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चुनाव आयोग की सात सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट में लीकेज के पुख्ता सबूत नहीं मिले. पांच दिन देरी से शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा से ऐन पहले मीडिया में आई जानकारी को कमेटी ने लीकेज नहीं बल्कि अनुमान माना है.
कमेटी की नज़रों में वो तो तुक्का था जो सही साबित हो गया. एक जगह तुक्का निशाने पर लगा और दूसरी जगह वह गलत साबित हुआ. रिपोर्ट में कहा गया कि पहले भी मीडिया अनुमान लगाता रहा है. इसमें कुछ नया नहीं है. इसलिए कुछ न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया पर प्रसारित जानकारी तुक्का ही थी. उसमें मतदान की तारीख तो सही निकली पर मतगणना की तारीख गलत.
कर्नाटक चुनाव कार्यक्रम के लीकेज पर बवाल होने के बाद जांच के लिए आयोग ने एक कमेटी बनाई. कमेटी ने चुनाव आयोग की ओर से चुनावी कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा से पहले चुनावी कार्यक्रम के सोशल मीडिया और चैनल पर प्रसारित करने वालों से जवाब तलब किया.
कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं, पत्रकारों, मीडिया घरानों से जानकारी इकट्ठा की लेकिन नतीजा वही आया जिसका अंदेशा था. यानी तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय!
कमेटी ने रिपोर्ट में ज़िक्र किया है कि भविष्य में गोपनीयता का सिस्टम ज़्यादा मज़बूत किए जाने के लिए होने वाले उपायों पर कमेटी आयोग के साथ अलग से चर्चा करेगी.