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राहुल गांधी को सियासी फायदा पहुंचा सकता है उत्तर-दक्षिण भारत की तुलना वाला बयान

उत्तर और दक्षिण भारत की तुलना करके सुर्खियों में आए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर भले ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हमलावर हो, लेकिन इस बयान के जरिए राहुल अपनी राजनीति का भविष्य तय करने वाले हैं.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (फोटो-PTI) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (फोटो-PTI)
रशीद किदवई
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 1:12 PM IST
  • राहुल गांधी के उत्तर-दक्षिण भारत के बयान पर बवाल
  • दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस को मिल सकता है फायदा

उत्तर और दक्षिण भारत की तुलना करके सुर्खियों में आए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर भले ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हमलावर हो, लेकिन इस बयान के जरिए राहुल अपनी राजनीति का भविष्य तय करने वाले हैं.

असम, पश्चिम बंगाल, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत न सिर्फ कांग्रेस बल्कि राहुल गांधी के लिए काफी अहम है, इस जीत से न केवल इन राज्यों में पार्टी का झंडा ऊंचा होगा, बल्कि ग्रैंड ओल्ड पार्टी के 87वें अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी की वापसी का रास्ता और आसान होगा.

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कांग्रेस के हलकों में यह बात साफ है कि राहुल गांधी बुरी तरह से चुनावी सफलता की तलाश में हैं, खासकर केरल में, जहां कुछ हद तक वह पोस्टर बॉय बन गए हैं, अगर कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ इस बार पिनराई विजयन को हराने में विफल रहता है, तो राहुल को पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापसी करना मुश्किल हो सकता है.

राहुल गांधी के तिरुवनंतपुरम वाले बयान को भले बीजेपी अवसरवादी बता रही हो, लेकिन यह बयान काफी अहम है, खासतौर पर दक्षिण की राजनीति में, उसमें भी केरल की राजनीति में, क्योंकि वहां की जनता ज्यादा प्रबुद्ध है, अगर उनके बयान का असर होता है तो केरल में कांग्रेस को लाभ मिलेगा.

राहुल गांधी का बयान आकस्मिक नहीं था. राहुल वायनाड और केरल के साथ अपने संबंधों को और मजबूत कर रहे हैं और उनके अमेठी लौटने की संभावना नहीं है, राहुल को लगता है कि केरल और डीएमके की मदद से तमिलनाडु में जीत कई रास्ते खोलेगी, और बंगाल में ममता बनर्जी की वापसी से विपक्ष मजबूत होगा, चाहे असम में बीजेपी फिर से सत्ता में आ जाए.

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अब राहुल गांधी 'ध्रुवीकरण का चेहरा' बनने की कोशिश कर रहे हैं, इसकी सलाह 9 साल पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के डिप्टी कैंपेन मैनेजर ने दी थी, जैसी छवि 2002 में गुजरात दंगों के बाद नरेंद्र मोदी की हिंदू हृदय सम्राट के रूप में बनी थी.

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने कहा था 'जीत के 100 पिता होते हैं और हार अनाथ होता है.' अब राहुल गांधी का उत्तर-दक्षिण भारत की तुलना का बयान उन्हें राजनीति और कांग्रेस पार्टी के अंदर बुलंदियों पर पहुंचा सकता है.

(पत्रकार रशीद किदवई 24 अकबर रोड और सोनिया ए बायोग्राफी के लेखक हैं)

 

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