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बिहार से ओवैसी का वार, बोले- नीतीश और नरेंद्र मोदी की आशिकी लैला-मजनूं जैसी

ओवैसी ने कहा है कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की आशिकी लैला-मजनूं जैसी है. ओवैसी ने कहा कि इस आशिकी की दास्तान जब भी लिखी जाएगी तो इसमें लिखा जाएगा इनकी आशिकी के दौरान हिन्दुस्तान में हिन्दू-मुसलमान के बीच नफरत पनपी.

बिहार में एक चुनावी रैली में असदुद्दीन ओवैसी. (फोटो-twitter/asadowaisi) बिहार में एक चुनावी रैली में असदुद्दीन ओवैसी. (फोटो-twitter/asadowaisi)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 8:33 AM IST

बिहार में जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रहे एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार की सियासी दोस्ती पर चुभने वाला तंज किया है. ओवैसी ने कहा है कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की आशिकी लैला-मजनूं जैसी है. ओवैसी ने कहा कि इस आशिकी की दास्तान जब भी लिखी जाएगी तो इसमें लिखा जाएगा इनकी आशिकी के दौरान हिन्दुस्तान में हिन्दू-मुसलमान के बीच नफरत पनपी.

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बिहार के मुस्लिम बहुल इलाके किशनगंज में असदुद्दीन ओवैसी ने एक रैली संबोधित करते हुए कहा, "नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की आशिकी बड़ी मजबूत आशिकी है, लैला-मजनूं से भी ज्यादा मोहब्बत इन दोनों में है. नीतीश कुमार और मोदी की मोहब्बत की दास्तान जब लिखी जाएगी, मुझसे मत पूछिए इसमें लैला कौन है और मजनूं कौन है, ये आप तय कीजिए."

भीड़ की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच ओवैसी ने आगे कहा, "लैला और मजनूं सुनो जब तुम्हारी मोहब्बत की दास्तान लिखी जाएगी, तो मोहब्बत का नाम नहीं लिखा जाएगा उस दास्तान में, तुम्हारी दास्तान में नफरत का नाम लिखा जाएगा, इसमें लिखा जाएगा कि जब से ये दोनों एक साथ आए...हिन्दुस्तान में हिन्दू-मुस्लिम तनाव है." असदुद्दीन ओवैसी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर मुसलमानों की स्थिति को लेकर लगातार हमलावर रहे हैं.

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बता दें कि बिहार की किशनगंज, पूर्णियां और कटिहार जैसी सीमांचल की सीटों पर 18 अप्रैल को मतदान है. किशनगंज में अल्पसंख्यक मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद को देखते हुए ओवैसी इस इलाके में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. यहां से उन्होंने स्थानीय नेता अख्तरुल इमान को टिकट दिया है.

किशनगंज से जनता दल यूनाइटेड ने महमूद अशरफ को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने मोहम्मद जावेद को उतारा है. 2014 में इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस के असरार-उल-हक़ क़ासमी ने जीत दर्ज की थी. इस बार जेडीयू-बीजेपी एक साथ होने से यहां के समीकरण बदले हुए है.

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