
कर्नाटक चुनाव का सियासी शंखनाद हो चुका है. 10 मई को वोटिंग होने जा रही है और 13 मई को नतीजे आएंगे. कांग्रेस की तरफ से 124 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी गई है. आम आदमी पार्टी ने भी अपनी प्रत्याशियों की लिस्ट निकाल दी है. जेडीएस भी कुछ उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है. लेकिन बीजेपी की तरफ से अभी तक पहली लिस्ट ही सामने नहीं आई है. सरकार में हैं, फिर वापसी करने की चुनौती है, लेकिन लिस्ट अभी तक नहीं जारी हुई. अब ये बीजेपी की कोई रणनीति है या फिर अंदरूनी लड़ाई की वजह से हो रही देरी?
चार चरण, जो पास उसे मिलेगा बीजेपी से टिकट
बताया जा रहा है कि इस बार कर्नाटक का चुनाव बीजेपी एक अलग रणनीति पर लड़ रही है. पार्टी सबसे ज्यादा ध्यान अपने प्रत्याशियों के चयन पर ही लगा रही है. सिर्फ उन उम्मीदवारों पर दांव चलने की तैयारी है, जो सही मायनों में अपनी सीट निकाल सकते हैं. इसी वजह से एक 4 चरण का सेलेक्शन प्रोसेस तैयार किया गया है जिसके तहत किसी भी प्रत्याशी का ऐलान तभी होगा जब वो हर मापदंड पर खरा उतरेगा. इसी वजह से पार्टी ने 224 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी सलेक्ट करने के लिए 22 हजार पदाधिकारियों को काम पर लगा दिया है. पदाधिकारियों को अपने जिले से तीन बेस्ट प्रत्याशियों का चयन करना है. एक सीक्रेट वोटिंग के जरिए उन प्रत्याशियों को शॉर्टलिस्ट किया जाना है. अब चुनाव निष्पक्ष रहे, इसलिए उन 22 हजार पदाधिकारियों पर नजर रखने के लिए पार्टी ने 39 अलग कमेटियां बनाई हैं जिनमें मंत्री, पूर्व मंत्री और कई वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया है.
अभी के लिए पार्टी ने इस चरण को पूरा कर लिया है. बेंगलुरू में बीजेपी हेडक्वार्टर्स के पास उस सीक्रेट पोलिंग के नतीजे भी पहुंच गए हैं. शनिवार और रविवार को एक मीटिंग हुई है जिसमें कोर कमेटी के सभी सदस्यों ने अपने-अपने प्रत्याशियों को लेकर लंबी प्रेसेंटेशन दी. आधे घंटे के अंदर बताया गया कि किस जिले का क्या सियासी समीकरण है, जातीय गणित है और क्या प्रत्याशी यहां से चुनाव जीत सकता है या नहीं. ऐसे में दो चरण तो पूरे हो चुके हैं, अब चार अप्रैल को एक और बड़ी बैठक हो सकती है. उस बैठक में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, पूर्व सीएम बेएस येदियुरप्पा, प्रदेश अध्यक्ष नालिन कुमार कातील, अर्जुन सिंह और कुछ मंत्री शामिल होने वाले हैं. वहां भी सेलेक्ट किए गए प्रत्याशियों पर मंथन किया जाएगा और फिर फाइनल फैसले के लिए लिस्ट दिल्ली में हाईकमान के पास भेज दी जाएगी.
बीजेपी की स्पेशल 50 जो दिलाएगी बहुमत!
अब ये चार चरण पूरे होने के बाद आने वाले कुछ दिनों में बीजेपी की कर्नाटक चुनाव के लिए प्रत्याशियों की पहली लिस्ट सामने आ जाएगी. वैसे प्रत्याशियों के अलावा पार्टी जमीन पर और भी कई पहलू पर काम कर रही है. इस बार किसी भी कीमत पर बहुमत से पीछे ना रह जाएं, इसलिए हर रणनीति को धार देने का काम हो रहा है. इसी वजह से पार्टी ने एक 50 जनों की स्पेशल टीम का गठन किया है जिसमें केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक और कुछ वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया है. ये नेता पूरे कर्नाटक का दौरा करेंगे, जमीनी हकीकत को समझेंगे और चुनाव कमेटी को अपना फीडबैक देंगे. पूर्वोत्तर चुनाव के दौरान भी पार्टी द्वारा बनाई गईं ये कमेटियां ऐसे ही सक्रिय भूमिका निभा चुकी हैं.
इस बार बीजेपी की ये स्पेशल 50, कर्नाटक की उन 115 सीटों पर अपना फोकस करेगी जहां स्थितियां चुनौतीपूर्ण जरूर हैं, लेकिन पार्टी जीत दर्ज कर सकती है. अब इन बारीकियों पर बीजेपी का फोकस करना बनता भी है. कर्नाटक की राजनीति में बीजेपी ने अपना विस्तार तो जबरदस्त किया है, दक्षिण के इस राज्य में सरकार भी बनाई है, लेकिन हर बार बहुमत से दूर रह जाना पार्टी को भारी पड़ता है. दो बार 100 से ज्यादा सीट जीतने में बीजेपी कामयाब हुई है, लेकिन इस बार कंफरटेबल मैजोरिटी पर नजर है, ऐसे में प्रत्याशियों का चयन भी सोच-समझकर हो रहा है और जातीय समीकरण भी सटीक साधे जा रहे हैं.
अंदरूनी कलह ना बिगाड़ दे खेल, बगावत के संकेत
वैसे बीजेपी ये रणनीति तो बना रही है, लेकिन कांग्रेस की तरह अंदरूनी कलह से उसे भी जूझना पड़ रहा है. जिन रमेश जारकीहोली ने कांग्रेस को तोड़ बीजेपी को सत्ता में वापस लाया था, वे खुद ही बगावती हो गए हैं. जोर देकर कह रहे हैं कि अगर उनके करीबी महेश कुमाथली को अथनी से टिकट नहीं दिया गया तो वे बगावत कर देंगे. अब जानकारी के लिए बता दें कि महेश कुमाथली पहले कांग्रेस के ही नेता थे जिन्होंने बगावत करते हुए बीजेपी का दामन थामा था. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के लक्ष्मण सवादी को मात्र 2300 वोटों से हरा दिया था. अब बीजेपी उन्हें टिकट देती है या नहीं, जमीन पर कई समीकरण जरूर बदलेंगे. इस समय बीजेपी के लिए बलारी से जनार्धन रेड्डी भी मुश्किलें खड़ी करने वाले हैं. उन्होंने बीजेपी छोड़ अलग पार्टी बना ली है, ऐसे में अपने क्षेत्र में वे वोटों का बंटवारा बड़े स्तर पर करवा सकते हैं. इसी तरह शिवमोगा में भी केएस ईश्वरप्पा नाराज चल रहे हैं. उन पर रिश्वत लेने के आरोप लगे थे, जिस वजह से वे कैबिनेट से बाहर हो गए. अब अभी तक पार्टी उन्हें ज्यादा भाव नहीं दे रही है, ऐसे में उनका बगावत करना भी मुमकिन लगता है.
रामकृष्ण उपाध्याय की रिपोर्ट