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25 सीटों पर बीजेपी को फंसा सकता है AFSPA पर कांग्रेस का दांव

2014 लोकसभा चुनाव में एनडीए को अफस्‍पा वाले राज्‍यों की 25 सीटों में से 12 सीटें मिली थीं. अगर कांग्रेस की ओर से अफस्पा में जरूरी बदलाव की घोषणा मतदाताओं को अपनी ओर खींचती है तो क्या भाजपा अपने रवैये को लेकर इन सीटों पर फंस सकती है.

सांकेतिक तस्‍वीर (file) सांकेतिक तस्‍वीर (file)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 8:12 AM IST

लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने घोषणा पत्र जारी कर दिया है. इसके मुताबिक कांग्रेस ने दावा किया है कि अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार आती है तो आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट  (AFSPA अफस्पा) में संशोधन करेंगे. अफस्पा नगालैंड, असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में लागू है. अफस्‍पा के तहत सैन्‍य बल किसी भी संदिग्‍ध को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकता है, किसी भी घर या वाहन की तलाशी ले सकता है. इन राज्यों में कुल 25 लोकसभा सीटें हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए को इन सीटों में से 12 सीटें मिली थीं. अगर कांग्रेस की ओर से अफस्पा में जरूरी बदलाव की घोषणा मतदाताओं को अपनी ओर खींचती है तो क्या भाजपा अफस्पा नहीं हटाने के अपने रवैये को लेकर इन सीटों पर फंस सकती है. हालांकि, कांग्रेस के मेनिफेस्टो में मुद्दा आते ही अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों से आंशिक रूप से अफस्पा हटा दिया गया. साथ ही अफस्‍पा लागू होने से सैनिक को प्रशासनिक या कानूनी कार्रवाई से बचाव मिलता है.

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केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राहुल गांधी की सरकार आएगी तो वे AFSPA के नियमों की समीक्षा करेंगे. उसमें जरूरी बदलाव करेंगे. लेकिन राहुल को समझना चाहिए कि हमारा देश 72 वर्षों में आतंकवाद और उग्रवाद से जूझ रहा है. जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और नक्सल प्रभावित इलाकों में हमने हिंसक आंदोलन देखे हैं. इन पर काबू रखने के लिए अफस्पा ने काफी मदद की.

अफस्पा वाले राज्यों में कितनी लोकसभा सीटें

असम - 14

जम्मू-कश्मीर- 06

मणिपुर- 02

अरुणाचल प्रदेश- 02

नगालैंड- 01

अफस्पा वाली 25 सीटों में भाजपा-गठबंधन को 2014 में मिली थीं 12 सीटें

2014 लोकसभा चुनाव में असम की 14 सीटों में से भाजपा को 07 सीटें मिली थीं. जम्मू-कश्मीर की 06 सीटों में 03 सीटों पर कब्जा किया था. अरुणाचल प्रदेश की 02 सीटों में से 01 सीट भाजपा को मिली थी. नगालैंड की इकलौती लोकसभा सीट भाजपा नीत एनडीए के सहयोगी दल एनपीएफ ने हासिल की थी. वहीं, मणिपुर की दोनों सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया था. पिछले चुनाव में ही भाजपा ने कई दलों के साथ गठबंधन करके पूर्वोत्तर राज्यों में सरकार बनाने की शुरुआत की थी. 

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अरुणाचल के 3 जिलों से 32 साल बाद हटाया गया अफस्पा

अरुणाचल प्रदेश में 32 साल बाद 3 जिलों से अफस्पा कानून आंशिक रूप से हटा लिया गया है. बाकी 6 जिलों में यह लागू रहेगा. गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित अरुणाचल प्रदेश के चार थाना क्षेत्र रविवार से विशेष कानून के तहत नहीं रहेंगे. हालांकि तिराप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों, नामसाई जिले के नामसाई तथा महादेवपुर थानों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों, लोअर दिबांग घाटी जिले के रोइंग तथा लोहित जिले के सुनपुरा में अफस्पा 30 सितंबर तक लागू रहेगा.

क्या है अफस्पा?

1958 में भारतीय संसद ने 'अफस्पा' यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट लागू किया था. इसे अशांति वाले इलाकों में लागू करते हैं. इस कानून को खासतौर पर पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बनाया गया था.

अफस्पा के तहत सैन्य बलों को मिलने वाले अधिकार

  • संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट गिरफ्तार करना. 
  • बिना वारंट किसी भी घर की तलाशी लेना.  
  • जरूरत के मुताबिक सैन्य बल का इस्तेमाल.
  • वाहन रोक कर तलाशी लने का अधिकार.
  • अफस्पा एक्ट के चलते सैनिक पर कार्रवाई से बचाव मिलता है.

कहां लागू है अफस्पा

1958 में इसे असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड सहित पूरे पूर्वोत्तर भारत में लागू किया गया. 1990 से अफस्पा जम्मू-कश्मीर में भी लगा दिया गया है ताकि हालात पर काबू पाया जा सके. हालांकि लद्दाख इससे बाहर है.

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AFSPA के खिलाफ इरोम शर्मिला ने 16 साल किया अनशन

मणिपुर की सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने 2000 से अफस्पा के खिलाफ अनशन शुरू किया था. 2016 में अफस्पा हटने के बाद 16 साल बाद अपना अनशन खत्म किया था. त्रिपुरा से भी अफस्पा हट चुका है.

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