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कर्नाटक चुनाव:बेल्लारी सीट पर BJP के सोमशेखर रेड्डी जीते

गौरतलब है कि कर्नाटक में 12 मई को विधानसभा के चुनाव हुए और आज नतीजे आने वाले हैं.  राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला है, लेकिन यदि त्रिशंकु विधानसभा की स्थ‍िति आई तो जनता दल सेकुलर किंगमेकर बन सकती है.

खनन इलाके में कड़ा मुकाबला खनन इलाके में कड़ा मुकाबला
अंकुर कुमार
  • बेंगलुरु/नई द‍िल्‍ली ,
  • 15 मई 2018,
  • अपडेटेड 6:17 PM IST

कर्नाटक का बेल्लारी जिला देश में अपने अवैध खनन के लिए बदनाम रहा है. हालांकि इस इलाके की खासियत यह भी है कि यहां हर साल हजारों करोड़ रुपये का खनिज निर्यात होता है और यहां तमाम सार्वजनिक और निजी कंपनियां करोड़ों का कारोबार कर रही है. यह बीजेपी के मशहूर रेड्डी बंधुओं का इलाका है, इसलिए बेल्लारी सिटी विधानसभा सीट राज्य के वीआईपी सीटों में शुमार है. यहां से रेड्डी बद्रर्स में से एक सोमशेखर रेड्डी चुनाव जीत गए हैं. रेड्डी ने कांग्रेस उम्‍मीदवार लाड को 16155 वोट से हराया

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गौरतलब है कि कर्नाटक में 12 मई को विधानसभा के चुनाव हुए और आज नतीजे आने लगे हैं.  राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला है, लेकिन यदि त्रिशंकु विधानसभा की स्थ‍िति आई तो जनता दल सेक्युलर किंगमेकर बन सकती है.

बेल्लारी सिटी विधानसभा

बेल्लारी सिटी सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. तब से यह सीट एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस के खाते में रही है. बीजेपी ने यहां से जी. सोमशेखर रेड्डी, कांग्रेस ने अनिल एच लाड, जनता दल सेकुलर ने मुहम्मद इकबाल होथुर, एनसीपी ने मुहम्मद इस्माइल और शिवसेना ने वी युरुकुंडू को मैदान में उतारा था. यहां से कुल 28 उम्मीदवार मैदान में हैं.

रेड्डी बनाम लाड है मुकाबला

बीजेपी की पिछली राज्य सरकार में खनन घोटाले के आरोपी रहे मंत्री और खनन व्यवसायी जी. जनार्दन रेड्डी के बड़े भाई जी सोमशेखर रेड्डी को बेल्लारी सिटी से टिकट दिया गया है. सोमशेखर रेड्डी पूर्व विधायक हैं जो 2013 के चुनावों में कांग्रेस के अनिल लाड से चुनाव हार गए थे. अनिल लाड काफी अमीर कैंडिडेट थे. कांग्रेस के सबसे अमीर उम्मीदवारों की सूची में चौथा नाम अनिल लाड का है, जिनकी संपत्ति 342.2 करोड़ रुपये है. वैसे दोनों कैंडिडेट पर कई आपराधिक मामले चल रहे हैं.

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2013 के चुनाव में कांग्रेस कैंडिडेट अनिल लाड को 52,098 वोट हासिल हुए थे और उन्हें 18,200 वोटों से जीत मिली थी.

रेड्डी बंधुओं में से जर्नादन रेड्डी के बेल्लारी में प्रवेश करने पर रोक है. अवैध खनन मामले में जमानत की यह एक पूर्व शर्त थी. वह चित्रदुर्ग जिले के मोलाकलमुरू से अपने भाइयों और बीजेपी के अभियान पर नजर रखे हैं. बीजेपी ने बेल्लारी सिटी से उनके एक भाई जी. सोमशेखर रेड्डी तो दावनगेरे जिले में हरापनहल्ली में उनके बड़े भाई जी. करुणाकर रेड्डी को उतारा है.

तो रेड्डी इस बार यह सीट अपने नाम करने के लिए पूरी ताकत झोंक चुके हैं. लेकिन लाड को हराना इतना आसान भी नहीं है. दोनों बड़ी पार्टियों, कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही यहां कड़ा मुकाबला था. रेड्डी को मोदी लहर तो कांग्रेस कैंडिडेट को जातिगत समीकरण अपने पक्ष में होने का भरोसा था. अभी यहां से लाड विधायक हैं और वह इलाके को भली-भांति जानते हैं.

लौह अयस्क से नेता हुए मालामाल

कर्नाटक के बेल्लारी जिले में देश का करीब 25 फीसदी फीसदी लौह अयस्क भंडार है. साल 1994 तक वहां सरकारी एनएमडीसी जैसी कुछ ही कंपनियां संचालित हो रही थीं. बाद में सरकार ने निजी ऑपरेटर्स को माइनिंग का लाइसेंस दे दिया. बेल्लारी के खनन उद्योग की चांदी तब शुरू हुई जब चीन से आने वाली भारी मांग की वजह से लौह अयस्क की डिमांड काफी बढ़ गई. साल 2000 से 2008 के बीच विश्व बाजार में लौह अयस्क की कीमत करीब तीन गुना बढ़ गई. भारत लौह अयस्क के बड़े निर्यातकों में शामिल हो गया.

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इस अवैध निर्यात की कीमत करीब 7,500 करोड़ रुपये थी. रेड्डी ब्रदर्स (जी. करुणाकर रेड्डी, जनार्दन रेड्डी और सुधाकर रेड्डी) इस खनन क्रांति का सबसे ज्यादा फायदा उठाने वालों में से थे.

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