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कर्नाटक में दलित, OBC, किसान, मुस्लिम रहे किसके साथ? यहां समझें

कर्नाटक में आदिवासी समुदाय 7 फीसदी है और 15 सीटें उनके लिए आरक्षित हैं. आदिवासी समुदाय का भी 44 फीसदी वोट बीजेपी को मिला. जबकि कांग्रेस को 29 फीसदी और जेडीएस को 16 फीसदी वोट मिले.

बीजेपी की चुनावी रैली (फाइल फोटो) बीजेपी की चुनावी रैली (फाइल फोटो)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2018,
  • अपडेटेड 8:22 AM IST

कर्नाटक में एक बार फिर बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही. हालांकि बहुमत से उसकी कुछ सीटें कम रह गई हैं. बीजेपी की जीत में सबसे अहम भूमिका दलित, ओबीसी और लिंगायत वोट की रही. इसके अलावा किसानों की नाराजगी का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा. जबकि मुस्लिमों ने एकजुट होकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया.

कर्नाटक के 222 विधानसभा सीटों के आए नतीजों में 104 सीटें बीजेपी को मिली हैं. जबकि कांग्रेस को 78 सीटें और 37 सीटें जेडीएस के खाते में गई हैं. इसके अलावा 3 सीटें अन्य के खाते में गई हैं. पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में कांग्रेस को 44 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन अपने वोट फीसदी को बचाने में वो सफल रही है. जबकि बीजेपी के वोट फीसदी में भी बढ़ोतरी हुई है.

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कर्नाटक में सबसे बड़ी आबादी दलित मतदाताओं की है. दलित समुदाय के लिए 35 सीटें यहां आरक्षित हैं. कर्नाटक में बीजेपी की जीत में अहम रोल दलित मतदाताओं ने निभाया. दलित समुदाय का 40 फीसदी वोट बीजेपी को मिला है, वहीं कांग्रेस को 37 फीसदी और जेडीएस को 18 फीसदी. जबकि पिछले चुनाव में दलितों का 65 फीसदी से ज्यादा वोट कांग्रेस को मिला था.

कर्नाटक में आदिवासी समुदाय 7 फीसदी है और 15 सीटें उनके लिए आरक्षित हैं. आदिवासी समुदाय का भी 44 फीसदी वोट बीजेपी को मिला. जबकि कांग्रेस को 29 फीसदी और जेडीएस को 16 फीसदी वोट मिले.

ओबीसी समुदाय के वोट हासिल करने में भी बीजेपी पहले नंबर पर रही. कर्नाटक में ओबीसी समुदाय का 52 फीसदी वोट बीजेपी को मिला, जबकि कांग्रेस को 24 फीसदी और जेडीएस को 14 फीसदी वोट मिले.

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राज्य में दलितों के बाद तीसरी सबसे बड़ी आबादी मुस्लिम समुदाय की है.इसके 14 फीसदी वोट हैं. मुसलमानों की पहली पसंद कांग्रेस रही. मुस्लिमों का 78 फीसदी वोट कांग्रेस को मिला. जबकि बीजेपी को महज 5 फीसदी वोट मिला. वहीं ओवैसी के समर्थन के बाद भी जेडीएस 18 फीसदी मुस्लिमों का वोट ही पा सकी.

कर्नाटक चुनाव में वोटिंग ट्रेंड में भी बदलाव देखने को मिला. बीजेपी ने शहरी क्षेत्र से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में बेहतर प्रदर्शन किया. इसके पीछे किसानों की अहम भूमिका रही. राज्य के ग्रामीण क्षेत्र की 166 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से 74 सीटें बीजेपी को मिली हैं. जबकि कांग्रेस 57 सीटें ही जीत सकी. वहीं जेडीएस के खाते में 33 और 2 सीटें अन्य को मिली हैं.

चुनाव में राज्य के किसानों की आत्महत्या को मुद्दा बनाना बीजेपी के लिए फायदे का सौदा रहा. यही वजह रही कि किसानों की पहली पसंद बीजेपी रही. किसान बहुल 74 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से 35 सीटें बीजेपी के खाते में गई हैं, जो कि 2013 के लिहाज से 11 सीटें बढ़ी हैं. कांग्रेस को 22 सीटें और जेडीएस को 16 और दो सीटें अन्य को मिली हैं. जबकि 2013 के चुनाव किसान बहुल इलाकों की 40 सीटें कांग्रेस जीती थी.

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