
केरल विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के अगुवाई लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) एक नया इतिहास रचते नजर आ रहे हैं. केरल में पिछले चार दशकों में हर पांच साल बाद सरकार बदली है, लेकिन इस बार पिनराई विजयन परंपरा तोड़ते दिख रहे हैं. इंडिया टुडे-एक्सिस-माय-इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक एलडीएफ दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में बने रहने का अनुमान है जबकि राहुल गांधी के नेतृत्व में उतरे यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) की सत्ता में वापसी करने के अरमानों पर पानी फिर गया है.
इंडिया टुडे-एक्सिस-माय-इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक केरल की कुल 140 विधानसभा सीटों में से वाममोर्चा के नेतृत्व वाले एलडीएफ को 104 से 120 सीटें मिल सकती है. वहीं यूडीएफ को 20 से 36 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि बीजेपी को शून्य से दो सीटें मिल सकती हैं. अन्य को भी शून्य से दो सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. 2016 में एलडीएफ को 91 सीटें मिली थीं, लेकिन उस बार उससे ज्यादा सीटें मिल रही है.
वोट प्रतिशत की बात करें तो एग्जिट पोल के मुताबिक एलडीएफ को 47 फीसदी, यूडीएफ को 38 फीसदी एनडीए को 12 फीसदी और अन्य को 3 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान जताया गया है. वहीं एग्जिट पोल में यह बात भी सामने आई है कि मौजूदा मुख्यमंत्री पिनराई विजयन आज भी लोगों के लिए सबसे लोकप्रिय सीएम उम्मीदवार है. लगभग 47 प्रतिशत लोगों ने इन्हें पहली पसंद माना है जबकि कांग्रेस नेता ओमान चांडी को 27 प्रतिशत लोगों ने सीएम उम्मीदवार के तौर पर अपना समर्थन दिया है.
केरल में कांग्रेस में नेताओं के बीच मचे आपसी घमासान, गुटबाजी की वजह से राहुल गांधी ने कमान अपने हाथों में थाम रखी थी ताकि सभी नेताओं को एक साथ लेकर चल सके. राहुल गांधी ने इसीलिए पूरा फोकस केरल में लगा रखा था. राहुल गांधी पारंपरिक तरीके से चुनाव-प्रचार करने के साथ-साथ वे तरह-तरह के नये प्रयोग भी कर रहे हैं. मछुआरों के साथ समुद्र में नाव पर जाना और समुद्र में छलांग लगाकर तैरना, युवाओं और महिलाओं से सीधे संपर्क साधना, गरीबों के साथ भोजन करना, युवाओं के साथ खेलना, ये सब नये प्रयोगों का हिस्सा है. इसके बावजूद राहुल अपनी पार्टी की सत्ता में वापसी नहीं कर सके और पिनराई विजयन के आने उनका जादू फीका रहा.
वाममोर्चा का सारा दारोमदार मुख्यमंत्री विजयन पर है, विजयन वामपंथी दलों के सर्वमान्य नेता बनकर उभरे हैं. लोकसभा चुनाव में वाम मोर्चा की करारी शिकस्त के बावजूद स्थानीय निकाय चुनाव में वाम मोर्चा ने शानदार जीत दर्ज की है. नई रणनीति के तहत काम करते हुए विजयन ने ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जिला पंचायत स्तर तक युवाओं और महिलाओं को तवज्जो दी. युवाओं और महिलाओं ने बड़ी संख्या में सीटें दिलायीं. विधानसभा चुनाव के लिए भी विजयन ने अपना भरोसा युवाओं और महिलाओं पर जताया है.
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने विधानसभा चुनाव में वरिष्ठ नेताओं का टिकट काटकर भी युवाओं और महिलाओं को आगे बढ़ाया है. लेफ्ट के लिए यही दांव कामयाब रहा. दलित और पिछड़ी जाति के लोगों का बड़ा तबका वामपंथियों के साथ बने हुआ है. इसी के चलते है कि वाममोर्चा का पलड़ा केरल में काफी भारी है.
मौजूदा समय में पिनराई विजयन केरल के सबसे ताकतवर और लोकप्रिय नेता हैं, 'संकटमोचक' वाली छवि की वजह से इस विधानसभा चुनाव में वे दूसरे सभी नेताओं से आगे नजर आए. मूसलाधार बारिश की वजह से आयी बाढ़ हो या समुद्र में आया चक्रवाती तूफान, निपाह हो या कोरोना वायरस, विजयन की सरकार ने जिस तरह से लोगों की जान बचाने की कोशिश की, उसकी दुनियाभर में तारीफ हुई. सबरीमला के अय्यप्पा स्वामी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर उठे राजनीतिक तूफान से भी विजयन ने केरल को बचाया. सांप्रदायिक सद्भावना कायम रखी. विधानसभा चुनाव में इसी का एलडीएफ को राजनीतिक तौर पर फायदा मिला.
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन पिछड़ी जाति 'एझावा' समुदाय से आते हैं और इस वजह से वे दलितों, पिछड़ी जाति के लोगों में काफी लोकप्रिय हैं. एझावा जाति के ज़्यादातर लोग कृषि मजदूर या ताड़ीतासक हैं. केरल में इस जाति के लोगों की आबादी है. छोटे और मझले किसान, कृषि मजदूर और सामान्य मजदूर पिनराई विजयन को अपने सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में देखते हैं. राहुल गांधी की चुनौती ऐसे कद्दावर नेता को सत्ता से बाहर करने की थी, जिसके लिए वो तमाम कवायद करते दिखे पर सत्ता से नहीं हटाने की संभावना नहीं दिख रही है.