
बेल्लारी और आसपास के इलाके में लोहे के अयस्क के अवैध खनन में अभियुक्त जनार्दन रेड्डी का नाम खनन किंग के तौर पर जाना जाता है. कर्नाटक की राजनीति के बड़ा नाम है. अरबपति जनार्दन रेड्डी खुद इस बार चुनाव मैदान में नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद जनार्दन रेड्डी सियासत के मैदान से बाहर नहीं हैं. उनके परिवार के आधा दर्जन सदस्य बीजेपी के टिकट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. यही वजह है कि अवैध खनन के आरोपी रेड्डी कर्नाटक में बीजेपी की मदद कर रहे हैं.
बीजेपी लंबे वक्त से रेड्डी ब्रदर्स से दूरी बनाए रखने का दावा करती रही है. लेकिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी ना सिर्फ रेड्डी ब्रदर्स को वापस लाई बल्कि खुले हाथ से उनके परिवार और करीबियों को टिकट भी बांटे.
बेंगलुरु की बीटीएम लेआउट सीट से लल्लेश रेड्डी को टिकट दिया गया है. लल्लेश रिश्ते में जनार्दन रेड्डी के भतीजे हैं. जनार्दन रेड्डी के दो भाइयों- गली सोमशेखर रेड्डी को बेल्लारी सिटी सीट और करुणाकर रेड्डी को हरापनहल्ली सीट से बीजेपी का टिकट मिला है.
रेड्डी ब्रदर्स के बहुत करीबियों में माने जाने वाले श्रीरामुलू को मोलाकलमुरु सीट, फकीरप्पा को बेल्लारी ग्रामीण सीट और टीएच सुरेश बाबू को कंपाली सीट से बीजेपी उम्मीदवार बनाया गया है. तीन रेड्डी भाइयों में करुणाकर सबसे बड़े और सोमाशेखर सबसे छोटे हैं.
चुनाव में उतरे दोनों भाईयों, रिश्तेदार और करीबियों के प्रचार में जनार्दन रेड्डी की धमक पूरी तरह देखी जा रही है. जनार्दन रेड्डी इस बार उत्तर कर्नाटक के कम से कम 6 जिलों में बीजेपी के प्रचार की कमान अपने हाथ में रखे हुए हैं. इन जिलों के नाम हैं- रायचूर, बेल्लारी, चित्रादुर्गा, कोप्पल, हावेरी और गडग. वे बीजेपी के मिशन 150 को हकीकत में बदलने के लिए जी-जान से जुटे हैं.
जनार्दन रेड्डी 2008 में कर्नाटक में बीजेपी का कमल खिलाने में अहम भूमिका अदा की थी. इसी का नतीजा था येदियुरप्पा सरकार में रेड्डी ब्रदर्स का रुतबा देखने लायक था. लेकिन घोटालों और अवैध खनन के आरोपों ने जल्द ही रेड्डी बंधुओं की राजनीतिक साख को बट्टा लगा दिया. इसी के चलते येदियुरप्पा की सीएम की कुर्सी गई थी.
सीबीआई ने जनार्दन रेड्डी उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और अवैध माइनिंग के कई मामलों में केस दर्ज किए हैं. वे 2015 से जमानत पर हैं. रेड्डी तीन साल तक जेल में भी रह चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से जनार्दन रेड्डी को बेल्लारी जिले में घुसने की भी इजाजत नहीं है. इसके बावजूद वे चुनाव प्रचार करते नजर आए, इसके बाद चुनाव आयोग ने शख्त कदम उठाया है और उनकी एंट्री पर रोक लगा दी है.