
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आदिवासी बहुल मनिका और लोहरदगा की धरती से गुरुवार को अपने चुनाव अभियान का आगाज पर बड़ा दांव चला है. शाह ने राम मंदिर निर्माण, अनुच्छेद 370 और पिछड़ा वर्ग का आरक्षण में हिस्सा बढ़ाने का दांव चला है. झारखंड में शाह ने अपनी पहली रैली के जरिए चुनावी एजेंडा सेट कर दिया है. इससे साफ हो गया है कि बीजेपी विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और ओबीसी मतों के सहारे वोटर्स को अपने पक्ष में लामबंद कर विपक्षी दलों से दो-दो हाथ करेगी.
राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह ने अपने इस दांव से विपक्ष के साथ-साथ कभी एनडीए के सहयोगी रहे आजसू को भी तगड़ा झटका दिया है. आजसू पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाने का मुद्दा शुरू से उठाती रही है. जबकि, कांग्रेस-जेएमएम-आरजेडी गठबंधन ओबीसी आरक्षण मुद्दे को बीजेपी के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बना रही थी.
राममंदिर मुद्दे के जरिए हिदुत्व कार्ड
अमित शाह ने मनिका और लोहरदगा दोनों रैलियों में राममंदिर मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि इतने सालों से अयोध्या में राम मंदिर बनने से कांग्रेस रोक रही थी. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में आसमान छूने वाला भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा. शाह ने राम मंदिर का मुद्दा उठाकर साफ तौर पर हिंदुत्व कार्ड खेलने की कवायद की है. इस तरह से बीजेपी ने राम मंदिर मुद्दे के जरिए एक बार फिर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है.
धारा-370 के जरिए राष्ट्रवाद को धार
अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी अपने वोट बैंक के लालच में इस मामले को 70 साल से लटकाए हुए थी. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत माता के माथे पर लगे अनुच्छेद-370 के कलंक को हटाकर कश्मीर के विकास के रास्ते खोल दिए हैं. शाह ने 370 के बहाने राष्ट्रवाद के मुद्दे को झारखंड के सियासी रण में सेट किया है.
शाह ने खेला ओबीसी कार्ड
झारखंड में पिछड़े समुदाय को साधने के लिए अमित शाह ने ओबीसी आरक्षण का दांव चला है. शाह ने कहा कि बीजेपी अपने घोषणा-पत्र में ओबीसी आरक्षण के दायरे को बढ़ाने का जिक्र करेगी. सरकार बनने के बाद कमेटी का गठन कर आरक्षण बढ़ाने की दिशा में प्रयास किया जाएगा. बता दें कि झारखंड में अभी ओबीसी समुदाय को 14 फीसदी आरक्षण मिल रहा है, जिसे 27 फीसदी किए जाने की मांग शुरू से उठती रही है.
इस बार के चुनाव में कांग्रेस-जेएमएम ओबीसी मुद्दे को अपना सबसे बड़ा सियासी हथियार बना रही है. इतना ही नहीं, बीजेपी की सहयोगी रही आजसू भी पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाने के पक्ष में है. ऐसे में अमित शाह ने भी ओबीसी कार्ड खेलते हुए पिछड़ों के लिए आरक्षण बढ़ाने का वादा किया है.
शाह का आदिवासी दांव
अमित शाह ने झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को भी निशाने पर लिया और कहा, सत्ता सुख हासिल करने को हेमंत किसके साथ बैठे हैं, जिन्होंने युवाओं पर गोलियां चलवाई. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आदिवासी समाज के विकास के लिए कोई काम नहीं किया.अटल जी ने अलग आदिवासी मंत्रालय बनाया. देश के आदिवासियों के लिए बीजेपी खुले दिल से काम कर रही है. बता दें कि झारखंड में 30 फीसदी मतदाता आदिवासी समुदाय के हैं.