
कर्नाटक चुनाव में बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. 189 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं, कई नए चेहरों को मौका दिया गया है, 11 सिटिंग विधायकों के टिकट भी कटे हैं. इस लिस्ट में एक नाम के एस ईश्वरप्पा का भी है जिन्होंने चुनावी लिस्ट आने से पहले ही संन्यास का ऐलान कर दिया. उन्होंने साफ कर दिया कि वे चुनाव नहीं लड़ने वाले हैं. अब खुद ईश्वरप्पा ने तो बीजेपी के प्रति कोई नाराजगी जाहिर नहीं की, लेकिन सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया.
चुनावी संन्यास और बीजेपी की बढ़ती मुश्किलें
अब कर्नाटक बीजेपी के अंदर ईश्वरप्पा के चुनावी संन्यास के साइड इफेक्ट दिखने लगे हैं. कई पार्टी नेताओं ने सामने से आकर इस्तीफा दे दिया है. शिवमोगा में तो इस्तीफों की झड़ी लग गई है. 19 नगर निगम के सदस्यों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है , मेयर और डिप्टी मेयर ने भी पद छोड़ दिया है. शिवमोगा के जिला अध्यक्ष ने भी ईश्वरप्पा के समर्थन में इस्तीफा दिया है. कई और नेता भी इस्तीफा देने की बात कर रहे हैं. यानि कि एक नेता की वजह से पार्टी को चुनावी मौसम बड़ा नुकसान हो सकता है.
40% कमीशन वाला आरोप और ईश्वरप्पा को झटका
अभी के लिए बीजेपी तो ईश्वरप्पा के इस्तीफे को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है, उल्टा ये कहकर उनकी तारीफ हो रही है कि उन्होंने युवा नेतृत्व के लिए जगह खाली की है. असल में ईश्वरप्पा इस साल 75 साल के होने जा रहे हैं, वो उम्र जिसमें बीजेपी दिग्गजों को मार्गदर्शन मंडली में शामिल करवा देती है. लेकिन जिस तरह से एक चुनावी संन्यास के बाद इस्तीफों का दौर शुरू हुआ है, कर्नाटक में बीजेपी के लिए चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं. वैसे ईश्वरप्पा की वजह से बीजेपी को राज्य में सियासी नुकसान हुआ है, कांग्रेस द्वारा जो 40% कमिशन वाला आरोप कर्नाटक सरकार पर लगता है, उसका श्रेय ईश्वरप्पा को जाता है क्योंकि उन्हीं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और उस वजह से उन्हें अपना मंत्री पद भी गंवाना पड़ गया था. ये अलग बात रही कि जांच के बाद उन्हें क्लीन चिट दे दी गई, लेकिन बीजेपी में उनकी स्थिति कमजोर हो गई.
असल में उस मामले में कर्नाटक में एक ठेकेदार संतोष पाटिल ने तत्कालीन ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री (RDPR) ईश्वरप्पा पर कमीशन के आरोप लगाकर आत्महत्या कर ली थी. उनपर कॉन्ट्रैक्टर संतोष पाटिल ने घूस मांगने का आरोप लगाया था. कहा गया था कि ईश्वरप्पा उनके काम की बकाया राशि देने के बदले 40 फीसदी कमीशन की मांग कर रहे हैं. हालांकि, विवाद बढ़ने पर ईश्वरप्पा के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था, इसके बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
टिकट कटे, सिसायत तेज, कई बदल सकते पाला
वैसे बीजेपी को अपनी पहली लिस्ट के बाद एक और सियासी झटका लगा है. पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावडी को पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया है. इस वजह से उन्होंने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया. जब उनसे कांग्रेस में जाने को लेकर सवाल हुआ तो ये कहकर अटकलें तेज कर दीं कि कोई बड़ा फैसला जल्द लिया जाएगा. अब बड़ी बात ये है कि अथनी से बीजेपी ने इस बार महेश कुमाथली को टिकट दिया है. ये वहीं नेता हैं जिन्होंने 2019 में कांग्रेस की सरकार गिरा बीजेपी की सरकार बनवाई थी. जिन विधायकों ने तब पार्टी बदली थी, उसमें इनका नाम भी शामिल था. वैसे 2018 के विधानसभा चुनाव में सावडी को कुमाथली से ही हार का सामना करना पड़ा था.
