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चुनाव आयोग का निर्देश- लोकसभा कैंडिडेट को विज्ञापन देकर बताना होगा अपना आपराधिक रिकॉर्ड

चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों और पार्टियों को प्रचार करने के दौरान व्यापक रूप से प्रसारित अखबारों और लोकप्रिय टीवी चैनलों में कम से कम तीन अलग-अलग तारीखों पर अपने आपराधिक रिकॉर्ड को सार्वजनिक करना होगा.

भारत निर्वाचन आयोग तस्वीर आजतक भारत निर्वाचन आयोग तस्वीर आजतक
aajtak.in/शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 11 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 3:15 PM IST

चुनाव आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही उम्मीदवारों के लिए आपराधिक रिकॉर्ड को कम से कम तीन बार अखबार पर टीवी पर विज्ञापित करना अनिवार्य किया है. ये निर्देश 10 अक्टूबर 2018 को जारी किए गए थे. लेकिन 11 अप्रैल 2019 से 19 मई 2019 तक होने वाले लोकसभा चुनाव में पहली बार इस नियम का इस्तेमाल किया जाएगा.

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इस निर्देशानुसार सभी राजनीतिक दलों के भी अपने प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड का भी विज्ञापन देना होगा. चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों और पार्टियों को प्रचार करने के दौरान व्यापक रूप से प्रसारित अखबारों और लोकप्रिय टीवी चैनलों में कम से कम तीन अलग-अलग तारीखों पर अपने आपराधिक रिकॉर्ड को सार्वजनिक करना होगा. जिन उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, उन्हें इस बात को चुनाव आयोग के सामने रखना होगा कि उम्मीदवारों को अब एक संशोधित फॉर्म (संख्या 26) भरना होगा.

अपने अपराधी होने पर विज्ञापन भी कोई एक बार नहीं, बल्कि पूरी चुनाव प्रक्रिया के दौरान तीन बार देना होगा. ऐसा न करने पर चुनाव आयोग आपके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकता है. इतना ही नहीं राजनीतिक दलों को भी अपने उम्मीदवारों के बारे में इस तरह के विज्ञापन टीवी और अखबार में देने होंगे.

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आंकड़ों पर गौर करें तो नेशनल इलेक्शन वॉच और एडीआर की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछली बार 2014 की लोकसभा में हर तीसरे सांसद पर क्रिमिनल केस दर्ज थे. चुनावों के बाद संसद पहुंचे कुल 34 प्रतिशत (186) सांसदों ने अपने शपथ पत्र में खुलासा किया था कि उन पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं. वहीं 2009 की संसद में ऐसे सांसदों की संख्या 30 प्रतिशत थी.

रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 4856 विधायक और सांसद अपराधिक केस वाले हैं. इनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर केस दर्ज हैं लेकिन इस बार उन दागी छवि वाले राजनेताओं के बारे में आम लोगों को जागरूक करने के लिए चुनाव आयोग ने साफ ताकीद की है कि अगर अपराध किया है तो इश्तेहार देकर उसकी जानकारी दीजिए.

वेबसाइट पर जानकारी देनी जरूरी

चुनाव आयोग ने कहा कि पार्टियों को अपने प्रत्याशियों के बारे में अपनी वेबसाइट पर जानकारी देना अनिवार्य होगा. हालांकि, चुनाव आयोग ने यह नहीं बताया कि क्या उम्मीदवारों को प्रचार के लिए अपनी जेब से भुगतान करना होगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चूंकि यह चुनाव से संबंधित खर्च है, इसलिए प्रत्याशियों को यह कीमत चुकानी होगी. इस नियम का पालन करने में विफल रहने वाले दलों पर मान्यता खत्म होने या निलंबित होने का खतरा  भी रहेगा.

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फेक न्यूज पर लगाम कसना

चुनाव आयोग ने चुनाव अभियान के दौरान सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल के मद्देनजर रखते हुए. इसके दुरुपयोग से फर्जी खबरों और गलत जानकारियों के प्रचार-प्रसार एवं छद्म प्रचार को रोकने के लिये आगामी लोकसभा चुनाव में सख्त प्रावधान किए हैं. आयोग ने लोकसभा चुनावों से पहले फर्जी खबरों (फेक न्यूज) पर नजर रखने और अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर लगाम कसने  के लिए सोशल मीडिया साइटों के ‘तथ्यों की जांच-परख करने वालों' को तैनात करेगी. जिससे चुनाव के दौरान कोई अप्रिय घटना न घटित हो तथा अपराधियों पर लगाम कसी जा सके.

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