
लखनऊ में रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने एक खास बैठक बुलाई है. इसमें बोर्ड के अध्यक्ष समेत सभी सदस्यों को न्योता दिया गया है. एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन चुनावी तैयारी के मद्देनजर वे शामिल नहीं होंगे. बोर्ड की बैठक लखनऊ के नदवा कॉलेज में होगी. लोकसभा चुनाव से पहले इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है. बैठक की घोषणा के साथ ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. जानकारी के मुताबिक बैठक में मुसलमानों और मौजूदा हालात पर बातचीत होगी. बाबरी मस्जिद, ट्रिपल तलाक, दारुल कजा पर भी चर्चा संभव है.
बोर्ड की इस बैठक से मीडिया को दूर रखा गया है क्योंकि एआईएमपीएलबी ने इस बैठक को अपनी अंदरूनी बैठक बताया है. देश भर से बोर्ड के सभी उलेमा मेंबर इसमें शामिल होने जा रहे हैं. बोर्ड में कुल 51 सदस्य हैं जिनके बैठक में शामिल होने की संभावना है. इन 51 सदस्यों के अलावा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मेंबर भी शामिल हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को देखते हुए इस अहम बैठक में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर भी बातचीत हो सकती है. 13 मार्च को अयोध्या मामले में अपनी पहली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी का गठन किया था. अदालत के इस निर्देश के बाद बोर्ड का क्या रुख रहेगा, रविवार की बैठक में इस पर बातचीत हो सकती है.
आपको बता दें कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है. मंदिर और मस्जिद के पक्षकार कोर्ट से गुहार लगा रहे हैं कि फैसला जितनी जल्द हो सके आ जाए ताकि वर्षों से लंबित पड़ा यह मामला सुलझाया जा सके. इससे पहले 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद अयोध्या विवाद मामले को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए तीन सदस्यीय समिति से मध्यस्थता कराए जाने का आदेश दिया था. इस समिति के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एफ.एम.आई. कलीफुल्ला हैं और उनके साथ आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर व वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू सदस्य है. मध्यस्थता की प्रक्रिया फैजाबाद में शुरू हो गई है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने आदेश में कहा, "हमने विवाद पर विचार किया है. इस मामले में पक्षकारों के बीच सर्वसम्मति की कमी के बावजूद, हमारा विचार है कि मध्यस्थता के जरिए विवाद को सुलझाने का एक प्रयास किया जाना चाहिए." चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पांच जजों की संविधान पीठ के अध्यक्ष हैं. इस पीठ के दूसरे सदस्यों में जस्टिस ए.ए.बोबडे, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस.अब्दुल नजीर हैं.
मुस्लिम पक्षकारों ने मध्यस्थता पर सहमति जताई लेकिन हिंदू पक्षकारों ने इसका विरोध किया है. हिंदू पक्ष ने कहा कि उनके लिए भगवान राम का जन्मस्थान निष्ठा और मान्यता का विषय है और वे इस मध्यस्थता में विपरीत स्थिति में नहीं जा सकते. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने 2010 के फैसले में विवादित स्थल को तीन समान भागों में बांटा है, जिसमें निर्मोही अखाड़ा, रामलला और सुन्नी वक्फ बोर्ड प्रत्येक को एक-एक भाग दिया है.