अब जिनकों टिकट नहीं मिला, उनकी तरफ से सियासी बयानबाजी तो देखने को मिल ही रही है, कुछ ऐसे भी हैं जो इस फैसले की वजह से भावुक हो गए हैं. इस लिस्ट में उडुपी से विधायक रहे रघुपति भट्ट शामिल हैं. इस बार क्योंकि पार्टी ने उन्हें यहां से टिकट नहीं दिया, वे भावुक हो गए. उन्हें इस बात का ज्यादा दुख है कि उन्हें इस फैसले की जानकारी टीवी चैनलों के जरिए मिली. उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर उनकी जाति की वजह से उन्हें टिकट नहीं दिया गया है, वे इसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं.
बीजेपी की पहली लिस्ट में क्या खास?
वैसे बीजेपी की चुनावी लिस्ट की बात करें तो पहली ही सूची में 8 महिलाओं, 32 OBC, 30 SC, 16 ST को टिकट दिया गया है. इस बार 5 वकीलों, 9 डॉक्टरों को भी शामिल किया गया है. असल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक के दौरान ही इस बात पर जोर दिया था कि नए चेहरों को मौका देना जरूरी है, उन्होंने ये भी साफ कहा था कि दागी नेताओं से दूरी बनानी है और परिवारवाद को भी बढ़ावा नहीं देना है. अब उस नसीहत के बाद ही लिस्ट में कई बदलाव किए गए हैं.
जो लिस्ट सामने आई है, उसके मुताबिक मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को एक बार फिर शिगगांव से टिकट दिया गया है. इसी तरह आर अशोक को कनकपुर से टिकट दिया गया है. वे कांग्रेस के दिग्गज डीके शिवकुमार से मुकाबला करने जा रहे हैं. चन्नापटना में इस बार पार्टी ने पूर्व सीएम एच डी कुमारस्वामी के सामने सी पी योगेश्वर को उतारा है. योगेश्वर इसके अलावा पद्मनाभनगर सीट से भी किस्मत आजमाने जा रहे हैं. पूर्व सीएम येदियुरप्पा के बेटे को भी पार्टी ने शिकारपुर से टिकट दे दिया है. डॉक्टर के सुधाकर को पार्टी ने चिकबलपुर से मौका दिया है. वरुणा से सिद्धारमैया कई सिटिंग विधायकों के टिकट भी काट दिए गए हैं. पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सवाडी को अथनी से टिकट नहीं दिया गया है. वैसे पहली लिस्ट में बीजेपी ने किसी मुस्लिम प्रत्याशी को मौका नहीं दिया है. वहीं जगदीश शेट्टार का पत्ता भी इस बार कट गया है.
कब चुनाव, विधानसभा की क्या स्थिति?
चुनाव प्रक्रिया की बात करें तो 13 अप्रैल से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और 20 अप्रैल तक नामांकन किया जा सकेगा. वहीं 10 मई को वोटिंग होगी और 13 मई को जनता का जनादेश आएगा. इस बार चुनावी मैदान में आम आदमी पार्टी भी उतरी हुई है. पार्टी ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. उसकी तरफ से भी उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी की जा चुकी है. कांग्रेस ने भी लिस्ट जारी कर दी है.
कर्नाटक विधानसभा की मौजूदा स्थिति की बात करें तो इस समय बीजेपी के पास 120 सीटे हैं, कांग्रेस के पास 72 और जेडीएस के खाते में 30 सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में त्रिशंकू स्थिति थी और किसी को भी बहुमत नहीं मिला था. तब शुरुआत में कांग्रेस और जेडीएस ने हाथ मिलाकर सरकार बनाई थी. लेकिन बाद में कांग्रेस में फूट पड़ी और कई विधायक बीजेपी में चले गए जिस वजह से एक बार राज्य में भाजपा की सरकार बनी.