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कर्नाटक चुनाव: जगदीश शेट्टार क्यों हैं कांग्रेस के लिए ट्रम्पकार्ड? जानें कैसे बनी बीजेपी से दूरी

बीजेपी में करीब 5 दशक तक रहने के बाद आखिरकार कर्नाटक के सीएम जगदीश शेट्टार ने कांग्रेस ज्वॉइन कर ली. उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट ने मिलने पर नाराजगी जाहिर करते हुए रविवार को बीजेपी छोड़ दी थी. शेट्टार के प्रमुख लिंगायत नेता है.  ऐसा कहा जाता है कि उनका कर्नाटक की करीब 25 सीटों पर प्रभाव है. जानते हैं कि उनके कांग्रेस में जाने से बीजेपी को क्या नुकसान हो सकता है.

छह बार के विधायक जगदीश शेट्टार ने सोमवार को ज्वॉइन कर ली कांग्रेस छह बार के विधायक जगदीश शेट्टार ने सोमवार को ज्वॉइन कर ली कांग्रेस
नागार्जुन /राम कृष्ण
  • बेंगलुरु,
  • 17 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 7:56 PM IST

कर्नाटक चुनाव से पहले बीजेपी को बहुत बड़ा झटका मिल गया. छह बार के विधायक रहे पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार ने सोमवार सुबह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में पार्टी कार्यालय में कांग्रेस ज्वॉइन कर ली. शेट्टार अब कांग्रेस से अपनी सीट हुबली-धारवाड़ से ही चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस महासचिव (कर्नाटक प्रभारी) रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी ट्वीट कर यह जानकारी दी. उन्होंने अपने ट्वीट में उनके राजनीति कद के बारे में भी बताया. कांग्रेस नेता अपने ट्वीट में आगे लिखा- एक नया अध्याय, एक नया इतिहास, एक नई शुरुआत… बीजेपी के पूर्व सीएम, पूर्व भाजपा अध्यक्ष, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, छह बार विधायक, श्री जगदीश शेट्टार आज कांग्रेस परिवार में शामिल हो गए. उन्होंने यह फैसला बेंगलुरु में सुरजेवाला, सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार से मुलाकात के बाद लिया. 

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आपके के मन में यह सवाल चल रहा होगा कि विधानसभा चुनाव से ऐन पहले कर्नाटक में कांग्रेस का यह दावं बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचा सकता है लेकिन उससे पहले यह जानते हैं कि बीजेपी के साथ इतना लंबा सफर तय करने के बाद ऐसा क्या हुआ कि जगदीश शेट्टार को पार्टी से नाता तोड़ना पड़ गया.

BJP ने इस बार नहीं दिया टिकट

बीजेपी ने इस कर्नाटक चुनाव में युवा और नए चेहरों को टिकट दिया है. उसने इस बार कई दिग्गज नेताओं के नाम काट दिए, जिनमें एक नाम जगदीश शेट्टार का भी था. टिकट न मिलने से नाराज शेट्टार ने पहले तो पार्टी हाईकमान से इसकी वजह पूछी. उन्होंने कहा था- मैं छह बार जीता, मेरे करियर में कोई दाग नहीं है और मुझ पर कोई आरोप नहीं है. ऐसे में मुझे बाहर क्यों किया जा रहा है? कर्नाटक की सियासत में इतने लंबी पारी में भ्रष्टाचार के आरोपों से बचे रहना अपने आप में बड़ी बात है. 

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इसके बाद शेट्टार ने कहा था- मैंने विधानसभा से इस्तीफा देने का फैसला किया है. मैंने सिरसी में मौजूद स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी से मिलने का समय मांगा है और अपना इस्तीफा दे दिया है. भारी मन से मैं पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं. मैं वह हूं जिसने इस पार्टी को बनाया और खड़ा किया है. लेकिन उन्होंने (पार्टी के कुछ नेताओं ने) मेरे लिए पार्टी से इस्तीफा देने की स्थिति पैदा की.

