
कर्नाटक में बीजेपी 2013 विधानसभा चुनाव की गलती दोहराना नहीं चाहती है. इसी के मद्देनजर पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. गुजरात और त्रिपुरा के बाद एक बार फिर कर्नाटक में बीजेपी का कमल खिलाने के लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज उतरे हैं. योगी के जरिए बीजेपी राज्य में नाथ संप्रदाय के मतों को साधने के लिए ये कदम उठाया है.
योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ, गोरखनाथ मंदिर के महंत भी हैं. नाथ संप्रदाय पर यकीन रखने वाले लोग नाथ संप्रदाय के महंत को भगवान का दर्जा देते हैं. इतना ही नहीं महंत को महादेव का अवतार भी मानते हैं.
त्रिपुरा में नाथ संप्रदाय के लोगों को बीजेपी खेमे में लाने में योगी ने अहम भूमिका निभाई थी. इसी तर्ज पर कर्नाटक में नाथ संप्रदाय के लोगों को बीजेपी खेमे में लाने की जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई है. कर्नाटक में इस संप्रदाय की जड़ें बहुत गहरी और फैली हुईं हैं. इसी के मद्देनजर योगी को कर्नाटक के सियासी रणभूमि में आज से उतरे हैं.
योगी नाथ संप्रदाय को साधने उतरे
आजतक से खास बातचीत में खुद ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सिद्धारमैया के कुशासन के खिलाफ कर्नाटक की जनता को अपील करने आया हूं. मैं जिस परंपरा से आता हूं उस समुदाय के राज्य में काफी लोग रहते हैं. ऐसे में मेरा सामाजिक और धार्मिक दायित्व बनता है कि राज्य को अराजकता, भ्रष्टाचार और कुशासन से बाहर निकालने में भूमिका अदा करूं. बता दें कि योगी आदित्यनाथ कर्नाटक में रोड शो मिला कर कुल 35 चुनावी रैलियां करेंगे.कर्नाटक में योगी सक्रिय
पिछले कर्नाटक दौर पर योगी ने मंगलुरू के कदाली मठ गए थे. जिसे योगेश्वर मठ के नाम से भी जाना जाता है. ये कर्नाटक में नाथ संप्रदाय का सबसे बड़ा केंद्र है. कर्नाटक के तटीय इलाकों में नाथ संप्रदाय के अनुयायियों की ज्यादा संख्या है.
योगी आदित्यनाथ की एक रैली तटीय इलाके में हो चुकी है और कई रैलियां अभी होनी है. दक्षिण कन्नड और उडपी में नाथ संप्रदाय के लोग अपनी खास पकड़ के लिए जाने जाते हैं.बीजेपी के आलाकमान ने योगी आदित्यनाथ के जरिए दक्षिण भारत के गेटवे में कमल खिलाने की रणनीति बनाई है.