
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को वोटों की गिनती का सभी को इंतजार है. तमाम एग्जिट पोल में एक जैसी तस्वीर नहीं आने से स्थिति और उलझी है. कुछ एग्जिट पोल में कांग्रेस को तो कुछ में बीजेपी को आगे दिखाया गया है.
जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो वो कर्नाटक में सिर्फ सरकार बनाने की बात ही नहीं कर रही है, बल्कि अपने आंतरिक सर्वे के हवाले से 127 सीटें जीतने का दावा भी कर रही है. वैसे कांग्रेस ने हर स्थिति के लिए खुद को तैयार भी रखा हुआ है. कांग्रेस हर सूरत में कर्नाटक के किले को अपने पास ही बरकरार रखना चाहती है. पार्टी ने इसके लिए तीन प्लान तैयार किये हैं और अगर तीनों में नाकाम रही तो जेडीएस के मुख्यमंत्री को समर्थन देने के बजाय विपक्ष में बैठना पसंद करेगी. कर्नाटक इस बार गोवा और मेघालय की गलती नहीं दोहराना चाहती.
कांग्रेस का प्लान 'A'
पार्टी का पहला प्लान तो बड़ा सीधा है कि कांग्रेस को अगर बहुमत मिलता है तो सिद्धारमैया सीएम बनें. इस सूरत में सिद्धारमैया के उस बयान के कोई मायने नहीं हैं कि जरूरत पड़ी तो पार्टी से किसी दलित को सीएम बनाने के लिए वे खुद पीछे हट जाएंगे. आखिर कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, दोनों की सीएम के लिए पहली पसंद सिद्धारमैया ही हैं. साथ ही पार्टी ने उनको सीएम के चेहरे के तौर भी पहले से ही पेश किया हुआ है.
कांग्रेस का प्लान 'B'
कांग्रेस अगर बहुमत से दूर रहते हुए 105 के आसपास सीटों पर रहती है तो सिद्धारमैया ने ऐसी सूरत में भी पार्टी को भरोसा दिया हुआ है. सिद्धारमैया के मुताबिक इसके लिए वे निर्दलीय, गैर बीजेपी और गैर जेडीएस विधायकों का साथ जुटा लेंगे.
कांग्रेस का प्लान 'C'
कांग्रेस अगर बहुमत से ज्यादा दूर रहती है तो हर कीमत पर उसकी कोशिश बीजेपी को सत्ता से दूर रखने की होगी. कांग्रेस के लिए सबसे अहम यही तीसरा प्लान है. यानी अगर कांग्रेस बहुमत से ज़्यादा दूर रहती है तो जेडीएस से मिलकर सरकार बना सकती है. ऐसी सूरत में पार्टी जेडीएस को साथ लाने की कोशिश करेगी. लेकिन ये तय है कि कांग्रेस मुख्यमंत्री की कुर्सी जेडीएस को कतई नहीं देगी.
उधर जेडीएस की ओर से मुख्यमंत्री के लिए सिद्धारमैया के नाम पर राजी होने की संभावना ना के बराबर होगा. जेडीएस भूली नहीं है कि किस तरह सिद्धारमैया ने जेडीएस को तोड़कर अतीत में कांग्रेस का हाथ थामा था. ऐसी सूरत में कांग्रेस सिद्धारमैया की जगह पार्टी के किसी दलित चेहरे को सीएम के तौर पर पेश कर देगी.
लोकसभा में राहुल करेंगे अगुवाई?
ऐसा होता है तो कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष जी. परमेश्वर या लोकसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे सीएम उम्मीदवार हो सकते हैं. वैसे पार्टी में चर्चा इस बात की भी है कि, अगर बदले हालात में खड़गे को सीएम बनाकर भेजना पड़ा, तो राहुल खुद लोकसभा में पार्टी का नेता पद संभाल सकते हैं. लेकिन ये सब अभी भविष्य के अधर में हैं.
रणनीति के लिहाज से पार्टी के प्रभारी महासचिव के सी वेणुगोपाल और प्रभारी सचिव मधु गौड़ यक्षी को पार्टी ने राज्य में तैनात रखा है. इनके अलावा सियासी घमासान और आंकड़ों के गणित को साधने के लिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और पार्टी के संगठन महासचिव अशोक गहलोत को कांग्रेस आलाकमान ने खास तौर पर दिल्ली से भेजा है. पार्टी को आशंका है कि गोवा और मेघालय जैसा घटनाक्रम कर्नाटक में दोहराने ना पाए. गोवा और मेघालय में बीजेपी का चुनाव उपरांत मैनेजमेंट कांग्रेस पर भारी पड़ा था और उसने सरकार बनाने में कामयाबी पाई थी.
प्लान ‘C’ के मामले पर कांग्रेस के नेता खुलकर कुछ नहीं बोल रहे, लेकिन जेडीएस से तालमेल के सवाल पर पार्टी नेता आरपीएन सिंह ने कहा कि, कर्नाटक में हमारी सरकार बन रही है, फिर भी अगर जेडीएस धर्मनिरपेक्ष एकजुटता के नाम पर हमारे साथ आती है तो उसका स्वागत है.
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस की पूरी कोशिश जेडीएस को बीजेपी के साथ जाने से रोकने की होगी. सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस जेडीएस को ये भी समझाएगी कि बीजेपी एनडीए में अपने सहयोगियों के साथ किस तरह का व्यवहार करती है. इसके लिए पार्टी शिवसेना और चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम का हवाला दे सकती है. यहां तक कि नीतीश कुमार की मिसाल भी कांग्रेस दे सकती है.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस जेडीएस को ये भी बताएगी कि आने वाले कल में बीजेपी उसके विधायक तोड़ भी सकती है. दूसरी तरफ कांग्रेस 2019 के लिए बड़ा सेक्युलर दलों का गठजोड़ बनायेगी ही, जिसमे हाथ मिलाने की सूरत में जेडीएस के लिए भी जगह होगी. लेकिन बीजेपी के साथ जाने की सूरत में जेडीएस को बीजेपी और उसके मतदाताओं का ही मोहताज रहना होगा, क्योंकि तब अल्पसंख्यक और सेक्युलर वोट जेडीएस से दूर हो जाएंगे.