोस्टर लगाते थे. सामने स्टूडेंट सेंटर था, वहां बैठकर लोग चाय पीते थे और डिबेट करते थे.
जेल में रहकर लॉ के पेपर देने जाते थे नड्डा
नड्डा ने जेल में रहकर लॉ की पढ़ाई करने की कहानी भी सुनाई. उन्होंने कहा कि मैंने यहां के कैथू जेल से लॉ की पढ़ाई पूरी की है. जेल में रहते हुए मैंने लॉ के पेपर दिए. मुझे कैथू जेल से पेपर दिलाने के लिए ले जाया जाता था. मेरे टीचर कहते थे कि आपकी अटेंडेंस पूरी नहीं है तो मैं कहता था कि मैं स्टूडेंट सेंटर से निकल रहा हूं और आपकी क्लास अटेंड करने जा रहा हूं. इस बीच, कोई मुझे पकड़ लेता और कोई काम की बात कहता है तो मुझे वो करना पड़ता है. मेरा इंटेंशन बड़ा क्लीयर है. आप भी अपना इंटेंशन क्लीयर कर दीजिए और मुझे परमिशन दीजिए.
जब वीसी को कुर्सी समेत उठा लाए नड्डा
उन्होंने एक और रोचक किस्सा सुनाया. नड्डा ने कहा कि मैं रूल्स को ब्रेक करने वाला व्यक्ति नहीं हूं. हां, एग्रेसिव था. एक बार वीसी से जाकर मैंने कहा कि नीचे स्टूडेंट बैठे हैं, उनसे जाकर मिल लीजिए. उन्होंने नीचे जाकर मिलने से मना कर दिया तो मैं अड़ गया. बात-विवाद बढ़ा और जब वे नहीं माने तो मैं उनको कुर्सी समेत उठाकर नीचे ले आया. ये ऑन रिकॉर्ड है. मैंने उनको शुरू से कहा था कि इज्जत से, प्यार से लेने आए हैं और लेकर जाना है. बाद में वो छात्रों के बीच खड़े रहे. मैंने उनको बताया कि यहां इस मामले की जांच होनी है तो उन्होंने हामी भी भर दी.