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कर्नाटक विधानसभा चुनाव: गोल्ड लैंड KGF और शोले के 'रामगढ़' से कौन-कौन चुनावी मैदान में?

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए 10 मई को मतदान है. 13 मई को नतीजे आएंगे. इससे पहले बीजेपी और कांग्रेस ने अपने अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया. 224 सीटों वाले कर्नाटक में बीजेपी ने अब 212 सीटों पर उम्मीदवारों का नाम जारी कर दिया. जबकि कांग्रेस ने सभी 224 सीटों पर उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी.

2018 में आई फिल्म केजीएफ सुपरहिट साबित हुई. 2018 में आई फिल्म केजीएफ सुपरहिट साबित हुई.
प्रभंजन भदौरिया
  • बेंगलुरु,
  • 13 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 1:32 PM IST

साल 2018 में साउथ की एक फिल्म आई थी KGF. इसमें साउथ के स्टार यश ने मुख्य भूमिका निभाई थी. फिल्म सुपरहिट हुई. 2022 में फिल्म के रीमेक ने भी  KGF चैप्टर 2 ने भी खूब कमाई की. फिल्म के नाम की वजह से चर्चा में आया KGF शब्द. KGF यानी कोलार गोल्ड फील्ड. यह कर्नाटक के कोलार में पड़ने वाला क्षेत्र है. अब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. 10 मई को मतदान होना है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में KGF (कोलार गोल्ड फील्ड) का नाम भी शामिल है. आईए जानते हैं कि यहां से बीजेपी और कांग्रेस ने किसे टिकट दिया? साथ ही जानते हैं कि शोले के रामगढ़ से इस बार किसे किसे उम्मीदवार बनाया गया है? 

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KGF से किसे किसे मिला टिकट ?

केजीएफ का पूरा नाम कोलार गोल्ड फील्ड्स है. ये कर्नाटक के दक्षिण पूर्व इलाके में स्थित एक जगह है. बेंगलुरू के पूर्व में मौजूद बेंगलुरू-चेन्नई एक्सप्रेसवे से 100 किलोमीटर दूर केजीएफफ टाउनशिप है. इस जगह का इतिहास बहुत पुराना और दिलचस्प रहा है. KGF से बीजेपी ने अश्विनी संपांगी को टिकट दिया है तो वहीं कांग्रेस ने रूपकला एम को उतारा है. रूपकला एम अभी मौजूदा विधायक हैं. उन्होंने 2018 में श्विनी संपांगी को मात दी थी. अश्विनी पूर्व विधायक वाई संपांगी की बेटी हैं. KGF सीट पर 2013 में बीजेपी ने जीत हासिल की थी.

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दिलचस्प है KGF का इतिहास

- केजीएफ का पूरा नाम कोलार गोल्ड फील्ड्स है. 1871 में ब्रिटिश सैनिक माइकल फिट्जगेराल्ड लेवेली ने 1804 में एशियाटिक जर्नल में छपे चार पन्नों का एक आर्टिकल पढ़ा था. उसमें कोलार में पाए जाने वाले सोने के बारे में बताया गया था. अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को मारने के बाद कोलार और उसके आसपास के इलाके पर अपना कब्जा जमा लिया था.

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- लेवेली आकर बेंगलुरु रहने लगा. 1873 में लेवेली ने मैसूर के महाराज से उस जगह पर खुदाई करने की इजाजत मांगी. लेवेली ने कोलार क्षेत्र में 20 साल तक खुदाई करने का लाइसेंस लिया था. उसके बाद 1875 में वहां काम की शुरुआत हुई.काफी मुश्किलों के बाद कोलार गोल्ड फील्ड यानी केजीएफ से सोना निकालने का काम शुरू हुआ. 

- केजीएफ की खानों में पहले रोशनी का इंतजाम मशालों और मिट्टी के तेल से जलने वाली लालटेन से होता था. लेकिन यह काफी नहीं था. इसलिए 130 किलोमीटर दूर कावेरी बिजली केंद्र बनाया गया था. इस तरह केजीएफ बिजली पाने वाला भारत का पहला शहर बना.

- बिजली पहुंचने के बाद केजीएफ में सोने की खुदाई बढ़ा दी गई. वहां तेजी से खुदाई करने के लिए कई मशीनों को काम में लगाया गया था. इसका नतीजा यह हुआ कि 1902 आते-आते केजीएफ भारत का 95 फीसदी सोना निकालने लगा. इसके चलते 1905 में सोने की खुदाई के मामले में भारत दुनिया में छठे स्थान पर पहुंच गया.

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- केजीएफ में सोना मिलने के बाद ब्रिटिश सरकार के अधिकारी और इंजीनियर वहां अपने घर बनाने लगे.यहां ब्रिटिश अंदाज में घरों का निर्माण हुआ, उससे लगता था कि वो मानो इंग्लैंड ही है. इसी के चलते केजीएफ को छोटा इंग्लैंड कहा जाता था.
 
- आजादी मिलने के बाद भारत सरकार ने इस जगह को अपने कब्जे में ले लिया था. उसके करीब एक दशक बाद 1956 में इस खान का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया. 1970 में भारत सरकार की भारत गोल्ड माइन्स लिमिटेड कंपनी ने वहां काम करना शुरू किया. शुरुआती सफलता मिलने के बाद समय के साथ कंपनी का फायदा कम होता गया. एक समय ऐसा भी आया जब वहां से सोना निकालने में जितना पैसा लग रहा था, वो हासिल सोने की कीमत से भी ज्यादा हो गई थी. इस चलते 2001 में भारत गोल्ड माइन्स लिमिटेड कंपनी ने वहां सोने की खुदाई बंद करने का निर्णय लिया गया था. माना जाता है कि केजीएफ में आज भी सोना है.

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- केजीएफ में 121 सालों से भी ज्यादा समय तक चला. साल 2001 तक वहां खुदाई होती रही. एक रिपोर्ट के अनुसार, उन 121 सालों में केजीएफ की खदान से 900 टन से भी अधिक सोना निकाला गया था.

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शोले के रामगढ़ से किसे मिला टिकट?

1975 में शोले फिल्म रिलीज हुई थी. फिल्म में रामगढ़ नाम का गांव दिखाया गया था. रामगढ़ रामनगरम की पहाड़ियों में शोले की शूटिंग के लिए बसाया गया था. रामनगरम कर्नाटक के बंगलूरू और मैसूर के बीच स्थित पहाड़ियों से घिरा है. यहां से बीजेपी ने गौतम गौड़ा और कांग्रेस ने इकबाल हुसैन को टिकट दिया है. यह सीट 2004 से जेडीएस के पास है. 2 बार एचडी कुमारस्वामी और एक बार अनीता कुमारस्वामी विधायक चुनी गईं. रामगढ़ में आज भी लोग वह जगह देखने आते हैं, जहां फिल्म की शूटिंग हुई थी.

 

दक्षिण का 'रामनगरम' को डकैतों के आतंक से पीड़ित उत्तर भारत का एक गांव रामगढ़ की शक्ल दी गई. यहां लगभग दो साल से ज्यादा फिल्म की शूटिंग हुई. निर्माताओं ने रामगढ़ के रूप में एक पूरे गांव को बसाया. गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क का निर्माण किया. वैसे ये गांव शोले से पहले भी था, लेकिन शोले के बाद ही लोगों के बीच इस गांव की पहचान हुई. बाद के कुछ सालों में ये पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी बना. जब फिल्म की शूटिंग खत्म हुई लोगों ने रामनगरम के एक हिस्से को 'सिप्पी नगर' का नाम देकर निर्माताओं का आभार जताया.

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