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कर्नाटकः इन 5 वजहों से गिर सकती है ढाई दिन की येदियुरप्पा सरकार

येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 8 अतिरिक्त विधायकों की जरूरत पड़ेगी. हालांकि जेडीएस के कुमारस्वामी दो सीटों से जीतकर विधायक बने हैं. ऐसे में उन्हें एक सीट से इस्तीफा देना पड़ेगा. ऐसी हालत में फिर 221 सीट के लिहाज से बीजेपी को 111 सीटों की जरूरत पड़ेगी बहुमत साबित करने के लिए. ऐसे में बहुमत का नंबर गेम बीडेपी के पक्ष में नहीं दिख रहा है.

बीएस येदियुरप्पा बीएस येदियुरप्पा
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली/बेंगलुरू,
  • 19 मई 2018,
  • अपडेटेड 4:25 PM IST

बीएस येदियुरप्पा भले ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हो गए हैं, लेकिन उनकी सत्ता की कुर्सी का पाया फिलहाल लड़खड़ाता दिख रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के बाद येदियुरप्पा को आज ही सदन में बहुमत की अग्निपरीक्षा पास करनी है.

सूत्रों के मुताबिक अगर बीजेपी जादुई आंकड़े को नहीं छू पाती है तो येदियुरप्पा एक भावुक भाषण देकर वहां से निकल जाएंगे. इसके बाद वे इस्तीफा दे सकते हैं और बहुमत परीक्षण का सामना नहीं करेंगे. 

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आपको बता दें कि बीजेपी के लिए सदन में 112 विधायकों का जादुई आंकड़ा जुटा पाना एक बड़ी चुनौती है. कांग्रेस-जेडीएस ने अपने एक-एक विधायकों पर पहरा लगा रखा है और पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट की नजर है. राज्यपाल वजुभाई वाला ने येदियुरप्पा सरकार को शपथ भले ही दिला दी हो, लेकिन ऐसी पांच वजहें हैं जिनके चलते येदियुरप्पा की सरकार का जाना तय माना जा रहा है!

नंबर गेम बीजेपी के पक्ष में नहीं

कर्नाटक विधानसभा में 222 सीटों के लिए चुनाव हुए हैं. बहुमत के लिए 112 सीटों की जरूरत होगी. बीजेपी के 104 विधायक जीतकर आए हैं. जेडीएस के 37 और कांग्रेस के 78 विधायक और 3 अन्य दलों के विधायक जीत कर आए हैं. येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 8 अतिरिक्त विधायकों की जरूरत पड़ेगी. हालांकि जेडीएस के कुमारस्वामी दो सीटों से जीतकर विधायक बने हैं. ऐसे में उन्हें एक सीट से इस्तीफा देना पड़ेगा. ऐसी हालत में फिर 221 सीट के लिहाज से बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए 111 सीटों की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में बहुमत का नंबर गेम बीजेपी के पक्ष में नहीं दिख रहा है.

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विपक्ष के पास स्पष्ट बहुमत

कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस अलग-अलग होकर चुनाव लड़े थे, लेकिन नतीजे के बाद दोनों पार्टियों ने हाथ मिला लिया है. कांग्रेस के 78, जेडीएस के 37 और बसपा के 1 विधायक मिलाकर ये आंकड़ा 116 पहुंचता है. इसके अलावा एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन है. इस तरह से विपक्ष की संख्या 117 पहुंचती है. इनके पास बहुमत से 5 विधायक ज्यादा हैं. विपक्ष आखिरी वक्त तक विधायकों को टूटने से बचाने में कामयाब रहती है, तो फिर येदियुरप्पा की विदाई तय है.

कांग्रेस-JDS के 14 MLA सदन से बाहर रखना

बीजेपी के पास 104 विधायक हैं. इस संख्या बल के साथ बीजेपी सरकार बहुमत तभी पास कर सकती है, जब 221 विधायकों की संख्या सदन में 207 हो जाए. कांग्रेस और जेडीएस के 14 विधायकों इस्तीफा दें या फिर बहुमत के दौरान सदन से बाहर रहें. बीजेपी के लिए विपक्ष के 14 विधायकों को सदन से बाहर रखना या फिर उन्हें इस्तीफा दिलाना एक बड़ी चुनौती है. कांग्रेस-जेडीएस अपने विधायकों को साथ रखने में सफल रहती है तो येदियुरप्पा की कुर्सी जानी तय है.

क्रॉस वोटिंग की स्थिति में दलबदल कानून के नियम

बीजेपी अगर कांग्रेस और जेडीएस के सात विधायकों की अपने पक्ष में वोटिंग करा सकी तो येदियुरप्पा बहुमत साबित कर सकते हैं. लेकिन दलबदल कानून के नियम के तहत उन विधायकों की सदस्यता चली जाएगी. ऐसी स्थिति में सरकार की स्थिरता पर संकट बरकरार रहेगा. कांग्रेस जिस तरह से हर मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जा रही है, ऐसे में येदियुरप्पा पर संकट के बादल छाए रहेंगे.

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उत्तराखंड, अरूणाचल का उदाहरण

अरूणाचल और उत्तराखंड मामले को याद रखना चाहिए. कांग्रेस इन दोनों राज्यों के उदाहरण को लेकर कर्नाटक मामले को सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दे सकती है. इन दोनों राज्यों में अरुणाचल में बीजेपी ने कांग्रेस को बेदखल करके सरकार बना ली थी. जबकि वहीं उत्तराखंड में बीजेपी ने कांग्रेसी विधायकों को तोड़कर राष्ट्रपति शासन लगवाया था. कांग्रेस इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में गई, जहां राष्ट्रपति शासन के फैसले को निरस्त कर दिया गया और कांग्रेस फिर से सत्ता पर काबिज हो गई थी.अगर कर्नाटक में भी येदियुरप्पा इस तरीके से अपनी सरकार बचा पाने में सफल रहते हैं तो कांग्रेस फिर से सुप्रीम कोर्ट की शरण में जा सकती है.

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