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..अब यहीं से शुरू होती है सीएम येदियुरप्पा की असली परीक्षा

बीजेपी के पास बहुमत के लिए जरूरी विधायकों की संख्या से 8 कम है. ऐसे में बहुमत साबित करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है.

बीएस येदियुरप्पा बीएस येदियुरप्पा
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 17 मई 2018,
  • अपडेटेड 9:40 AM IST

सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. लेकिन सिंहासन पर काबिज होने के बाद ही उनकी परीक्षा की घड़ी शुरू होती है. बीजेपी के पास बहुमत के लिए जरूरी विधायकों की संख्या से 8 कम है. ऐसे में बहुमत साबित करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है.

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हालांकि, बीजेपी को सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार सुबह 10.30 बजे समर्थक विधायकों की लिस्ट सौंपनी है. ऐसे में आज ही दिन बचता है. येदियुरप्पा मुख्यमंत्री की शपथ ले चुके हैं. इसके बाद उनके सामने विधानसभा में बहुमत साबित करने की चुनौती है. लेकिन इससे पहले उन्हें सुप्रीम कोर्ट में भी अग्निपरीक्षा में पास होना होगा. समर्थन का पत्र कोर्ट में शुक्रवार को रखना होगा.

बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव की 222 सीटों पर आए नतीजों में बीजेपी को 104 सीटें मिली हैं, जो कि बहुमत से 8 विधायक कम है. कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37, बसपा को 1 और अन्य को 2 सीटें मिली हैं. ऐसे में बीजेपी भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो, लेकिन बहुमत से वो दूर है. जबकि कांग्रेस और जेडीएस ने नतीजे आने के बाद हाथ मिला लिया है.

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बीजेपी ने जहां सबसे बड़ी पार्टी होने के चलते सरकार बनाने का दावा पेश किया, ती वहीं जेडीएस और कांग्रेस ने गठबंधन करके विधायकों की पर्याप्त संख्या होने का हवाला देकर सरकार बनाने का दावा पेश किया. इसके बाद बुधवार की शाम कर्नाटक के राज्‍यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्‍योता भेजा और येदियुरप्‍पा को 15 दिन में बहुमत साबित करने का समय दिया.

येदियुरप्‍पा ने गुरुवार सुबह 9 बजे तय समय पर मुख्यमंत्री पद का शपथ ली. बीजेपी बहुमत को साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है. ऐसी हालत में बीजेपी को सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार सुबह 10.30 बजे समर्थक विधायकों का पत्र सौंपना है. जबकि उनके पास 104 विधायक ही हैं. ऐसे में बीजेपी को 8 विधायकों का समर्थन का आंकड़ा जुटाना एक बड़ी चुनौती है.

बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद अब एक ही विकल्प बचता है, कि बीजेपी सुप्रीम कोर्ट की तय समय सीमा से पहले अगर विधानसभा का सदन बुलाकर बहुमत साबित कर सकती है. इस रणनीति में भी बीजेपी तभी सफल हो पाएगी जब कांग्रेस और जेडीएस के करीब ढेड़ दर्जन विधायक बहुमत के दौरान सदन में उपस्थित न रहे. वहीं बीजेपी के सभी विधायक सदन में रहे और पार्टी के पक्ष में वोटिंग करें.

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बीजेपी इसे करने में सफल रहती है, तो फिर 112 विधायकों की लिस्ट देने से बच सकती है. विधानसभा के बहुमत के बिना पर सुप्रीम कोर्ट में राहत मिल सकती है. इस तरह से येदियुरप्पा अपनी सत्ता के सिंहासन की कुर्सी बचा सकते हैं. इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता बीजेपी के पास नहीं है.  

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