
कर्नाटक विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस पूरी ताकत के साथ मैदान में हैं. राज्य की आधी से ज्यादा आबादी खेती पर निर्भर करती है. राज्य में किसानों की आत्महत्या एक बड़ा मुद्दा रहा है. यही वजह है कि राज्य की सियासी बिसात किसानों के इर्द-गिर्द ही बुनी जा रही है.
कर्नाटक में कांग्रेस का चेहरा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया किसानों को अपने पाले में लाने के लिए जहां कर्जमाफी जैसे कदम लेकर आए, वहीं बीजेपी सत्ता में वापसी के लिए चावल प्लान लेकर आई है. 21 मार्च से पूरे राज्य में बीजेपी 'मुश्ती धान्य संग्रह अभियान' चला रही है.
'मुश्ती धान्य संग्रह अभियान' के तहत बीजेपी कार्यकर्ता गांवों में जाकर किसानों से एक-एक मुट्ठी, चावल, मक्का या रागी अनाज इकट्ठा कर रहे हैं. इसके बदले में किसानों को बीएस येदुरप्पा का एक पत्र दे रहे हैं, जिसमें उनसे आत्महत्या नहीं करने के लिए कहा गया है. ये तीनों आनाज कर्नाटक की मुख्य फसल हैं. सत्ता में आने पर इसके बदले बीजेपी उनके कल्याण के लिए नीतियां बनाने का वादा कर रही है.
किसानों से एकत्र अनाज को 8, 9 और 10 अप्रैल को राज्य के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में किसान और गैर किसानों के साथ सामुहिक भोज में इस्तेमाल किया जाएगा. इस भोज के दौरान बीजेपी नेता किसानों के कल्याण के लिए प्रशासन और शासन स्तर पर योजनाएं लाने की प्रतिज्ञा लेंगे.
कांग्रेस का किसान कार्ड
सिद्धारमैया ने अपने पांच साल के कार्यकाल में किसानों को लेकर कई अहम कदम उठाए हैं. कर्नाटक के किसानों की कर्जमाफी करके सिद्धारमैया ने अपनी सियासी राह को और असान बना लिया है. कावेरी पर आए फैसले से किसानों को अपने नजदीक लाने में कांग्रेस को मदद मिलेगी. राज्य के किसानों के 50 हजार रुपये तक का कर्ज माफ किया गया. इससे सूबे के करीब 22 लाख से ज्यादा किसानों को फायदा मिला है.
सिद्धारमैया ने इस बार के बजट में सिंचाई सुविधा रहित किसानों की मदद के लिये 'रैयत बेलाकू' योजना की भी घोषणा की है, जिसमें वर्षा पर निर्भर खेती करने वाले प्रत्येक किसान को अधिकतम 10,000 रुपये और न्यूनतम 5,000 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से राशि दी जाएगी. इससे करीब 70 लाख किसानों को लाभ मिलने की संभावना है.
कर्नाटक में किसानों की आत्महत्या
कर्नाटक की 56 फीसदी आबादी किसानों की है. राज्य की मुख्य उपज चावल है. राज्य में किसानों की आर्थिक हालत काफी दयनीय है. कर्ज के बोझ में हर रोज औसतन दो किसान आत्महत्या कर रहे हैं. कर्नाटक में पिछले पांच सालों में 3515 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. कर्नाटक के कृषि विभाग के मुताबिक अप्रैल 2013 से लेकर नवंबर 2017 के बीच 3515 किसानों ने सूखे और फसल बर्बाद होने की वजह से आत्महत्या की है.