उन्होंने कहा था कि पार्टी के नेता जगदीश शेट्टार को अभी तक नहीं समझ पाए हैं, जिस तरह से उन्होंने मुझे अपमानित किया, जिस तरह से पार्टी के नेताओं ने मुझे नजरअंदाज किया, उससे मैं परेशान हूं, जिससे मुझे लगा कि मुझे चुप नहीं बैठना चाहिए और मुझे उन्हें चुनौती देनी चाहिए. लिंगायत नेता ने यह भी आरोप लगाया कि उनके खिलाफ एक साजिश रची गई थी और कहा कि वह कभी भी एक सख्त स्वभाव के व्यक्ति नहीं थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें ऐसा बनने के लिए मजबूत किया. 

जानिए क्यों बीजेपी के लिए खड़ी हो सकती है मुश्किल

- कर्नाटक में बीजेपी के दिग्गज नेता येदियुरप्पा और ईश्वरप्पा इस बार चुनावी मैदान नहीं हैं. वहीं कर्नाटक में बीजेपी को मजबूत करने वाले शेट्टार ने पार्टी छोड़ दी है, जिससे बीजेपी को खासकर हुबली-धारवाड़ इलाके में नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि बीजेपी सूत्रों का कहना है कि हुबली-धारवाड़ सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ है, इसलिए कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे शेट्टार के लिए जीत हासिल करना आसान नहीं होगा.

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- जगदीश शेट्टार दक्षिण-मुंबई कर्नाटक के इलाके से आते हैं, यह बीजेपी का सबसे मजबूत दुर्ग है. यहां कांग्रेस काफी कमजोर थी. यहां लिंगायत समुदाय के लोगों की बड़ी संख्या है. येदियुरप्पा के बाद बीजेपी में जगदीश शेट्टार लिंगायत समुदाय के दूसरे सबसे बड़े नेता माने जाते हैं. लिंगायत समुदाय पहले ही नाराज माने जा रहे हैं. ऐसे में शेट्टार का बीजेपी छोड़कर कांग्रेस जाना उसे नुकसान पहुंचा सकता है. कांग्रेस को उम्मीद है कि शेट्टार उत्तर कर्नाटक से एक प्रमुख लिंगायत होने के नाते समुदाय के कुछ वोटों को पार्टी के लिए 'स्थानांतरित' करने में सफल होंगे.  

- पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार के राजनीतिक जीवन में कोई दाग नहीं लगा है. कर्नाटक की सियासत में इतने लंबी पारी में भ्रष्टाचार के आरोपों से बचे रहना अपने आप में बड़ी बात है. जबकि बोम्मई सरकार भ्रष्टाचार, घोटालों और 40 फीसदी कमीशन वाली सरकार के आरोपों का सामना कर रही है. इन्हीं आरोपों के चलते बीजेपी के कई नेताओं को पद तक छोड़ना पड़ गया. ऐसे में शेट्टार की बेदाग छवि से कांग्रेस को बहुत फायदा पहुंच सकता है.

पार्टी अध्यक्ष से मुख्यमंत्री तक का तय किया सफर

पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को सियासत विरासत में मिली है. शेट्टार के पिता एसएस शेट्टार हुबली-धारवाड़ नगर निगम में 5 बार पार्षद रहे थे. वह मेयर भी थे. इसके अलावा उनके भाई एमएलसी और चाचा विधायक थे. उनके चाचा सदाशिव शेट्टार जनसंघ से 1967 में हुबली से विधायक थे.

