
केरल विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक सरगर्मियां काफी तेज हो गई हैं. कांग्रेस की सबसे ज्यादा उम्मीदें केरल से ही लगी हैं, जहां पार्टी वामपंथी दलों के नेतृत्व वाली एलडीएफ से सत्ता छीनने को बेताब है. सूबे की वाममोर्चा सरकार के खिलाफ आए कई बड़े प्रकरण और राहुल गांधी के चलते कांग्रेस सत्ता में वापसी की राह देख रही है. हालांकि, बीते महीने केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में वाममोर्चा ने कांग्रेस को जिस तरह झटका दिया, उससे साफ है कि पार्टी की चुनावी राह आसान नहीं है. ऐसे में देखना है कि राहुल लेफ्ट के दुर्ग को भेदकर कांग्रेस की जीत के लिए कैसे इबारत लिखते हैं.
कांग्रेस के लिए जीत की राह तलाशने के लिए बुधवार को राहुल गांधी दो दिवसीय केरल के दौरे पर कोझिकोड पहुंचे हैं. राहुल इस दौरान यूडीएफ नेताओं के साथ सीट बंटवारे के फॉर्मूले के साथ-साथ सत्ता में वापसी की रणनीति पर मंथन भी करेंगे. राहुल ने केरल पहुंचते ही बंद कमरे में कांग्रेसी नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी, रमेश चेन्नीथला, एम रामाचन्द्रन और आईयूएमएल नेता पीके कुन्हलीकुट्टी व केपीए माजिद के साथ बैठक की है.
केरल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे को लेकर एक सहमति आपस में बना लेना चाहती है. यही वजह है कि राहुल ने दौरे के पहले दिन ही मुस्लिम लीग के नेताओं के साथ मुलाकात की. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मुल्लीपल्ली रामचंद्रन ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि यूडीएफ गठबंधन का मुस्लिम लीग महत्वपूर्ण घटक दल है. ऐसे में राहुल गांधी ने सहयोगी दलों के साथ वार्ता की है ताकि एकसाथ मिलकर मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतर सकें.
बता दें कि हाल ही में केरल में हुए पंचायत चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ को करारी मात खानी पड़ी है. इसके बाद सोनिया गांधी ने कांग्रेस के सबसे प्रभावशाली मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को केरल के चुनाव का जिम्मा सौंपा है. इतना ही नहीं सोनिया ने केरल के सभी नेताओं को एक साथ बैठक कर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि पार्टी पूरी तरह से एकजुट है. गुटबाजी के चलते ही कांग्रेस ने तय किया है कि केरल में कांग्रेस मुख्यमंत्री पद का चेहरा किसी को घोषित नहीं करेंगी, लेकिन चुनावी अभियान की कमान पूर्व सीएम ओमान चांडी को जरूरी सौंपी गई है.
केरल में चुनावी कामयाबी की कांग्रेस की जरूरत का अहसास इससे भी लगाया जा सकता है कि स्थानीय निकाय के खराब परिणामों के बाद हाईकमान की पहल पर प्रदेश कांग्रेस के सभी नेता गुटबाजी को किनारे कर एकजुट होकर लड़ने पर सहमत हुए हैं. इसीलिए ओमान चांडी चुनावी अभियान की कमान संभाल रहे हैं तो सांसद शशि थरूर घोषणा पत्र कमेटी को लीड कर रहे हैं.
राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद है, जिसके चलते विधानसभा चुनाव में उनकी साख दांव पर लगी है. इसीलिए राहुल विधानसभा चुनाव में कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं और लगातार राज्य के नेताओं के साथ वार्ता कर रहे हैं. राहुल गांधी ने नए चेहरों और महिलाओं को मैदान में उतारने के संकेत दे चुके हैं. पार्टी के प्रदेश युवा इकाई के अध्यक्ष ने इस बाबत संभावित उम्मीदवारों की एक सूची आला कमान को सौंपी है और उन्हें टिकट दिए जाने की मांग की है. केरल के पूर्व मुख्यमंत्री एके एंटनी ने इस चुनाव में नए चेहरों को उतारने की बात की है.
बता दें कि 2016 के केरल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को 140 में से 47 सीटों पर ही जीत मिल सकी थी. इसमें कांग्रेस ने 87 सीटों पर चुनाव लड़कर 22 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी. कांग्रेस की सहयोगी दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने 25 सीटों पर किस्मत आजमाई थी, जिसमें 18 सीटों पर जीत मिली थी. इसके अलावा कुछ सीटें दूसरे सहयोगी दलों को मिली थीं. माना जा रहा है कि इस बार कांग्रेस पिछली बार से ज्यादा सीटों पर दावा कर रही है.
राहुल गांधी को केरल में न केवल अपने लिए बल्कि कांग्रेस के लिए भी ताकत दिखानी होगी. केरल में सरकार बनाने के लिए 71 सीटों की दरकार होगी. अब राहुल गांधी के केरल से सासंद होने के चलते उन पर एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वे कैसे कांग्रेस गठबंधन को सत्ता में वापस लाने की राह बनाते हैं.