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शेट्टार एक लॉ ग्रेजुएट थे. राजनीति में आने से पहले करीब 20 साल तक उन्होंने वकालत की थी. उन्होंने बसवराज बोम्मई को एक बार हराया था, जो जनता दल के उम्मीदवार थे. जगदीश शेट्टार ने ABVP से शुरुआत की लेकिन 1994 में वह हुबली ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी विधायक बने थे. इसके बाद 1999 में लिंगायत शिवप्पा को दौड़ से बाहर करते हुए नेता प्रतिपक्ष बने. 2004 पार्टी अध्यक्ष की रेस में ओबीसी बंगारप्पा को दौड़ से बाहर कर दिया. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष (2008-9), भाजपा मंत्री (2009-12), मुख्यमंत्री (2012-13) और विपक्ष के नेता (2014-18) के रूप में कार्य किया था.

2012 में लिंगायत वोट बैंक को बरकरार रखने के लिए पार्टी ने इन्हें बनाया गया. वह हुबली ग्रामीण (अब हुबली धारवाड़ मध्य) से 6 बार के विधायक हैं. इस बार वह 7वीं बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं. शेट्टार अपने पांच दशक के राजनीतिक सफर में मंत्री से लेकर सीएम रहे, लेकिन राजनीतिक जीवन में कोई दाग नहीं लगा है.

शेट्टार परिवार की हुबली-धारवाड़ इलाके में मजबूत पकड़ है. शायद यही वजह है कि पिछले दिनों शेट्टार ने बीजेपी से कहा था कि अगर उन्हें टिकट नहीं दिया जाता है तो इसका असर राज्य के अलावा उत्तर कर्नाटक की 20 से 25 विधानसभा सीटों पर पड़ेगा.

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राज्यसभा सांसद, केंद्रीय मंत्री बनने का मिला था ऑफर

सीएम बसवराज बोम्मई के अनुसार, शेट्टार की नाराजगी जानने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें फोन किया था.  उन्होंने शेट्टार को विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद राज्यसभा सदस्य बनाने और केंद्रीय कैबिनेट में लाने की पेशकश की, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

वहीं बीजेपी ने अब जगदीश शेट्टार के पार्टी छोड़ने और उनके आरोपों का जवाब देने की तैयार कर रही है. बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को शेट्टार जैसे दिग्गजों को टिकट न देने के आलाकमान के फैसले का बचाव करने और पार्टी छोड़ने के उनके फैसलों की निंदा करने के लिए एक मसौदा तैयार किया. पार्टी ने उनके फैसले को बीजेपी के साथ विश्वासघात करार दिया है. हालांकि मीडिया से जब बोम्मई से शेट्टार को टिकट ने देने पर सवाल किया था तो उन्होंने कहा था कि बीजेपी ने परिवर्तन की नीति अपनाई है. 

शेट्टार को टिकट देने के पक्ष में नहीं थे प्रह्लाद जोशी और बोम्मई

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक प्रह्लाद जोशी और बसवराज बोम्मई नहीं चाहते थे कि शेट्टार को टिकट मिले. उन्होंने यह कहते हुए शेट्टार को टिकट देने से रोक दिया कि नई पीढ़ी को मौका देने का समय आ गया है. दरअसल दोनों मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं और येदियुरप्पा के रिटायरमेंट के बाद से शेट्टार सबसे वरिष्ठ लिंगायत नेता होने के नाते इस दौड़ में सबसे आगे हो जाते, दोनों नेता उन्हें इस दौड़ से दूर रखना चाहते थे. 

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10 मई को होगा मतदान, 13 को घोषित होंगे परिणाम

कर्नाटक में इस बार एक चरण में ही विधानसभा चुनाव होगा. यहां 224 विधानसभा सीटों के लिए 10 मई को वोटिंग होगी जबकि 13 मई को चुनाव परिणाम जारी कर दिए जाएंगे. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के मुताबिक राज्य में 5.21 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 2.6 करोड़ है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 2.5 करोड़ है. 224 सदस्यीय सदन में कांग्रेस के पास 68 विधायक हैं. हालांकि, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 80 सीट, जेडीएस ने 37 सीट और भाजपा ने 104 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

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